64 साल बाद फिर से 'एयर इंडिया' की कमान संभाल सकता है टाटा ग्रुप

Tuesday, Oct 10, 2017 - 08:00 PM (IST)

नई दिल्लीः घाटे में चल रहे एयर इंडिया को सरकार बेचने की तैयारी में है। 85 साल पहले एयर इंडिया की स्थापना करने वाले टाटा ग्रुप को कंपनी का नियंत्रण छोड़ना पड़ा था। अब फिर आने वाले दिनों में एेसी संभावनाएं नजर आ रही हैं कि एयर इंडिया टाटा ग्रुप का हिस्सा बन सकता है। अगर एेसा हुआ तो वह एयर इंडिया का स्वामित्व उसके राष्ट्रीयकरण होने के 64 साल बाद पा लेगा।
वर्तमान में एयर इंडिया खराब संचालन और नाकामयाब बिजनस करने वाली संस्था बन चुकी है। कंपनी पर भारी कर्ज है। इसी वजह से सरकार इसका प्राइवेटाइजेशन करना चाहती है। जानकारी के मुताबिक 2014 में सत्ता संभालने के बाद से नरेंद्र मोदी सरकार करीब 16 हजार करोड़ रुपए एयर इंडिया पर खर्च चुकी है। 
भारत में कमर्शियल एविएशन के जनक
टाटा सन्स ने टाटा एयरलाइंस की स्थापना 1932 में की थी।आजादी से पहले 1946 में टाटा एयरलाइंस सार्वजनिक कंपनी बन गई थी। बाद में इसका नाम बदलकर एयर इंडिया कर दिया गया था। कंपनी की वेबसाइट के मुताबिक, जहाज उड़ाने के लिए क्वालिफाई करने वाले वह पहले भारतीय थे। वेबसाइट में बताया गया है, 'हवाई जहाज उड़ाने का लाइसेंस उन्हें 1929 में मिला। भारत में कमर्शियल एविएशन लाने वाले वह पहले व्यक्ति थे। 1948 में उन्होंने एयर इंडिया इंटरनैशनल की स्थापना की। 1978 तक वह एयर इंडिया की जिम्मेदारी संभाले रहे।'
1977 में टाटा को उनके पद हटा दिया 
जब सरकार ने 'बैकडोर से' 1953 में (जेआरडी टाटा के कथन) एयर इंडिया का राष्ट्रीयकरण कर दिया तब वह दुनिया की श्रेष्ठ एयरलाइंस में थी। जानकारी के मुताबिक जब जेआरडी टाटा को पता चला कि तत्कालीन पीएम जवाहर लाल नेहरू ने एयर इंडिया का राष्ट्रीयकरण कर दिया है वो भी उन्हें बिना बताए तो उन्हें बड़ा झटका लगा। हालांकि बाद में नेशनलाइजेशन के बाद टाटा ने एयरलाइंस के चेयरमैन का पद संभाल लिया लेकिन1977 में पीएम मोरारजी देसाई ने टाटा को उनके पद से हटा दिया। 
कर्ज में डूबने पर भी कंपनी की काफी वेल्यू
भले ही कंपनी कर्जे में हो और संचालन संबंधी समस्याएं हो फिर भी इसकी वैल्यू काफी है। डायरेक्टोरेट जनरल ऑफ सिविल एविएशन के डेटा के मुताबिक, एयर इंडिया की फ्लीट में 118 जहाज हैं और भारत से और भारत तक सबसे ज्यादा पैसेंजर्स को मंजिल तक पहुंचाता है। इसके अलावा कंपनी को दुनियाभर के बड़े एयरपोर्ट्स में पार्किंग स्लॉट्स मिले हुए हैं जिसमें न्यू यॉर्क, शिकागो और लंदन शामिल हैं। 

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