राफेल डील: शाह का राहुल पर तंज, सब चोरों ने मिलकर 'चौकीदार' को ही बता दिया चोर

Friday, Dec 14, 2018 - 07:25 PM (IST)

नेशनल डेस्कः फ्रांस से 36 राफेल लड़ाकू विमानों की खरीदी के मामले में नरेन्द्र मोदी सरकार को सुप्रीम कोर्ट से क्लीन चिट के बाद भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की। उन्होंने कहा कि कोरे झूठ से लोगों को गुमराह किया गया लेकिन अंत में सत्य की जीत हुई। शाह ने कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने देश के साथ खिलवाड़ किया। शाह ने कहा कि शीर्ष अदालत के फैसले में सौदे को बदनाम करने के लिए काम कर रहे लोगों की मंशा पर भी जाहिर तौर पर सवाल खड़े किए गए हैं जो देश के लिए महत्वपूर्ण है। शाह ने कहा कि अब राहुल बताएं कि उन्हें ऐसी जानकारी कहां से मिल रही है।

शाह की प्रेस कॉन्फ्रेंस के प्रमुख अंश

  • राहुल गांधी देश की जनता को जवाब दें कि वह किस आधार पर देश की जनता को गुमराह कर रहे थे? उनके आरोपों के बारे में जानकारी का स्रोत कौन था ? ’’
  • देश की आजादी के बाद से एक कोरे झूठ के आधार पर देश की जनता को गुमराह करने का इससे बड़ा प्रयास कभी नहीं हुआ और यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि यह प्रयास देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस के अध्यक्ष के द्वारा किया गया।
  • राहुल गांधी पर ‘बचकानी हरकत’ करने का आरोप लगाते हुए शाह ने कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष ने अपने और अपनी पार्टी के तत्काल फायदे के लिए झूठ का सहारा लेकर चलने की एक नई राजनीति की शुरुआत की और सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने आज सिद्ध कर दिया है कि झूठ के पैर नहीं होते और अंत में जीत सत्य की ही होती है।
  • कांग्रेस पार्टी और उसके अध्यक्ष हर नुक्कड़ और चौराहे पर आरोप लगा रहे थे, लेकिन शीर्ष अदालत के फैसले से दूध का दूध, पानी का पानी हो गया तथा कांग्रेस अध्यक्ष गांधी के सरकार के खिलाफ दुष्प्रचार अभियान का पर्दाफाश हो गया है।

  • जब कांग्रेस पार्टी के शासन के समय में साल 2007 में सौदे का खाका तैयार हुआ तब इसे 2007 से 2014 तक अंतिम रूप क्यों नहीं दिया गया। क्या इसमें किसी तरह के कमीशन की बात थी?
  • मोदी सरकार ने फ्रांस के साथ सरकार से सरकार के स्तर पर सौदा किया जिसमें कोई विचौलिया नहीं था और पूरी प्रक्रिया पारदर्शी थी जिस पर अदालत ने भी मुहर लगाई है।
  • हमारा सवाल है कि कांग्रेस नीत संप्रग सरकार के दौरान सरकार से सरकार के स्तर पर सौदे को आगे क्यों नहीं बढ़ाया गया। हमारे सामने उदाहरण है कि कभी क्वात्रोच्चि तो कभी क्रिस्चियन मिशेल को फायदा उठाने का मौका मिला। ऐसे में पूर्ववर्ती सरकार ने सरकार से सरकार के स्तर पर सौदे की पहल क्यों नहीं की।
  • आज सिद्ध हो गया है कि चोर-चोर वही चिल्लाते हैं जिनको चौकीदार का भय होता है।
  • अदालत को इस प्रक्रिया में कुछ भी गलत नहीं लगा और न ही उन्हें इस सौदे में किसी तरह का आर्थिक पक्षपात नजर आया।


बता दें कि कोर्ट ने कहा कि अरबों डॉलर कीमत के राफेल सौदे में निर्णय लेने की प्रक्रिया पर संदेह करने का कोई कारण नहीं है। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि लड़ाकू विमानों की जरूरत है और देश इन विमानों के बगैर नहीं रह सकता है। तीन सदस्यीय पीठ की तरफ से फैसला पढ़ते हुए सीजेआई गोगोई ने कहा कि लड़ाकू विमानों की खरीद की प्रक्रिया में हस्तक्षेप करने का कोई कारण नहीं है और लड़ाकू के कीमतों के तुलनात्मक विवरण पर फैसला लेना अदालत का काम नहीं है। पीठ ने कहा कि खरीदी, कीमत और ऑफसेट साझेदार के मामले में हस्तक्षेप के लिए उसके पास कोई ठोस आधार नहीं है।

Seema Sharma

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