‘AAP’ सरकार के महंगे वकीलों पर बढ़ा विवाद

Thursday, Sep 29, 2016 - 09:34 AM (IST)

नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय में अपने मामले की पैरवी करने के लिए ‘आप’ सरकार द्वारा रखे गए महंगे वकीलों को फीस देने पर रोक लग गई है। उपराज्यपाल नजीब जंग के पक्ष में 4 अगस्त को आए दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसले के बाद से ही उन्हें फीस की रकम जारी नहीं हो रही है। इससे उच्च न्यायालय के फैसले के  खिलाफ सरकार  की ओर से उच्चतम न्यायालय में दायर याचिका की पैरवी प्रभावित हो सकती है। 

हर माह 2 लाख 70 हजार रुपए
विधि विभाग के सूत्रों के मुताबिक सरकार अपनी ओर से उच्चतम न्यायालय में नियुक्त 3 वकीलों को हर माह 2 लाख 70 हजार रुपए देती थी। विधि विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक ‘आप’ सरकार के आने से पहले दिल्ली सरकार के मामलों की उच्चतम न्यायालय में पैरवी केंद्रीय कानून मंत्रालय के अधीन आने वाली सैंट्रल लॉ एजैंसी के पैनल में शामिल वकील करते थे। पैनल में वकीलों की नियुक्ति से लेकर उनके भुगतान की दरों का निर्धारण भी केंद्र ही करता है। संबंधित केंद्र शासित प्रदेश उसके हिसाब से भुगतान करते हैं। 

पैरवी के लिए वकील मुहैया 
बता दें कि सैंट्रल लॉ एजैंसी ही सभी केंद्र शासित प्रदेशों के लिए उच्चतम न्यायालय में मामले की पैरवी के लिए वकील मुहैया करवाती है। सूत्र बताते हैं कि लेकिन ‘आप’ सरकार ने राजधानी में सत्ता की बागडोर संभालते ही अपने आपको राज्य मानते हुए अपने स्तर से उच्चतम न्यायालय में चिराग श्राफ  के नेतृत्व में 3 वकीलों का पैनल नियुक्त कर दिया। सरकार ने इनकी नियुक्ति में उपराज्यपाल से मंजूरी भी नहीं ली। सूत्र बताते हैं कि सरकार हर महीने हर वकील को अपने मुकद्दमों की पैरवी के लिए 90 हजार रुपए देती थी। विधि और वित्त विभाग के प्रधान सचिवों ने उपराज्यपाल की मंजूरी के बिना उन्हें फीस जारी करने से इंकार कर दिया है। 

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