तमिलनाडु की राजनीति में शशिकला का 'राजनीतिक चैप्टर' खुलने से पहले ही हुआ क्लोज

Tuesday, Sep 12, 2017 - 06:44 PM (IST)

नई दिल्लीः दक्षिण की राजनीति में सबसे विवादास्पद चेहरा रही इस आम और खास शख्सियत का पूरी तरह पटाक्षेप होता दिख रहा है। न कभी पार्षद रही और ना ही कभी विधानसभा की चौखट तक पहुंची फिर भी सीधे मुख्यमंत्री की दौड़ में शामिल होने वाली शशिकला को ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (एआईएडीएमके) में महासचिव पद हटा दिया गया है। तमिलनाडु में सत्तारूढ़ एआईएडीएमके की बैठक में मंगलवार को वीके शशिकला को पार्टी के महासचिव पद से हटा दिया। पार्टी सुप्रीमो जे. जयललिता के निधन के बाद दिसंबर 2016 में उन्हें पार्टी महासचिव बनाया गया था।
पूर्व मुख्यमंत्री जयललिता के साथ उनकी 25 साल की 'गहरी दोस्ती' एकमात्र वो वजह है जो उन्हें राज्य के सत्तारूढ़ दल में एक मज़बूत हैसियत के साथ खड़ा करती है। जयललिता के निधन के बाद पैदा हुई अनिश्चितता की स्थिति में ओ पनीरसेल्वम राज्य के मुख्यमंत्री ज़रूर बन गए थे लेकिन पनीरसेल्वम के नाम को लेकर पार्टी में पूरी तरह से सहमति नहीं थी। इन परिस्थितियों के चलते शशिकला के नाम में पार्टी सदस्यों को वे संभावनाएं नज़र आईं कि वो पनीरसेल्वम की जगह ले सकती हैं लेकिन उस दौरान कोर्ट के फैसले और अन्न द्रमुक के अंदरखाने में चलने वाली उठापटक ने पार्टी के अर्स तक पहुंचने से पहले ही फर्श पर पहुंचा दिया। आइए नजर डालते हैं कि कॉमन मैन से वीआईपी बनी फिर बाद में सुपर वीआईपी ख्वाब देखने वाली शशिकला के पूरे विवाद राजनीति सफर पर.... 
घर की एंट्री ने खोले राजनीति के द्वार
जयललिता के घर-परिवार और उनके राजनीतिक विरासत को संभालने वाली शशिकला ने अपने भाषण में ख़ुद को 'पार्टी की उद्धारक' और अम्मा के सपनों को पूरा करने वाली बताया था। जयललिता और शशिकला की दोस्ती की शुरुआत 1984 में हुई थी। उस वक्त शशिकला एक वीडियो पार्लर चलाती थीं और जयललिता तत्कालीन मुख्यमंत्री एमजी रामाचंद्रन की स्क्रेटरी थीं। 1987 में एमजी रामचंद्रन की मृत्यु के बाद जब जयललिता मुश्किल दौर से गुजर रही थीं तब शशिकला ने उन्हें सहारा दिया था। उस वक्त पार्टी में जानकी रामचंद्रन के समर्थकों की ओर से जयललिता का विरोध हो रहा था और उन्हें पार्टी से बाहर निकालने की मांग हो रही थी। इसके बाद ही शशिकला अपने पति नटराजन के साथ जया के घर उनकी 'मदद' करने के लिए रहने लगीं।जेल जाने पर भी नहीं बनाई दूरियां 
जयललिता और शशिकला के रिश्त इतने मधुर थे कि जयललिता ने शशिकला के भतीजे वीएन सुधाकरन को गोद ले रखा था और उनकी भव्य शादी भी करवाई थी। फ़िज़ूलखर्ची को लेकर इस शादी की चर्चा देशभर में हुई थी। 1996 में चुनाव हारने और सत्ता से बाहर होने के बाद भी जयललिता ने शशिकला को पार्टी से हटाने की कैडरों की मांग नहीं मानी थी। पार्टी के कैडरों का कहना था कि शशिकला पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों और सत्ता के दुरुपयोग की वजह से पार्टी की छवि ख़राब हो रही है। इसी साल शशिकला को प्रवर्तन निदेशालय ने फ़ॉरेन एक्सचेंज रेगुलेशन एक्ट के तहत गिरफ़्तार किया था फिर भी जयललिता ने उनसे दूरी नहीं बनाई। 
शशिकाल का टिकट बांटने में अहम रोल   
बाद में उन्होंने शशिकला के गोद लिए भतीजे सुधाकरन और परिवार के कुछ दूसरे सदस्यों को ज़रूर छोड़ दिया। दो दफ़ा ज़रूर शशिकला को बाहर का रास्ता देखने के नौबत आई लेकिन दोनों ही बार वो जयललिता के घर में एक विजेता के तौर पर लौटीं। पार्टी के अंदर के लोगों का कहना था कि टिकट बांटने में शशिकला की अहम भूमिका होती थी, इसलिए पार्टी के वरिष्ठ नेता, मंत्री और विधायक उनके वफ़ादार बने रहते थे।
अलग किए गए शशिकला और दिनाकरन 
पार्टी के आईटी विंग के संयुक्त सचिव हरि प्रभाकरन ने ट्वीट किया है, "शशिकला और दिनाकरन को पार्टी के सभी पदों से हटा दिया गया है।" आम परिषद की बैठक में यह फ़ैसला लिया गया। बैठक में दिवंगत जयललिता को ही पार्टी के प्रमुख पद पर बनाए रखने का फ़ैसला लिया गया। उपमहासचिव के पद से शशिकला के भतीजे टीटीवी दिनाकरन को भी पद से हटा दिया गया है। अब पार्टी की कमान वे पदाधिकारी संभालेंगे जिन्हें जयललिता ने बहाल किया था। मुख्यमंत्री के. पलानीसामी और उपमुख्यमंत्री ओ. पनीरसेल्वम सहित पार्टी के अन्य लोग बैठक में मौजूद थे। 
फ़ैसले से नाराज़ दिखाई दिए दिनाकरन
समाचार एजेंसी के अनुसार टीटीवी दिनाकरन ने कहा है कि पार्टी को मद्रास हाई कोर्ट के फ़ैसले का इंतज़ार करना चाहिए था। उन्होंने कहा, ''मद्रास हाई कोर्ट के एक आदेश के अनुसार बैठक में लिए गए फ़ैसले इस विषय पर दायर की गई एक अपील के नतीजे पर निर्भर करेंगे और उसके बाद ही पता चलेगा कि शशिकला को पद से हटाया जाना 'सही' है या नहीं।'' इससे पहले इस विषय पर एक जज ने पार्टी की आम परिषद की बैठक पर रोक लगाने की गुज़ारिश को ख़ारिज करने के आदेश दिए थे। इसके ख़िलाफ़ दिनाकरन का समर्थन करने वाले एक विधायक की अपील की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने सोमवार रात बैठक करने की अनुमति दी और सुनवाई की अगली तारीख, 23 अक्तूबर को तय कर दी।

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