RTI बिल में हुआ संशोधन, जानिए क्या होंगे बदलाव

Tuesday, Jul 23, 2019 - 03:22 PM (IST)

 

नई दिल्लीः लोकसभा ने सोमवार को सूचना का अधिकार संशोधन विधेयक 2019 को मंजूरी प्रदान कर दी है। RTI संशोधन बिल के मुताबिक अब मुख्य सूचना आयुक्त एवं सूचना आयुक्तों तथा राज्य मुख्य सूचना आयुक्त एवं राज्य सूचना आयुक्तों के वेतन, भत्ते और सेवा के अन्य निबंधन एवं शर्ते तय करना का फैसला अब केंद्र सरकार करेगी। मूल कानून के अनुसार अभी मुख्य सूचना आयुक्त और सूचना आयुक्तों का वेतन मुख्य निर्वाचन आयुक्त एवं निर्वाचन आयुक्तों के बराबर है। कांग्रेस समेत विपक्षी दलों ने सरकार पर सूचना का अधिकार संशोधन विधेयक लाकर इस महत्वपूर्ण कानून को कमजोर करने का आरोप लगाया। विपक्ष ने आरोप लगाया कि सरकार इस संशोधन के माध्यम से राज्यों में भी सूचना आयुक्तों की नियुक्तियों की नियम, शर्तें तय करेगी जो संघीय व्यवस्था तथा संसदीय लोकतंत्र के खिलाफ है।


क्या है RTI एक्ट 2005
2005 में संसद ने एक नया कानून बनाया था। इस कानून को सूचना का अधिकार यानी आरटीआई RTI नाम दिया गया। इसके तहत देश के प्रत्येक नागरिक को सरकार के किसी भी काम या फैसले के बारे में सूचना लेने का अधिकार मिला हुआ है। RTI के तहत कोई भी नागरिक सरकार के काम के बारे में अगर कोई जानकारी लेना चाहता है तो सरकार इसके लिए उसे इंकार नहीं कर सकती। वहीं केंद्रीय मंत्री जितेन्द्र सिंह ने पारदर्शिता कानून के बारे में विपक्ष की चिंताओं को निर्मूल करार देते हुए कहा कि मोदी सरकार पारदर्शिता, जन भागीदारी, सरलीकरण, न्यूनतम सरकार...अधिकतम सुशासन को लेकर प्रतिबद्ध है ।


RTI में संशोधन से आएंगे ये बदलाव
सैलरी में बदलाव

2005 एक्ट के मुताबिक सूचना आयुक्तों और मुख्य सूचना आयुक्तों की सैलरी चुनाव आयुक्तों और मुख्य चुनाव आयुक्तों के लगभग बराबर था लेकिन अब संशोधन के बाद सैलरी, भत्ता और अन्य सभी शर्तों पर केंद्र फैसला लेगी। अगर किसी की नियुक्ति सूचना आयुक्त या मुख्य सूचना आयुक्त के तौर पर होती है और वह व्यक्ति सरकारी नौकरी के तहत पेंशन या भत्ता पा रहा है तो उसकी सैलरी से उतने पैसे की कटौती कर ली जाती है लेकिन अब इस बात का फैसला भी केंद्र ही लेगी। उदाहरण के तौर पर अगर सूचना आयुक्त की सैलरी 1 लाख रुपए है और वह पहले से ही 25 हजार रुपए पेंशन और भत्ता पा रहा है तो उस हालत में सरकार सूचना आयुक्त के खाते में 1 लाख 25 हजार रुपए नहीं देगी। सरकार पेंशन और भत्ते में से भी पैसे काट देगी यानि कि अब 1 लाख रुपए से ज्यादा नहीं मिलेंगे।


सेवा की शर्तें
2005 एक्ट के मुताबिक केंद्रीय मुख्य सूचना आयुक्त और सूचना आयुक्तों का कार्यकाल 5 साल (या 65 वर्ष की आयु तक, जो भी पहले हो) के लिए निर्धारित किया गया था लेकिन अब नए कानून के मुताबिक यह फैसला भी केंद्र सरकार के हाथों में होगा।

Seema Sharma

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