आरुषि-हेमराज हत्याकांड: हत्यारा कौन?

Thursday, Oct 12, 2017 - 05:39 PM (IST)

इलाहाबादः इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने आरुषि-हेमराज हत्याकांड मामले में आज एक महत्वपूर्ण फैसले में सीबीआई की विशेष अदालत का निर्णय निरस्त करते हुए राजेश तलवार और नुपुर तलवार को निर्दोष करार दिया। वहीं कोर्ट के फैसले के बाद अब सबसे बड़ा सवाल खड़ा हो गया है कि अगर तलवार दंपति ने आरुषि की हत्या नहीं की तो फिर हत्यारा कौन है। ऐसे में सीबीआई की जांच भी संदेह के घेरे में आ गई है। साथ ही सवाल खड़े हो गए हैं कि क्या आरुषि हत्याकांड की जांच अब दोबारा से शुरू होगी। पुलिस ने आरोपियों का नार्को भी करवाया था तो क्या वो टेस्ट कुछ साबित नहीं कर पाया। ऐसे कई अनसुलझे सवाल हैं जिनका जवाब सभी जानना चाहते हैं।

आज पूरी मीडिया की नजरें इस केस पर थी की कोर्ट क्या फैसला सुनाती है। कोर्ट के बाद सब हैरान रह गए क्योंकि कोर्ट ने सीबीआई की किसी थ्योरी को नहीं माना। उल्लेखनीय है कि न्यायमूर्ति बी.के. नारायण और न्यायमूर्ति ए. के. मिश्र की पीठ ने आरुषि तलवार और घरेलू सहायक हेमराज की सनसनीखेज हत्या के मामले में गाजियाबाद की विशेष सीबीआई अदालत के निर्णय के खिलाफ तलवार दंपति की अपील विचारार्थ स्वीकार की थी। उसी अपील पर आज अदालत ने अपना फैसला सुनाया है।

गाजियाबाद की विशेष सीबीआई अदालत ने आरुषि और हेमराज हत्या मामले में तलवार दंपति को 26 नवंबर, 2013 को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। अदालत ने कहा कि परिस्थितियों और रिकार्ड में दर्ज साक्ष्यों के मुताबिक तलवार दंपति को दोषी नहीं ठहराया जा सकता। इसी के साथ अदालत ने तलवार दंपति को आजीवन कारावास की सजा सुनाने का विशेष अदालत का निर्णय दरकिनार कर दिया।  इससे पूर्व, सात सितंबर को उच्च न्यायालय ने आरुषि हत्याकांड मामले में राजेश तलवार और नुपुर तलवार की अपील पर सुनवाई पूरी करते हुये कहा था कि इस पर फैसला बाद में सुनाया जायेगा। उल्लेखनीय है कि न्यायालय ने राजेश तलवार और नुपुर तलवार की बेटी आरुषि और घरेलू नौकर हेमराज की हत्या के मामले में उन्हें दोषी करार देने के फैसले के खिलाफ दायर अपील पर सुनवाई एक अगस्त को दोबारा शुरू की थी। 

पीठ ने कहा था कि सीबीआई के बयानों में मिले कुछ विराधाभासों के कारण इस मामले की दोबारा सुनवाई की जायेगी। आरुषि 15 मई, 2008 की रात अपने कमरे में मृत पाई गई थी और उसका गला किसी धारदार वस्तु से काटा गया था। शुरुआत में संदेह की सुईं हेमराज पर घूमी जो उस समय लापता था लेकिन दो दिनों बाद उसका शव उसी मकान की छत से बरामद किया गया था। अखबार की सु में रहे इस मामले की ठीक से जांच नहीं करने को लेकर उत्तर प्रदेश पुलिस की तीखी आलोचना के बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती ने मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी थी।

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