आम आदमी पार्टी को लगा एक और बड़ा झटका

punjabkesari.in Tuesday, May 03, 2016 - 11:14 AM (IST)

नई दिल्ली: आम आदमी पार्टी को बड़ा झटका लगा है। आम आदमी पार्टी के संस्थापक सदस्य और पूर्व सांसद इलियास आजमी ने संगठन में ‘‘आंतरिक लोकतंत्र की कमी’’ और संयोजक अरविंद केजरीवाल के कथित ‘‘कामकाज के निरंकुश तरीके’’ का हवाला देते हुए आज पार्टी छोड़ दी। करीब एक हफ्ते पहले उन्हें पार्टी के शीर्ष नीति नियामक निकाय से हटा दिया गया था।  आजमी ने आरोप लगाया कि केजरीवाल जाति और समुदाय आधारित राजनीति कर रहे हैं और मुस्लिमों तथा पिछड़े वर्ग के लोगों की उपेक्षा कर रहे हैं। 

आजमी ने कहा, ‘‘पार्टी में कोई अंदरुनी लोकतंत्र नहीं है। यह एक व्यक्ति की जायदाद बनकर रह गई है।’’  उन्होंने दावा किया, ‘‘साथ ही मुस्लिमों और पिछड़े तबके के लोगों की पूरी तरह उपेक्षा हुई है। आप में मुस्लिमों का काफी कम प्रतिनिधित्व है। केजरीवाल सरकार में अहम पदों पर अपने समुदाय के लोगों की नियुक्ति कर रहे हैं। वह पार्टी में भी खुलेआम अपने समुदाय के लोगों को प्राथमिकता दे रहे हैं।’’ उन्होंने कहा कि वह भी वकील प्रशांत भूषण और राजनीति विज्ञानी से नेता बने योगेन्द्र यादव को पार्टी से निकाले जाने के खिलाफ थे।  

आजमी ने कहा कि आप का गठन जाति और समुदाय आधारित राजनीति के सिद्धांतों के खिलाफ हुआ था। उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन अब आप खुद ही समुदाय आधारित राजनीति में संलिप्त है, यह मुलायम सिंह यादव से भी ज्यादा समुदाय की राजनीति कर रही है इसलिए मैंने पार्टी की गतिविधियों में हिस्सा लेना बंद कर दिया।’’  बसपा के पूर्व सांसद रहे आजमी पार्टी के संस्थापक सदस्यों में शामिल थे। पार्टी में हुए फेरबदल के तहत आजमी को राष्ट्रीय कार्यकारिणी और पार्टी के राजनीतिक मामलों की समिति से हटा दिया गया था।  

उन्होंने कहा, ‘‘मैंने मायावती की बसपा को इसलिए छोड़ा क्योंकि वह एक व्यक्ति की पार्टी के तौर पर चल रही थी, लेकिन यहां केजरीवाल भी वही कर रहे हैं। इसलिए मेरे पास इसे छोडऩे के अलावा कोई चारा नहीं है।  उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और केजरीवाल की आलोचना करते हुए कहा, ‘‘तानाशाही की जगह तानाशाही नहीं ले सकती।’’ तमाम आलोचनाओं के बीच आजमी ने जद (यू) नेता और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की जीभर प्रशंसा की। उन्होंने कहा, ‘‘मैं इस नतीजे पर पहुंचा हूं कि इस समय नीतीश कुमार ही देश में एकमात्र व्यक्ति हैं जो लोकतंत्र और मानवीय मूल्यों में भरोसा करते हैं।’’

 

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