आंध्र प्रदेश पुलिस ने छापेमारी कर जब्त किया गधे का मांस, 5 के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज

Monday, Apr 08, 2024 - 02:50 PM (IST)

विजयवाड़ा : आंध्र प्रदेश में पुलिस ने एनटीआर पुलिस कमिश्नरेट के तहत तीन स्थानों पर की गई छापेमारी के दौरान 30 किलोग्राम से अधिक गधे का मांस जब्त किया है और 5 गधे के मांस विक्रेताओं के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है। पीपल फॉर द एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ एनिमल्स (पेटा) ने सोमवार को यहां एक बयान में कहा पेटा इंडिया और एस्वारी पॉस्माट्री एनिमल रेस्क्यू ऑर्गनाइजेशन की शिकायत के आधार पर एनटीआर पुलिस कमिश्नरेट ने कारर्वाई की है और प्राथमिकी दर्ज की गई है।

गधे भावुक, चतुर जानवर होते हैं
भारतीय दंड संहिता (आईपीसी), 1860 और पशु क्रूरता निवारण (पीसीए) अधिनियम, 1960 के विभिन्न प्रावधानों के तहत कृष्णा लंका, सत्यनारायणपुरम और पटामाता पुलिस थानों में प्राथमिकी दर्ज की गयी है। नगर निगम अधिकारियों ने आवश्यक औपचारिकताएं पूरी करने के बाद जब्त किए गए मांस को नष्ट कर दिया। पेटा इंडिया की पिछली कारर्वाई के परिणामस्वरूप आंध्र प्रदेश में व्यापार से 78 गधों को बचाया गया था और 1000 किलोग्राम से अधिक मांस जब्त और नष्ट कर दिया गया था।पेटा इंडिया क्रुएल्टी केस डिवीजन के कानूनी सलाहकार और प्रबंधक मीत अशर ने कहा ‘‘गधे भावुक, चतुर जानवर होते हैं जो अपने परिवार और दोस्तों के साथ गहरा रिश्ता बनाते हैं। फिर भी आंध्र प्रदेश में, इन संवेदनशील जानवरों को उनके मांस के लिए काटा जा रहा है।

गधों को मारना और उनका मांस खाना कई कानूनों का उल्लंघन
पेटा इंडिया सभी से अवैध गधे वध की रिपोटर् अधिकारियों को देने और शाकाहारी भोजन को अपनाकर सभी जानवरों के प्रति दया दिखाने का आह्वान कर रहा है।भारत में गधों को मारना और उनका मांस खाना कई कानूनों का उल्लंघन है। गधा वध भारतीय इंड संहिता-1860 की धारा 429 का उल्लंघन है और इसके लिए पांच साल तक की जेल, जुर्माना या दोनों की सजा हो सकती है। पीसीए अधिनियम, 1960 की धारा 11(1)(ए) और (एल) के तहत गधों को मारना भी अपराध है। खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम, 2006 के तहत गधे के मांस का सेवन अवैध है, और पशु क्रूरता निवारण (वध गृह) नियम, 2001 के तहत सार्वजनिक स्थानों पर जानवरों का वध करना प्रतिबंधित है। 

 

 

Utsav Singh

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