अजीत डोभाल के बेटे शौर्य ने ज्वाइन की BJP, इस सीट से लड़ सकते हैं 2019 का चुनाव!

Wednesday, Dec 20, 2017 - 03:32 PM (IST)

नई दिल्ली: भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खास अजीत डोभाल के बेटे शौर्य डोभाल की राजनीति में एंट्री हो गई है। रविवार को शौर्य डोभाल की उत्तराखंड भाजपा की कार्यसमिति की बैठक में आधिकारिक तौर पर एंट्री कराई गई। इस मीटिंग में शौर्य डोभाल बतौर प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य शामिल हुए थे। शौर्य की भाजपा में एंट्री के साथ ही अटकलें तेज हो गई हैं कि वे 2019 का चुनाव लड़ सकते हैं।


इस सीट से लड़ सकते हैं चुनाव
शौर्य की हालांकि कोई राजनीतिक पृष्ठभूमि नहीं है, पर राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल के बेटे होने के चलते राजनीति में पैर जमाना उनके लिए मुश्किल नहीं है। गढ़वाल सीट से भाजपा सांसद खंडूड़ी उम्रदराज हो चुके हैं। वर्ष 1991 से अब तक हुए लोकसभा चुनावों में दो बार छोड़ दें तो यह सीट खंडूड़ी के रूप में भाजपा के कब्जे में रही है। खंडूड़ी सार्वजनिक रूप से राजनीति से संन्यास की घोषणा भी कर चुके हैं। ऐसे में उनके उत्तराधिकारी की तलाश पार्टी शुरू कर चुकी है। गढ़वाल सीट पर कई और दावेदारों के नाम चर्चा में हैं। खंडूड़ी के बाद मौजूदा थल सेनाध्यक्ष बिपिन रावत, पार्टी के राष्ट्रीय सचिव तीरथ रावत, कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज आदि के नाम इस सीट के दावेदार के रूप में सुर्खियों में आते रहे हैं।
 

पार्टी करेगी उनका सही उपयोग-अजय भट्ट
शौर्य डोभाल का पार्टी में कद बढ़ेगा, इस बात के संकेत उत्तराखंड भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट ने दिए हैं। अजय का कहना है कि शौर्य विदेश नीति और आर्थिक मामलों के अच्छे जानकार हैं। उनके इस ज्ञान का पार्टी उपयोग करना चाहती है। इसीलिए उन्हें कार्य समिति बैठक में विशेष आमंत्रित सदस्य के रूप में बुलाया गया। पार्टी आगे भी उनके अनुभव का लाभ लेगी।

एक नजर शौर्य डोभाल पर
शौर्य मूल रूप से उत्तराखंड के पौढ़ी गढ़वाल के रहने वाले हैं। उन्होंने लंदन और शिकागो से एमबीए की कंबाइन डिग्री ली है। इसके अलावा उन्होंने लंबे समय तक बैंकिंग और इंवेस्टमेंट क्षेत्र में भी काम किया है। 2014-15 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका यात्रा के दौरान शौर्य ने विदेशी निवेशकों से मुलाकात में बड़ी भूमिका निभाई थी। शौर्य करीब चार वर्ष से इंडिया फाउंडेशन नामक संस्था चला रहे हैं। शौर्य इस संस्था के निदेशक हैं। उनके अलावा केंद्रीय मंत्री सुरेश प्रभु, निर्मला सीतारमण, एमजे अकबर व जयंत सिन्हा भी इसमें निदेशक हैं। संस्था की वेबसाइट के अनुसार इस का मकसद भारतीय सभ्यता-संस्कृति के संरक्षण के साथ वैश्विक अवसरों की उपलब्धता पर शोध करना है।

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