2 राज्य...1300 किमी का सफर, साथी की तलाश में निकला बाघ 6 महीने बाद मिला यहां
Wednesday, Dec 04, 2019 - 04:43 PM (IST)
नेशनल डेस्क: हर किसी की जिंदगी में एक ऐसा मौका आता है जब वो खुद को अकेला महसूस करता है। अकेलापन एक ऐसी बीमारी है जो इंसान को अंदर ही अंदर ही मार देती है। लेकिन क्या आप जानते हैं अकेलेपन को सिर्फ इंसान ही नहीं बल्कि जानवर भी महसूस करते हैं। ऐसा ही कुछ हुआ एक बाघ के साथ जो अपने अपने साथी की तलाश में 6 महीने तक पैदल चलता रहा। इस बाघ ने महाराष्ट्र और तेलंगाना राज्यों में 1,300 किलोमीटर से अधिक दूरी का सफर तय किया।
भारत में अभी तक सबसे ज्यादा समय और सबसे दूरी तय करने वाले इस बाघ को T1C1 के नाम से जाना जाता है। इसने जून में तिपेश्वर वन्यजीव अभयारण्य से बाहर कदम रखा। वहां से वह तेलंगाना के आदिलाबाद में चला गया, जंगलों में कुछ समय बिताया और फिर पिंगंगा अभयारण्य में प्रवेश किया। अक्टूबर में वह यवतमाल में इसापुर अभयारण्य में पहुंचे। वहां से वह हिंगोली जिले में दाखिल हुआ। हिंगोली जिले में भिड़ंत इंसानों से हुई और यह तब हुआ और यह तब हुआ, जब कुछ लोगों का एक समूह उसके आराम फ़रमाने वाली जगह में घुस आया। झाड़ियों वाली इस जगह पर हुए संघर्ष में बाघ ने एक व्यक्ति को "घायल" भी कर दिया था।
T1C1 ने चलना जारी रखा और वाशिम तक पहुंच गया। वहां से अकोला होते हुए बुलढाणा पहुंचा। उसकी की पूरी यात्रा रिकॉर्ड की गई क्योंकि वह रेडियो-कॉलर था। दरअसल महाराष्ट्र वन विभाग ने भारतीय वन्यजीव संस्थान, देहरादून के साथ मिलकर एक अध्ययन के तहत यह मॉनिटरिंग की थी। इस अध्ययन का मुख्य उद्देश्य यह देखना है कि किस तरह बाघ अपने लिए नई जगह तलाशते हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि ढाई साल का यह बाघ शायद अपने अनुकूल क्षेत्र, साथी या फिर शिकार की तलाश में है। इस बाघ की सबसे बड़ी खासियत यह रही की यह उन जगहों से गुजरा जहां लोगों की आबादी अत्यधिक थी लेकिन उसने किसी पर हमला नहीं किया। 1 दिसंबर को C1 ज्ञानगंगा अभयारण्य में पहुंचा। शिकार के हिसाब से ज्ञानगंगा एक अच्छा प्रबंधित वन्यजीव क्षेत्र है। यह उम्मीद की जा रही है कि वह शायद कुछ समय यहां बिता सकता है। बता दें कि भारत में बाघों के अधिकांश क्षेत्र भर चुके हैं और नए बाघ को नई जगह तलाशनी पड़ रही है।