SC में दायर की गई याचिका, फिर से हो महात्मा गांधी की हत्या की जांच

Sunday, Oct 01, 2017 - 04:09 PM (IST)

नई दिल्ली: क्या द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान अमेरिका की खुफिया एजेंसी ऑफिस ऑफ स्ट्रेटेजिक र्सिवसेज (ओएसएस) ने महात्मा गांधी की रक्षा की कोशिश की थी? यह उन सवालों में से एक है जो सुप्रीम कोर्ट में दायर एक जनहित याचिका में उठाए गए हैं। याचिका में महात्मा गांधी की हत्या के मामले को फिर से खोलने का आग्रह किया गया है और कहा गया है कि क्या यह इतिहास में सबसे बड़ा ‘कवर-अप’ (मामले पर पर्दा डालना) है। याचिका दायर करने वाले अभिनव भारत, मुंबई के न्यासी एवं शोधकर्त्ता डॉ. पंकज फडनिस ने एक लिखित अभिवेदन में कहा है कि 30 जनवरी 1948 को महात्मा गांधी की हत्या के बाद यहां स्थित अमेरिकी दूतावास से वाशिंगटन के लिए टेलीग्राम भेजे गए थे और इससे संबंधित रिपोर्टों में से एक अब भी गोपनीय है।

उन्होंने इन टेलीग्राम में से एक को रिकॉर्ड में रखा है जो उन्हें इस साल मई में अमेरिका के मैरीलैंड स्थित नेशनल आर्काइव्ज एंड रिसर्च एडमिनिस्ट्रेशन से ‘‘आधिकारिक रूप से’’ प्राप्त हुआ था। फडनिस ने उल्लेख किया कि 30 जनवरी 1948 को रात आठ बजे यहां स्थित अमेरिकी दूतावास से भेजे गए ‘‘गोपनीय’’ टेलीग्राम के अनुसार जब गांधी को गोली मारी गई तो उस समय संवितरण अधिकारी टॉम रीनर उनसे पांच फुट की दूरी पर थे और भारतीय गार्डों की मदद से उन्होंने हत्यारे को पकड़ लिया था।

फडनिस ने याचिका के समर्थन में अपने लिखित अभिवेदन में कहा, ‘‘रीनर ने देर शाम दूतावास पहुंचने पर रिपोर्ट दर्ज कराई। हालांकि 70 साल बाद भी यह रिपोर्ट गोपनीय है। याचिकाकर्त्ता (फडनिस ने स्वयं) ने उक्त रिपोर्ट को सार्वजनिक कराने के लिए अमेरिका के सूचना की स्वतंत्रता के कानून (एफओआईए) के तहत एक आवेदन दायर किया है।’’ याचिका शीर्ष अदालत में छह अक्तूबर को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध है। फडनिस ने शीर्ष अदालत को अमेरिकी अधिकारियों से अपने संपर्क के बारे में सूचित किया है जिसमें उन्होंने उल्लेख किया है कि स्पष्टत: रीनर की डीब्रीफिंग के बाद उसी शाम बाद में तीसरा टेलीग्राम भेजा गया। इसे ‘गोपनीय’ रखा गया है।

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