अनंत चतुर्दशी: ऐश्‍वर्य में वृद्धि चाहते हैं तो आज बांधें ये धागा

Thursday, Sep 12, 2019 - 07:06 AM (IST)

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आज अनंत चतुर्दशी के दिन भगवान विष्णु के अनंत रुपों की पूजा होगी। अधिकतर लोग भगवान के अनंत स्‍वरूपों की सेवा के लिए व्रत भी रखते हैं। इस रोज़ अनंत सूत्र भी बांधा जाता है। जिन लोगों में व्रत रखने की क्षमता नहीं होती वे पूजा करने के बाद अनंत सूत्र बांधकर भोजन कर सकते हैं। महिलाएं दाएं हाथ और पुरुष बाएं हाथ में अनंत सूत्र बांधते हैं। कहते हैं आज के दिन जो लोग इसे अपनी कलाई पर बांधते हैं उन्हें सौभाग्‍य और ऐश्‍वर्य की प्राप्ति होती है। शास्त्रों में सूत्र यानि कलावा बांधने के कुछ नियम भी निर्धारित किए गए हैं। 

हिन्दू धर्म में इसे बांधने की परम्परा है। अक्सर हम कलाई पर बंधे कलावा को बदलने से पहले दिन नहीं देखते। हाथ पर बंधा कलावा अगर काफी पुराना हो जाता है तो उसे कभी भी बदल कर नया बांध लेते हैं लेकिन इसे अशुभ माना जाता है। इसे बदलने के लिए विशेष दिन और शुभ मुहूर्त होना चाहिए। जैसे आज अनंत चतुर्दशी का दिन सबसे बढ़िया है।

 
किसी भी धार्मिक कर्म कांड के शुरू होने से पहले भी कलावा बांधा जा सकता है। वैसे मांगलिक कार्यक्रमों पर भी इसे बांधा जाता है। माना जाता है कि यह कलावा ही संकटों के समय हमारा रक्षा कवच बनता है लेकिन इस कलावा को कभी भी नहीं बदलना चाहिए। भविष्य में जब कभी भी इसे बदलना हो तो केवल मंगलवार और शनिवार कलावा बदलने का शुभ दिन होता है। इसे बांधने से सकारात्मक ऊर्जा भी मिलती है। 

यदि आपको भी यह दुविधा बनी रहती है कि पुरुष और औरतों के किस हाथ में कलावा बांधना चाहिए तो पुरुषों और अविवाहित कन्याओं के दाएं हाथ पर और विवाहित स्त्री के बाएं हाथ पर कलावा बांधना चाहिए। कलावा बांधते समय याद रखें कि आपकी मुट्ठी बंधी होनी चाहिए। कलावा सिर्फ तीन बार ही लपेटना चाहिए।

वैसे कलावा भी दो तरह के होते हैं- तीन धागों वाला और पांच धागों वाला। तीन धागों वाले रक्षा सूत्र में लाल, पीला और हरा रंग होता है। वहीं पांच धागे वाले कलावे में लाल, पीले व हरे रंग के अलावा सफेद और नीले रंग का भी धागा होता है। पांच धागे वाले कलावा को पंचदेव कलावा भी कहते हैं। वैज्ञानिक तौर पर इसकी अहमियत देखी जाए तो कलावा डायबिटीज, ब्लड प्रैशर और हार्ट अटैक जैसे रोगों से बचाने में मदद करता है।

Niyati Bhandari

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