किसानों के बाद अब दूध उत्पादकों पर सरकार मेहरबान

Thursday, Jul 19, 2018 - 09:53 PM (IST)

नई दिल्ली: देश में किसानों के लिए बड़े ऐलान किए जाने के बाद अब केंद्र सरकार ने दूध उत्पादकों को हो रहे नुक्सान की भरपाई के लिए बड़े कदम उठाने का ऐलान किया है। केंद्रीय कृषि एवं किसान भलाई मंत्रालय ने राजस्थान के स्कूलों में मिड-डे मील में बच्चों को दूध दिए जाने की शुरूआत करने की घोषणा की है। इसके अलावा कर्नाटक, बिहार और राजस्थान में आंगनबाड़ी केंद्रों पर भी इंटीग्रेटिड चाइल्ड डिवैल्पमैंट सर्विस (आई.सी.डी.एस.)स्कीम के तहत दूध की सप्लाई की जाएगी।

कृषि मंत्रालय की तरफ से पिछले साल दिसम्बर से इस मामले में राज्य सरकारों के साथ बातचीत की जा रही थी और दूध उत्पादकों की स्थिति को सुधारने के लिए दूध की खपत बढ़ाने के उपायों पर काम किया जा रहा था। इस संबंध में विभाग ने स्कूल शिक्षा बोर्ड के अलावा राज्यों के अन्य विभागों के साथ भी तालमेल किया था।

इससे पहले देश में लगातार सरप्लस हो रहे दूध के पाऊडर पर नियंत्रण करने के लिए सरकार ने विदेशों से आयात होने वाले दूध के पाऊडर पर इम्पोर्ट ड्यूटी 30 से बढ़ाकर 40 प्रतिशत की थी। ऐसा इसलिए किया गया क्योंकि देश में 4 से 5 लाख टन के आस-पास सरप्लस दूध पाऊडर है और देश में दूध पाऊडर का निर्माण करने वाली कम्पनियां दूध उत्पादकों से दूध नहीं खरीद रहीं लिहाजा महाराष्ट्र में दूध के दाम 15 रुपए प्रति किलो तक पहुंच गए थे। दूध के भाव में इतनी गिरावट से किसानों को भारी घाटा हो रहा था।

कृषि विभाग 10 प्रतिशत इन्सैंटिव से नहीं है संतुष्ट
कृषि मंत्रालय इस सिफारिश पर डायरैक्टर जनरल फोरेन ट्रेड (डी.जी.एफ.टी.) ने 13 जुलाई को ही दूध के पाऊडर के निर्यात पर 10 प्रतिशत इन्सैंटिव देने का नोटीफिकेशन जारी किया है लेकिन कृषि विभाग 10 प्रतिशत के इस इन्सैंटिव से संतुष्ट नहीं है और मौजूदा स्थिति को देखते हुए इन्सैंटिव की रकम 20 प्रतिशत करने की सिफारिश की गई है। इसके साथ ही कृषि मंत्रालय ने राज्यों के को-आप्रेटिव विभागों को 5 प्रतिशत की दर पर कर्ज मुहैया करवाने के लिए 300 करोड़ रुपए की रकम आरक्षित की है। इस रकम से दूध व डेयरी उत्पादन से जुड़े कारोबारियों को कर्ज दिया जाएगा। 

shukdev

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