संभल दौरे को लेकर राहुल गांधी और प्रियंका गांधी को रोकने के लिए प्रशासन की तैयारी, पुलिस का कड़ा पहरा
punjabkesari.in Wednesday, Dec 04, 2024 - 10:25 AM (IST)
नेशनल डेस्क: लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी और उनकी बहन प्रियंका गांधी वाड्रा 5 दिसंबर को संभल (Sambhal) के दौरे पर जाने की तैयारी में हैं। उनका उद्देश्य 24 नवंबर को संभल में हुई हिंसा के बाद मारे गए लोगों से मिलकर स्थिति का जायजा लेना है। हालांकि, स्थानीय प्रशासन ने संभल में 10 दिसंबर तक किसी भी नेता या सामाजिक कार्यकर्ता के प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया है।
प्रशासन की कड़ी तैयारी
राहुल और प्रियंका गांधी के संभल जाने की संभावना को लेकर प्रशासन ने पूरी तैयारी कर ली है। गाजीपुर NH9 पर पुलिस ने बैरिकेडिंग कर दी है और गाड़ी चालकों को जाम की समस्या का सामना करना पड़ रहा है। वहीं, दिल्ली के बॉर्डर पर भी पुलिस मुस्तैद है, ताकि राहुल गांधी और प्रियंका गांधी को राज्य सीमा में प्रवेश न करने दिया जाए। संभल दौरे से पहले राहुल गांधी और प्रियंका गांधी के घर से निकलने की खबरें सामने आई हैं। राहुल गांधी 10 जनपथ से और प्रियंका गांधी अपने आवास से संभल के लिए निकल चुकी हैं। इस दौरान गाजियाबाद पुलिस प्रशासन भी अलर्ट पर है, और पूरे दिल्ली-गाजियाबाद बॉर्डर पर पुलिस तैनात की गई है।
कांग्रेस का सवाल – सरकार किससे डर रही है?
कांग्रेस नेता अजय कुमार लल्लू ने कहा, "सरकार हमें क्यों रोक रही है? वे किससे डर रहे हैं? राहुल गांधी को यह अधिकार है कि वे देखें कि देश में क्या हो रहा है। क्या यह तानाशाही नहीं है?" उन्होंने यह भी सवाल किया कि यदि विपक्ष के नेता घटनास्थल पर नहीं जाएंगे तो वे संसद में इस मुद्दे को कैसे उठाएंगे? उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष अजय राय ने भी कहा, "राहुल गांधी और प्रियंका गांधी की यह यात्रा पीड़ित परिवारों से मिलकर उन्हें सहारा देने के उद्देश्य से है। यह यात्रा इलाके में सद्भाव और भाईचारे को बढ़ावा देने का प्रयास है।"
संभल हिंसा के बाद स्थिति क्या है?
संभल में 24 नवंबर को जामा मस्जिद के बाहर हिंसा भड़क उठी थी, जब कोर्ट के आदेश पर मस्जिद का सर्वे करने ASI की टीम पहुंची थी। इस दौरान पुलिस और स्थानीय लोगों के बीच झड़प हो गई थी, जिसमें चार लोगों की मौत हो गई और कई लोग घायल हो गए। हिंसा के बाद इलाके में तनाव का माहौल बन गया था, और चार दिन तक बाजार बंद रहे। स्थानीय प्रशासन ने स्थिति को नियंत्रित करने के लिए कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की है और उपद्रवियों की पहचान के लिए पोस्टर जारी किए हैं। हिंसा के कारण संभल में प्रशासन ने कड़ी निगरानी शुरू कर दी है। डीएम राजेंद्र पेंसिया ने भी साफ तौर पर कहा है कि 10 दिसंबर तक किसी भी बाहरी नेता या सामाजिक कार्यकर्ता को संभल में प्रवेश की अनुमति नहीं दी जाएगी, ताकि शांति और सद्भाव कायम रखा जा सके।
कांग्रेस का पलटवार
कांग्रेस नेताओं का आरोप है कि बीजेपी सरकार लोकतंत्र का हनन कर रही है। यूपी कांग्रेस अध्यक्ष अजय राय ने कहा कि यह लोकतंत्र की हत्या है और पुलिस तंत्र का दुरुपयोग है। उन्होंने प्रशासन के इस कदम को गलत ठहराया और इसे राजनीति से प्रेरित बताया। समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने भी संभल हिंसा का मुद्दा संसद में उठाया था और कहा कि यह घटना एक सोची-समझी साजिश का हिस्सा थी। उन्होंने आरोप लगाया कि इस हिंसा के पीछे बीजेपी और उनके समर्थकों का हाथ है। यादव ने यह भी कहा कि सरकार को इस मामले में कार्रवाई करनी चाहिए और जिम्मेदार लोगों को सजा दिलानी चाहिए।
कांग्रेस का स्थलीय दौरा रोकने के लिए प्रशासनिक कदम
सांसद राहुल गांधी और प्रियंका गांधी के संभल दौरे को लेकर प्रशासन ने कड़े कदम उठाए हैं। संभल के एसपी ने कहा कि 10 दिसंबर तक संभल में किसी भी राजनीतिक या धार्मिक जुलूस पर रोक है। प्रशासन ने धारा 144 के तहत किसी भी सार्वजनिक कार्यक्रम में पांच से अधिक लोगों के इकट्ठा होने पर प्रतिबंध लगा दिया है। इस बीच, दिल्ली और उत्तर प्रदेश के अधिकारियों के बीच समन्वय स्थापित किया गया है, ताकि राहुल गांधी को संभल तक पहुंचने से रोका जा सके। बताया जा रहा है कि यदि राहुल गांधी दिल्ली सीमा में घुसते हैं तो उन्हें वहां रोक लिया जाएगा, ताकि वे उत्तर प्रदेश की सीमा में प्रवेश न कर सकें।
क्या था संभल हिंसा का कारण?
संभल हिंसा की जड़ 24 नवंबर को जामा मस्जिद के सर्वे से जुड़ी एक याचिका से जुड़ी थी। हिंदू पक्ष ने अदालत में याचिका दायर की थी, जिसमें दावा किया गया था कि जामा मस्जिद श्री हरिहर मंदिर को तोड़कर बनाई गई थी। इस याचिका पर अदालत ने मस्जिद का सर्वे करने का आदेश दिया, जिसके बाद स्थानीय लोग और पुलिस आपस में भिड़ गए। इस हिंसा में चार लोगों की जान चली गई और कई लोग घायल हो गए।
अखिलेश यादव का बयान
समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने हिंसा के मुद्दे को गंभीरता से उठाया है और कहा कि यह एक सोची-समझी साजिश थी। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि हिंसा में कुछ लोगों के अलावा पुलिस प्रशासन भी जिम्मेदार था और इनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए। संभल में हुई हिंसा के बाद राजनीतिक दलों के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है। वहीं, कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने इस हिंसा के खिलाफ आवाज उठाते हुए सरकार से निष्पक्ष जांच की मांग की है। राहुल गांधी और प्रियंका गांधी के दौरे को लेकर प्रशासन के कड़े कदम और पुलिस की तत्परता ने इस मुद्दे को और तूल दिया है, और यह देखना होगा कि आगे इस मुद्दे पर राजनीतिक दबाव और प्रशासन की कार्रवाई किस दिशा में जाती है।