प्लॉट धारकों की सुविधा के लिए एमनेस्टी स्कीम
punjabkesari.in Wednesday, Dec 24, 2025 - 07:58 PM (IST)
चंडीगढ़, 24 दिसंबर:(अर्चना सेठी) पंजाब के आवास निर्माण एवं शहरी विकास मंत्री हरदीप सिंह मुंडियां ने आज कहा कि जो प्लॉट धारक अपनी बकाया किस्तें जमा नहीं करवा सके या निर्धारित समय-सीमा के अंदर निर्माण पूरा नहीं कर सके या नॉन कंस्ट्रक्शन फीस जमा नहीं करवा सके, उनके लिए विभाग द्वारा वर्ष 2025 के दौरान एमनेस्टी स्कीम लाई गयी है जिसका उद्देश्य योजनाबद्ध शहरी विकास को कायम रखते हुए पुराने मुद्दों को सुलझाना एवं लोगों के विश्वास को मज़बूत करना है।
एक महत्वपूर्ण नागरिक-केंद्रित संशोधन के बारे में बताते हुए कैबिनेट मंत्री ने कहा कि अनधिकृत कॉलोनियों में प्लॉट खरीदने वाले लोगों को बड़ी राहत देते हुए पंजाब अपार्टमेंट एवं प्रॉपर्टी रेगुलेशन एक्ट में संशोधन किया गया, जिससे वे बिना एन.ओ.सी. प्राप्त किए अपने प्लॉट को रजिस्टर करवा सकते हैं। इसके साथ ही अनधिकृत विकास को रोकने के लिए अनधिकृत कॉलोनियां विकसित करने वाले प्रमोटरों के लिए सजा एवं जुर्माने में बढ़ोतरी करते सख्ती से कई संशोधन किए गए हैं।
निवेश अनुकूल नीतियों को प्रोत्साहित करने एवं डेवलपरों पर दबाव कम करने के लिए विभाग ने लाइसेंसों एवं औद्योगिक पार्क प्रोजेक्टों के आंशिक समर्पण की अनुमति दी। उन्होंने कहा कि लाइसेंस/औद्योगिक पार्क प्रोजेक्टों को आंशिक रूप से स्थगित करने या आंशिक रूप से रद्द करने के लिए भी प्रावधान करने के साथ-साथ राज्य में अन्य औद्योगिक पार्कों की स्थापना के लिए नए रास्ते खोले गए हैं।
कैबिनेट मंत्री ने कहा कि लोगों के हितों को ध्यान में रखते हुए मेगा प्रोजेक्टों एवं पापरा लाइसेंस प्राप्त प्रोजेक्टों को पूरा करने के लिए अवधि में 31.12.2025 तक का विस्तार दिया गया। प्रमोटरों को और राहत देते हुए ऐसे प्रोजेक्टों को लागू करने के लिए 31-12-2025 से अधिकतम पांच वर्षों की अवधि के लिए एक बार का विस्तार दिया गया।
हरदीप सिंह मुंडियां ने कहा कि इमारती नियम 2025 को मंजूरी दी गई है एवं नोटीफिकेशन जारी किया गया है। इन नियमों का ड्राफ्ट आम लोगों एवं स्टेकहोल्डर्स के सुझावों/विचारों को ध्यान में रखते हुए तैयार किया गया है। उन्होंने कहा कि ये नियम उद्योग एवं रीयल एस्टेट को प्रोत्साहन देंगे। उन्होंने कहा कि प्रदेश में कॉलोनियां विकसित करने के लिए लाइसेंस देने की प्रक्रिया को सुचारू बनाने के लिए 60 दिनों का स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर तैयार किया गया है ताकि इस प्रक्रिया में देरी को कम करके डेवलपरों को सुविधा दी जा सके।
उन्होंने बताया कि आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए आरक्षित भूमि के प्रभावी उपयोग को सुनिश्चित बनाने के लिए विभाग ने ई.डब्ल्यू.एस. लैंड पॉकेट्स (निर्धारित भूमि) की मोनेटाइजेशन के लिए एक नीति नोटीफाई की गई है। इससे जुटाए गए राजस्व का उपयोग विशेष रूप से ई.डब्ल्यू.एस. आवासों के निर्माण एवं कल्याण के लिए किया जाएगा।
कैबिनेट मंत्री ने बताया कि औद्योगिक विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम के तहत अमृतसर कोलकाता औद्योगिक कॉरिडोर के अंतर्गत राजपुरा में एक एकीकृत निर्माण क्लस्टर को भारत सरकार के पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय से पर्यावरण संबंधी मंजूरियां मिल गई हैं, जो पंजाब के औद्योगिक विकास के लिए लाभकारी होगा।
उन्होंने आगे कहा कि पंजाब इलेक्ट्रिक व्हीकल पॉलिसी-2022 के अनुसार पंजाब शहरी योजना एवं विकास इमारती नियमों में संशोधन किए गए हैं, जिससे सभी श्रेणियों की इमारतों में इलेक्ट्रिक वाहन चार्जिंग बुनियादी ढांचे एवं स्टेशनों की व्यवस्था की गई है।
कैबिनेट मंत्री ने बताया कि कर्मचारियों की आवासीय जरूरतों को पूरा करने के उद्देश्य से रेंटल हाउसिंग पॉलिसी में संशोधन करते हुए एस.ए.एस. नगर एवं न्यू चंडीगढ़ के औद्योगिक एवं मिक्स्ड-यूज्ड जोनों में स्थित न्यूनतम 2.5 एकड़ क्षेत्र वाले स्टैंडअलोन प्रोजेक्टों में किराए की आवासीय सुविधा की अनुमति दी गई है।
उन्होंने बताया कि त्वरित एवं कुशल मंजूरियां सुनिश्चित बनाने के लिए चेंज ऑफ लैंड यूज (सी.एल.यू.) सर्टिफिकेट, कंपलीशन सर्टिफिकेट एवं लेआउट तथा इमारत योजनाओं की मंजूरी संबंधित रेगुलेटरी शक्तियों का विकेंद्रीकरण किया गया है। इससे मोहाली, लुधियाना, जालंधर, अमृतसर, पटियाला एवं बठिंडा में शहरी विकास अथॉरिटीज़ अपने स्तर पर मंजूरियां देने के लिए सक्षम हो गई हैं।
उन्होंने कहा कि औद्योगिक विकास को गति देने के उद्देश्य से एक और कदम के तहत विभाग ने नगर निगम की सीमा से बाहर आने वाले स्टैंडअलोन उद्योगों के बिल्डिंग प्लान की मंजूरी एवं इन उद्योगों के कंपलीशन सर्टिफिकेट जारी करने की शक्तियां डायरेक्टर, फैक्ट्रीज़ को सौंप दी हैं। मंत्री ने बताया कि म्यूनिसिपल सीमाओं, अर्बन एस्टेटों एवं औद्योगिक फोकल पॉइंटों से बाहर पड़ती स्टैंडअलोन बिल्डिंगों के मामलों में राहत देते हुए विभाग ने इन बिल्डिंगों को उचित दरों पर रेगुलराइज़ करवाने के लिए पॉलिसी जारी की है।
कैबिनेट मंत्री ने बताया कि पारदर्शिता एवं मंजूरियों में आसानी लाने के लिए स्टैंडअलोन उद्योगों के लिए ऑनलाइन बिल्डिंग प्लान मंजूरी प्रणाली लायी गयी है। इसके अलावा नगर निगम की सीमाओं के अंदर एवं बाहर गैर-कानूनी कॉलोनियों में स्थित प्लॉटों के एन.ओ.सी. आवेदनों की प्रक्रिया के लिए एक यूनिफाइड सिंगल विंडो पोर्टल शुरू किया गया है।
उन्होंने बताया कि जल संसाधनों के संरक्षण के उद्देश्य से 15 एम.जी.डी. क्षमता सहित 5 एम.जी.डी. अल्ट्रा फिल्ट्रेशन क्षमता वाले सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट को पंजाब के लोगों को समर्पित किया गया है। ग्यारह वर्षों के संचालन एवं रख-रखाव सहित 145.26 करोड़ रुपये की लागत से स्थापित यह राज्य का सबसे बड़ा अल्ट्रा फिल्ट्रेशन टर्शरी ट्रीटमेंट प्लांट है, जो बागबानी, सड़कों की धुलाई, निर्माण एवं औद्योगिक उद्देश्यों के लिए ट्रीट किए गए पानी के पुनः प्रयोग के लिए पानी उपलब्ध कराएगा।
