गुजरात में 'सहकार संवाद' कार्यक्रम में अमित शाह का संबोधन, प्राकृतिक खेती और डेयरी सहकारिता पर दिया जोर
punjabkesari.in Wednesday, Jul 09, 2025 - 05:11 PM (IST)

नेशनल डेस्क: केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को गुजरात के अहमदाबाद में 'सहकार संवाद' कार्यक्रम के तहत गुजरात, मध्य प्रदेश और राजस्थान की सहकारी क्षेत्र से जुड़ी महिलाओं और अन्य कार्यकर्ताओं के साथ संवाद किया। यह आयोजन अंतरराष्ट्रीय सहकारिता वर्ष के अंतर्गत किया गया।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए शाह ने घोषणा की कि आणंद जिले में त्रिभुवनदास पटेल के नाम पर त्रिभुवन सहकारिता यूनिवर्सिटी की स्थापना की जा रही है। उन्होंने बताया कि यह विश्वविद्यालय सहकारी क्षेत्र में युवा पेशेवरों को तैयार करने के उद्देश्य से बनाया जा रहा है। शाह ने कहा, "त्रिभुवनदास पटेल ने देश में सहकारिता आंदोलन की नींव रखी। उनके विचारों और योगदान को सम्मान देने के लिए विश्वविद्यालय का नाम उनके नाम पर रखा गया है, भले ही कुछ लोगों ने संसद में इस पर सवाल उठाए।" उन्होंने कहा कि गुजरात की डेयरी सहकारी प्रणाली आज 36 लाख महिलाओं को 80,000 करोड़ रुपये का व्यापार करने का अवसर दे रही है। शाह ने डेयरी क्षेत्र में किए जा रहे बदलावों की भी जानकारी दी। उन्होंने बताया कि सरकार गोबर प्रबंधन, पशुओं के खानपान व स्वास्थ्य और ऑर्गेनिक खाद एवं गैस निर्माण को लेकर सहकारी संस्थाओं के माध्यम से नई योजनाएं शुरू कर रही है। आने वाले छह माह में ये योजनाएं जमीनी स्तर तक पहुंच जाएंगी।
उन्होंने बताया कि भविष्य में गांवों में दूध उत्पादन से जुड़े 500 परिवारों में से कम से कम 400 को सहकारी नेटवर्क से जोड़ा जाएगा और उनके पशुओं का गोबर भी कोऑपरेटिव संस्थाएं संभालेंगी। शाह ने सभी सहकारी डेयरी मंडियों से आग्रह किया कि वे अपनी संस्थाओं में त्रिभुवनदास पटेल की तस्वीर लगाएं ताकि लोग उनके योगदान को जान सकें। केंद्रीय मंत्री ने यह भी जानकारी दी कि पैक्स (प्राथमिक कृषि साख समितियों) को सीएससी, माइक्रो एटीएम, जन औषधि केंद्र, बैंक मित्र सहित लगभग 25 सेवाओं से जोड़ा गया है। उन्होंने कहा कि अब पैक्स से राजस्व प्राप्ति भी सुनिश्चित की जा सकती है और ग्रामवासियों को सस्ती दवाइयों की उपलब्धता के प्रति जागरूक करना चाहिए।
कृषि क्षेत्र की बात करते हुए श्री शाह ने बताया कि मक्का और दलहन की खेती करने वाले किसान अगर एनसीसीएफ (राष्ट्रीय उपभोक्ता सहकारी संघ) के ऐप पर पंजीकरण करते हैं, तो नाबार्ड और एनसीसीएफ उनसे न्यूनतम समर्थन मूल्य पर फसल की खरीद कर सकते हैं। यदि बाजार में बेहतर मूल्य मिले तो किसान वहाँ भी फसल बेच सकते हैं। प्राकृतिक खेती के महत्व पर जोर देते हुए शाह ने कहा, "प्राकृतिक खेती केवल एक परंपरा नहीं, बल्कि एक वैज्ञानिक तरीका है, जिससे उत्पादन बढ़ता है और स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं कम होती हैं।" उन्होंने साझा किया कि उन्होंने स्वयं अपने खेत में प्राकृतिक खेती अपनाई है, जिससे उत्पादन में डेढ़ गुना वृद्धि हुई है।
उन्होंने बताया कि सहकारिता मंत्रालय ने प्राकृतिक खेती से उत्पन्न अनाज की खरीद और उसके निर्यात के लिए राष्ट्रीय सहकारी संस्थाओं का गठन किया है। निर्यात से होने वाला लाभ सीधे किसानों के बैंक खातों में भेजा जाएगा। इसके अलावा, ऊंटनी के दूध के औषधीय गुणों पर भी शोध जारी है। उन्होंने बताया कि राजस्थान और गुजरात सरकारें मिलकर एक योजना बना रही हैं जिससे ऊंटनी का दूध पालकों को बेहतर मूल्य मिल सकेगा, जिससे उनकी नस्लों के संरक्षण को भी बढ़ावा मिलेगा। अंत में, शाह ने कहा, "देश का गृह मंत्री होना सम्मान की बात है, क्योंकि सरदार पटेल भी इस पद पर थे। लेकिन जब मुझे सहकारिता मंत्रालय सौंपा गया, तो मैं मानता हूं कि यह जिम्मेदारी गृह मंत्रालय से भी बड़ी है, क्योंकि यह मंत्रालय गांव, गरीब, किसान और पशुपालन से जुड़ा है।"