H-1B visa policy: ट्रेन करो और वापस जाओ: ट्रंप प्रशासन का नया H-1B वीजा प्लान, भारतीय IT प्रोफेशनल्स पर असर
punjabkesari.in Thursday, Nov 13, 2025 - 09:44 AM (IST)
नेशनल डेस्क: अमेरिका की नई H-1B वीजा पॉलिसी ने भारतीय IT सेक्टर में चिंता की लहर पैदा कर दी है। अमेरिकी ट्रेजरी सेक्रेटरी स्कॉट बेसेंट ने हाल ही में स्पष्ट किया कि ट्रंप प्रशासन का नया वीजा मॉडल विदेशी विशेषज्ञों को केवल अस्थायी रूप से बुलाकर अमेरिकी वर्कर्स को प्रशिक्षण देने और फिर उन्हें अपने देश वापस भेजने के उद्देश्य से तैयार किया गया है।
इस नई रणनीति के तहत, अमेरिकी उद्योग विदेशी तकनीकी विशेषज्ञों का उपयोग तब करेंगे जब घरेलू प्रतिभा किसी विशेष क्षेत्र में सक्षम नहीं होगी। बेसेंट के अनुसार, यह मॉडल मुख्यतः मैन्युफैक्चरिंग, सेमीकंडक्टर और शिपबिल्डिंग जैसे सेक्टरों में नॉलेज ट्रांसफर सुनिश्चित करने के लिए है। उनका साफ संदेश है: “ट्रेन द यूएस वर्कर्स, देन गो होम।” यानी विदेशी कर्मचारी केवल अस्थायी रूप से आएंगे, स्थानीय कर्मचारियों को स्किल सिखाएंगे और फिर लौट जाएंगे।
विशेषज्ञों का मानना है कि इस बदलाव से H-1B और H-4 वीज़ा धारकों, STEM छात्रों और भारतीय IT पेशेवरों की नौकरी और करियर स्थिरता पर असर पड़ सकता है। लंबे समय तक अमेरिका में काम करने वाले भारतीय टेक एक्सपर्ट अब इस नीति के चलते सीमित अवसरों का सामना कर सकते हैं।
🚨 BREAKING: Treasury Sec. Scott Bessent says President Trump's plan for visas is to TEMPORARILY bring in expert overseas workers to train Americans, they they go BACK home.
— Eric Daugherty (@EricLDaugh) November 12, 2025
"Train the US workers. Then, go home. Then, the US workers fully take over."
KILMEADE: You understand… pic.twitter.com/vDbabSVxDW
इस नीति का उद्देश्य अमेरिका में घरेलू रोजगार को बढ़ावा देना और टेक्निकल आत्मनिर्भरता सुनिश्चित करना है। राष्ट्रपति ट्रंप ने बताया कि कुछ क्षेत्रों में अमेरिकी वर्कर्स की कमी है और विदेशी विशेषज्ञ अस्थायी रूप से इस गैप को भरेंगे। ट्रेजरी सचिव बेसेंट ने यह भी कहा कि प्रशासन USD 2000 तक टैक्स रिबेट पर विचार कर रहा है, जो 1 लाख डॉलर से कम कमाई वाले परिवारों के लिए होगा।
विशेषज्ञों का कहना है कि जबकि अमेरिकी उद्योगों को तकनीकी आत्मनिर्भरता मिलेगी, भारत जैसे देशों के लिए यह ब्रेन ड्रेन को रोकने और वैश्विक टैलेंट की दिशा में एक बड़ा झटका साबित हो सकता है।
इस बदलाव ने अमेरिका में विदेशी वर्कर्स और टेक इंडस्ट्री के बीच नई बहस को जन्म दिया है। एक ओर प्रशासन इसे घरेलू रोजगार सृजन की दिशा में कदम बता रहा है, वहीं दूसरी ओर विदेशी प्रोफेशनल्स के करियर पर संभावित असर को लेकर चिंता बढ़ रही है।
