यूपी उपचुनाव: अखिलेश मायावती की जीत से बड़ी योगी-केशव की हार

punjabkesari.in Thursday, Mar 15, 2018 - 04:32 AM (IST)

यूपी (आशीष पाण्डेय): यूपी की दो लोकसभा सीटों पर हुए उपचुनाव के नतीजों ने बता दिया कि 2019 का फाइनल काफी रोमांचक होने वाला है। 23 साल से राजनीति के दौरान सपा-बसपा के बीच चूहे-बिल्ली की ​दुश्मनी थी। इसे खत्म करने का फायदा यह हुआ कि 29 साल से गोरखपुर में बीजेपी की सीट को एक झटके में अपने पाले में कर लिया गया। यूपी में बुधवार को लोकसभा उपचुनाव के नतीजों से यह भी तय हो गया कि भविष्य में भी हाथी-साइकिल की सवारी कर कमल को रौंदने का दम रखती है। इतना ही नहीं पूर्वोत्तर में लाल निशान को खत्म कर अतिआत्मविश्वास से लबरेज बीजेपी ने सोचा कि यूपी से भी लाल टोपी (सपा) को खत्म करना अब आसान है। इसी अतिआत्मविश्वास में बीजेपी ने बुआ भतीजे के साथ को बेमेल गठबंधन समझकर उन्हें कमतर आंकने की भूल कर दी। जो अपने ही पैर पर कुल्हाड़ी मारने की कहावत को चरितार्थ करने जैसा था। हालांकि इस चुनाव को जिस तरह, बीजेपी ने अपनी नाक का सवाल बना दिया था उससे यह कहना गलत नहीं होगा की यूपी के लोकसभा उपचुनाव में सपा-बसपा की जीत नहीं बल्कि सीएम-डीप्टी सीएम की हार है।

इसके अलावा बीजेपी की हार का एक बड़ा कारण, मिडिल क्लास फैमिली का घर से नहीं निकला रहा। ज्यादातर सर्वणों ने अपने मत का प्रयोग ही नहीं किया। वहीं इसके इतर सपा व बसपा के परंपरागत वोटरों ने अपनी पार्टी पर विश्वास दिखाते हुए घरों से निकला। इनके 80 प्रतिशत वोट पोल हुए। नतीजा यह हुआ कि दोनों ही जगह बुआ भतीजे का गणित सफल रहा। 2017 के विधानसभा चुनाव में बसपा को मिले वोट सपा कैंडिडेट को ट्रांसफर होते हैं तो भी बीजेपी के लिए दोनों सीटें जीतना असंभव था। शायद इस गणित को भी बीजेपी ने नजरअंदाज कर दिया। उन्हें लगा कि 2014 की मोदी लहर बरकरार है तो यह मुमकिन है कि एक बार फिर बीएसपी सपा का करिश्मा फेल होगा।  

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कैसा है फूलपुर लोकसभा का गणित?
एतिहासिक फूलपुर सीट से सपा कैंडिडेट नगेंद्र सिंह पटेल काे 3,42,796 वाेट आैर बीजेपी प्रत्याशी काैशलेंद्र प्रताप सिंह काे 2,83,183 मिले हैं जबिक कांग्रेस प्रत्याशी मनीष मिश्र काे 19, 334 वाेट प्राप्त हुए हैं। बाहुबली व निर्दलीय प्रत्याशी अतीक अहमद 48,087 वाेट के साथ तीसरे स्थान पर रहे। साफ है कि बीजेपी की हाथ से फूलपुर की सीट करीब 60 हजार के मतों से निकल गई। फूलपुर लोकसभा सीट में इलाहाबाद की 5 विधानसभा सीटें आती हैं। इनमें फूलपुर, इलाहाबाद उत्तरी, इलाहाबाद पश्चिमी, फाफामऊ और सोरांव शामिल हैं। 2017 विधानसभा चुनाव में ये पांचों सीटें बीजेपी गठबंधन के पास थीं। वहीं, अगर सपा और बसपा को 2017 में मिले वोटों को जोड़ दें तो बीजपी पांच में से चार विधानसभाओं में पीछे रह जाती है। सिर्फ इलाहाबाद उत्तरी सीट पर बीजेपी को बढ़त मिलती है। ये सीट सपा ने उस वक्त गठबंधन की सहयोगी कांग्रेस को दे दी थी।

फूलपुर में सपा-बसपा को 2017 में मिले वोटों को जोड़ दें तो क्या होगा?

विधानसभा सीट — बीजेपी+ को मिले वोट — सपा+बसपा को मिले वोट —  कौन आगे

फूलपुर            — 93,912                   —  1,17,720                      —  सपा+बसपा

फाफामऊ         — 83,239                   — 1,09,237                      —  सपा+बसपा

इलाहाबाद पश्चिमी — 85,518                — 1,00,681                     — सपा+बसपा

सोरांव                —  77,814                — 1,14,424                    — सपा+बसपा

इलाहाबाद उत्तरी   — 89,191               — 23,388                         — बीजेपी

टोटल                 — 4,29,674           — 4,65,450                      — सपा+बसपा

फूलपुर में सपा-बसपा को 2018 (उपचुनाव) में मिले वोट
लोकसभा सीट - बीजेपी को मिले वोट - सपा+बसपा को मिले वोट - कौन जीता
फूलपुर         -         2,83,183        -        3,42,796              -      सपा

फूलपुर में सपा-बसपा को 2014 में मिले वोट
लोकसभा सीट - बीजेपी को मिले वोट - सपा+बसपा को मिले वोट - कौन जीता
फूलपुर           - 5,03,564              -      4,17,093                 -  बीजेपी

फूलपुर में इस बार कैसा रहा मुकाबला?

 हारे - बीजेपी उम्मीदवार - कौशलेंद्र सिंह पटेल, वाराणसी के मेयर रह चुके हैं। (बाहरी उम्मीदवार)
जीता - 
सपा+बसपा का उम्मीदवार - नागेंद्र सिंह पटेल, सपा के मंडल अध्यक्ष हैं। (स्थानीय नेता)
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बीजेपी को कम वोटों के अंतर से हराने का श्रेय
सपा के वोट काटने के लिए बीजेपी ने कथित तौर पर अतीक को खड़ा किया था। यह इसीलिए कहा जा रहा था क्योंकि जिस तरीक़े से आख़िरी दिन सारी औपचारिकताएं पूरी करके अतीक़ अहमद ने नामांकन किया वो बिना सरकारी मदद के संभव नहीं हो सकता था। खैर नतीजों ने बीजेपी की इस योजना पर भी पानी फेर दिया। अतीक को महज 48087 वोट मिले। अतीक नहीं लड़ते तो बीजेपी की पराजय और अधिक वोटों के अंतर से होता। साल 2002 से लेकर 2007 तक हुए चार चुनावों में केशव मौर्य की उग्र हिन्दूवादी छवि के कारण मतों का जब ध्रुवीकरण होता तो उसका सीधा लाभ अतीक़ अहमद या फिर उनके भाई को ही मिलता था। अब आज जब बीजेपी सत्ता में है और अतीक़ अहमद के 'बुरे दिन' चल रहे हैं तो केशव का एहसान चुकाने का उनके लिए ये अच्छा मौक़ा था। 
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कैसा है गोरखपुर लोकसभा का गणित?

गाेरखपुर सीट से सपा प्रत्याशी प्रवीण निषाद ने 45,454 वाेट से जीत दर्ज की है। फिलहाल आैपचारिक एलान हाेना अभी बाकी है। गोरखपुर लोकसभा सीट में जिले की 5 विधानसभा सीटें आती हैं। इनमें गोरखपुर सदर, गोरखपुर रुरल, पिपराइच, कैम्पियरगंज और सहजनवा शामिल हैं। 2017 विधानसभा चुनाव में ये पांचों सीटें बीजेपी के पास थीं। वहीं, अगर सपा और बसपा को 2017 में मिले वोटों को जोड़ दें तो बीजपी पांच में से चार विधानसभाओं में पीछे रह जाती है। सिर्फ गोरखपुर सदर सीट पर बीजेपी को बढ़त मिलती है।
 

गोरखपुर में सपा-बसपा को 2017 में मिले वोटों को जोड़ दें तो क्या होगा?

विधानसभा सीट — बीजेपी+ को मिले वोट — सपा+बसपा को मिले वोट — कौन जीता

गोखरपुर सदर   — 1,22,221         — 85,788         — बीजेपी

गोरखपुर रूरल  — 83,686         — 1,09,373         — सपा+बसपा

कैम्पियरगंज   — 91,636         — 98,025         — सपा+बसपा

पिपराइच        — 82,739         — 1,20,961         — सपा+बसपा

सहजनवा        — 72,213         — 1,10,979         — सपा+बसपा

टोटल         — 4,52,495         — 5,25,126         — सपा+बसपा

2014 लोकसभा चुनाव में सपा, बसपा के वोट मिलाकर भी बीजेपी से कम?

लोकसभा सीट — बीजेपी को मिले वोट — सपा+बसपा को मिले — वोट कौन आगे
गोरखपुर         — 5,39,127   — 4,02,756     — बीजेपी

गोरखपुर में इस बार 2018 (उपचुनाव) कैसा रहा मुकाबला?

लोकसभा सीट - बीजेपी को मिले वोट - सपा+बसपा को मिले  वोट - कौन जीता
गोरखपुर         - 3,54,192              -       3,77,146               -    सपा

बीजेपी उम्मीदवार - उपेंद्र दत्त शुक्ल - हारे
सपा+बसपा का उम्मीदवार — प्रवीण निषाद - जीते

 


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