आडवाणी की खरी-खरी, भाजपा ने अपने विरोधियों को कभी देश-विरोधी नहीं माना

Friday, Apr 05, 2019 - 05:25 AM (IST)

नेशनल डेस्कः वरिष्ठ भाजपा नेता और मार्गदर्शक मंडल के सदस्य लालकृष्ण आडवाणी ने 6 अप्रैल को भाजपा के स्थापना दिवस से पहले एक ब्लॉग लिखा है। उन्होंने अपने ब्लॉग में लिखा, “6 अप्रैल को भाजपा अपना स्थापना दिवस मनाएगी। बीजपी में हम सभी के लिए यह महत्वपूर्ण है कि हम पीछे देखें, आगे देखें और भीतर देखें। बीजेपी के संस्थापकों में से एक के रूप में मैंने भारत के लोगों के साथ अपने अनुभवों को साधा करना अपना कर्तव्य समझा है। खासतौर पर मेरी पार्टी के लाखों कार्यकर्ताओं के साथ। दोनों ने मुझे बहु स्नेह और सम्मान दिया है।

गांधीनगर सीट से टिकट कटने के बाद अपने ब्लॉग में लालकृष्ण आडवाणी ने लिखा है कि मैं गांधीनगर के लोगों के ले अपनी कृतज्ञता वयक्त करता हूं, जिन्होंने मुझे 1991 के बाद छह बार लोकसभा के लिए चुना है। उनके प्यार और समर्थन ने मुझे हमेशा अभिभूत किया है। मातृभूमि की सेवा करना मेरा जूनून और मेरा मिशन है, जबसे मैंने 14 साल की उम्र में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) ज्वॉइन किया है। मेरा राजनीतिक जीवन करीब सात दशकों से मेरी पार्टी के सात अविभाज्य रूप से जुड़ा रहा है। पहले भारतीय जनसंघ के साथ और बाद में भारतीय जनता पार्टी। मैं दोनों का संस्थापक सदस्य रहा हूं। पंडित दीन दयाल उपाध्याय, अटल बिहारी वाजपेयी और कई अन्य महान प्रेरणादायक और दिग्गजों के साथ मिलकर काम करने का मेरा सौभाग्य रहा है।

वरिष्ठ भाजपा नेता ने कहा, “मेरे जीवन का मार्गदर्शक सिद्धांत है, “नेशन फर्स्ट, पार्टी नेक्स्ट, सेल्फ लास्ट” सभी परिस्थितियों में मैंने इस सिद्धांत का पालन करने की कोशिस की है और आगे भी करता रहूंगा। भारतीय लोकतंत्र का सार विविधता और अभिवियक्ति की स्वतंत्रता का सम्मान है। पार्टी व्यक्तिगत और राजनीतिक स्तर पर प्रत्येक नागरिक की पसंद की स्वतंत्रता के लिए प्रतिबद्ध है। बीजेपी हमेशा मीडिया समेत हमारे सभी लोकतांत्रिक संस्थानों की स्वतंत्रता, अखंडता, निष्पक्षता और मजबूती की मांग करने में सबसे आगे रही है। चुनावी सुधार, राजनीतिक और चुनावी फंडिंग में पारदर्शिता हमारी पार्टी के लिए प्राथमिकता रही है।

ब्लॉग में लालकृष्ण आडवाणी ने लिखा है कि यह मेरी ईमानदार इच्छा है कि हम सभी को सामूहिक रूप से भारत की लोकतांत्रिकत शिक्षा को मजबूत करने का प्रयास करना चाहिए। सच है, चुनाव लोकतंत्र का त्यौहार है। लेकिन ये भारतीय लोकतंत्र में सभी हितधारकों-राजनीतिक दलों, जन संचार, चुनाव प्रक्रिया का संचालन करने वाले प्राधिकारियों और सबसे ऊपर, मतदाताओं द्वारा ईमानदार आत्मनिरीक्षण के लिए भी एक अवसर है।
 

 

Yaspal

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