ऑफ द रिकॉर्डः बाबरी मस्जिद मामले में तो बरी हो गए लेकिन मोदी की कृपादृष्टि दोबारा नहीं पड़ी

Saturday, Oct 03, 2020 - 04:36 AM (IST)

नई दिल्लीः बाबरी मस्जिद मामले में विशेष अदालत ने चाहे 32 आरोपियों को बरी कर दिया हो, परंतु प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनमें से अधिकतर भाजपा नेताओं से दूरी बना ली थी। केवल उमा भारती को उन्होंने अपनी सरकार के पहले कार्यकाल में छोटे से समय के लिए केंद्रीय मंत्री बनाया था, बाकी कोई भी उनकी मेहरबानी प्राप्त नहीं कर सका। चाहे वे वरिष्ठ नेता लालकृष्ण अडवानी हों या मुरली मनोहर जोशी और कल्याण सिंह या तेजतर्रार विनय कटियार हों, कोई भी मोदी के करीब नहीं पहुंच पाया।

कल्याण सिंह काफी समय बाद राजस्थान के राज्यपाल बनाए गए थे, वो भी तब जब आर.एस.एस. नेतृत्व ने उनके स्वास्थ्य को देखते हुए इसके लिए अनुरोध किया था परंतु उन्हें दूसरी बार मौका नहीं दिया गया था। कल्याण सिंह के लिए इतना काफी था कि उनके पुत्र को लोकसभा की टिकट दी गई। परंतु विनय कटियार उतने भाग्यशाली नहीं रहे।

यद्यपि विनय कटियार लोकसभा सदस्य रहे और एक ओ.बी.सी. नेता के रूप में काफी लोकप्रिय भी हुए परंतु उन्हें 2018 में राज्यसभा की टिकट देने से इंकार कर दिया गया और कभी भी मंत्री नहीं बनाया गया। मोदी उन्हें क्यों नापसंद करते थे, इस बारे में पक्के तौर पर कुछ नहीं कहा जा सकता। 

उमा भारती मोदी के पहले कार्यकाल में मंत्री बनाई गई थीं परंतु बाद में उन्हें हटा दिया गया था। कुछ समय बाद उन्हें भाजपा का उपाध्यक्ष बनाया गया था परंतु उन्हें 2019 में लोकसभा की टिकट नहीं दी गई। हाल ही में उन्हें पार्टी के पद से भी हटा दिया गया। सूत्रों का कहना है कि 5 अगस्त को जब मोदी राम मंदिर का शिलान्यास करने अयोध्या गए थे, उस समय उमा भारती ने जो कुछ किया, उससे वह काफी खफा थे। बृजभूषण शरण सिंह व लल्लू सिंह यू.पी. से भाजपा के लोकसभा सांसद हैं। बृजभूषण 1991 से सांसद हैं परंतु उन्हें न तो सरकार और न ही पार्टी में कोई जिम्मेदारी दी गई। 

उन्हें 2019 लोकसभा चुनाव में पुन: टिकट दी गई थी, यही उनके लिए सांत्वना बचती है। भाजपा यू.पी. के पूर्व विधायक पवन पांडे तथा पूर्व सांसद डॉ. रामविलास वेदांती में से कोई भी इतना भाग्यशाली नहीं रहा कि उन पर मोदी की कृपादृष्टि होती। 

Pardeep

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