श्रीलंका का एयरपोर्ट बना भारत-चीन के लिए एक और जंग का मैदान

Saturday, Oct 14, 2017 - 06:49 PM (IST)

नई दिल्लीः  चीन की सरकार भारत के चारों ओर तेजी से इंफ्रास्ट्रक्चर प्रॉजेक्ट पर काम करते हुए स्ट्रैटिजिक असेट्स तैयार करना चाहता है। जानकारों की मानें तो यह चीन की पुरानी 'स्ट्रिंग ऑफ पर्ल्स' पॉलिसी है जिसके तहत वह भारत की घेराबंदी करना चाहता है। हालांकि अब हालात बदल चुके हैं और भारत दक्षिण एशिया में सभी फ्रंट पर चीन का मुकाबला करने के लिए प्रतिबद्ध दिखाई दे रहा है। 

एेसे में अब डोकलाम विवाद की समाप्ती के बाद फिलहाल श्रीलंका जंग का मैदान बना हुआ है। यहां चीन ने एक पोर्ट लीज पर लिया है। हिंद महासागर में किसी पोर्ट तक चीन की सीधी पहुंच भारत की सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा बताई जा रही है। हालांकि इस साल मई के महीने में श्रीलंका ने अपने पोर्ट पर पनडुब्बी लाने के अनुरोध को ठुकरा दिया था। जानकारों के मुताबिक, डोकलाम विवाद के बाद अब श्रीलंका भारत और चीन को बैलेंस करने की कोशिश कर रहा है।

इसी कारण श्रीलंका चीन द्वारा बनाया गया एयरपोर्ट भारत को देना चाहता है। महत्वपूर्ण बात यह है कि इसके पास में ही वह पोर्ट है जिसे श्रीलंका ने चीन को लीज पर दिया है। भारत प्रभावी तरीके से श्रीलंका में चीन के बढ़ते प्रभाव को चुनौती दे रहा है।

चार साल पहले श्रीलंका ने हंबनटोटा में मताला राजपक्षे इंटरनैशनल एयरपोर्ट (MRIA) बनाया था। इसके निर्माण में चीन ने 190 मिलियन डॉलर की मदद की थी, जो कुल लागत का 90 फीसदी से भी ज्यादा है। MRIA घाटे में चल रहा है और श्रीलंका चीन का कर्ज चुनाने में सक्षम नहीं है। अब उसके पास एक ही विकल्प बचता है कि वह इस एयरपोर्ट को भारत को सौंप दे, जिससे वह चीन के लोन को अासानी से चुका सके। 

दूसरी तरफ भारत श्रीलंका के साथ उसके दक्षिणी छोर पर स्थित उस एयरपोर्ट को ऑपरेट करने का अधिकार पाना चाहता है, जहां पर चीन ने अपने वन बेल्ट वन रोड (OBOR) प्रॉजेक्ट के तहत भारी भरकम निवेश कर रखा है। 

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