अमरनाथ यात्रा की तारीख की घोषणा, 23 जून से 3 अगस्त तक चलेगी

Friday, Feb 14, 2020 - 05:13 PM (IST)

श्रीनगरः श्री अमरनाथ यात्रा करने वाले तीर्थयात्रियों के लिए खुशखबरी है। इस साल 42 दिन तक चलने वाली बाबा अमरनाथ यात्रा 23 जून से 3 अगस्त तक चलेगी। श्री अमरनाथ यात्रा श्राइन बोर्ड ने इस साल होने वाली अमरनाथ यात्रा की तिथियों की घोषणा कर दी है। शुक्रवार को उपराज्यपाल गिरीश चंद्र मुर्मू की अध्यक्षता में हुई श्री अमरनाथ यात्रा श्राइन बोर्ड की मीटिंग में यह फैसला लिया गया। पिछले साल यात्रा 1 जुलाई को शुरू हुई थी लेकिन जम्मू-कश्मीर में धारा 370 हटाए जाने के बाद पैदा हुई स्थिति के चलते यात्रा को बीच में ही रोक दिया गया था। श्राइन बोर्ड की मीटिंग के दौरान यात्रा मार्ग से बर्फ हटाने के साथ-साथ यात्रा की अन्य तैयारियों व सुरक्षा की स्थिति को लेकर भी चर्चा हुई है और यात्रा से जुड़े तमाम सरकारी विभागों के साथ तालमेल बिठाकर काम शुरू करने को लेकर भी फैसला हुआ।  अमरनाथ यात्रा श्राइन बोर्ड की वैबसाइट के आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, पिछले साल यात्रा 32 दिन तक चली थी और 3,42,883 श्रद्धालुओं ने बाबा बर्फानी के दर्शन किए थे। यात्रा के लिए श्रद्धालुओं का ऑनलाइन पंजीकरण 1 अप्रैल से शुरू होगा और इस साल ऑनलाइन पंजीकरण का कोटा भी बढ़ाया जा रहा है।

 

लंगर कमेटियों ने शुरू की तैयारीयात्रा की घोषणा के साथ ही श्री अमरनाथ यात्रा भंडारा आर्गेनाइजेशन ने 21 सदस्यीय कमेटी की स्थापना कर दी है। आर्गेनाइजेशन के अध्यक्ष राजन कपूर ने कहा कि जल्द ही कमेटी की मीटिंग बुलाकर लंगर की तैयारियां शुरू कर दी जाएंगी। कमेटी में कटरा से महंत वरिन्द्र दास, दिल्ली से राजीव सेठी, राजेश रावल, कपिल कश्यप, बटाला से विजय प्रभाकर, खन्ना से अमित शर्मा, बरनाला से सोमनाथ गर्ग, गाजियाबाद से विकास शर्मा, राकेश गोसाईं, कैथल से सुंदर लाल वर्मा, हनुमानगढ़ से बलदेव अरोड़ा, जालन्धर से अशोक कुमार, नंगल से गुरदेव शर्मा, कुरुक्षेत्र से अजय गुप्ता, पानीपत से मोहित पसरीचा, कपूरथला से प्रेम स्वरूप खुल्लर, गुरुहरसहाय से नितिन मोंगा, अमृतसर से सुरेश सहगल, चंडीगढ़ से राजेश शर्मा व जलालाबाद से सुशील कुमार को शामिल किया गया है।



अमरनाथ यात्रा मार्ग
अमरनाथ जाने की योजना बनाने वाले तीर्थयात्रियों के लिए दो मार्ग हैं। पहला ‘पहलगाम मार्ग’ और दूसरा ‘बालटाल मार्ग’। यात्री इनमें से एक ट्रैक चुन सकते हैं। यदि तीर्थयात्री पहलगाम मार्ग (46 किमी) से जाते हैं, तो उन्हें गुफा तक पहुंचने के लिए पांच दिन लगते हैं। यदि तीर्थयात्री बालटाल मार्ग (14 किमी) से जाते हैं, तो वे पैदल एक दिन के भीतर पहुंच सकते हैं। हालांकि यह रास्ता जोखिम भरा है। यह मार्ग तीर्थयात्रियों के बीच सबसे लोकप्रिय है।

सुरक्षा के कड़े इंतजाम 
गौरतलब है कि आतंक के साए में होने वाली इस यात्रा के दौरान खतरा ज्यादा बढ़ जाता है। लिहाजा सरकार को शांतिपूर्वक यात्रा सुनिश्चित कराने के लिए सुरक्षाकर्मियों की संख्या में इजाफा करना पड़ता है।

Anil dev

Advertising