देश की बदली सोच, 80 फीसदी लोग रखते हैं बेटी की चाह

Tuesday, Jan 23, 2018 - 06:47 PM (IST)

नेशनल डेस्क: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ की मुहिम का असर अब साफ दिखाई दे रहा है। देश के लोगों की बेटियों को लेकर सोच बदल रही है। नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे के आकड़ों के मुताबिक देश के 80 फीसदी लोग चाहते हैं कि उनके घर में बेटी का जन्म हो। इस सर्वे से यह बात सामने आई है कि जिस देश में बेटियों को अभिषाप माना जाता था अब वहां के लोग औलाद के रुप में बेटी की कामना करते हैं। 

ग्रामीण महिलाओं को बेटियां ज्यादा पसंद 
सर्वे में शामिल 15 से 49 साल की 79 प्रतिशत महिलाओं और 15 से 54 साल के 78 प्रतिशत पुरुषों को औलाद के रूप में कम से कम एक बेटी चाहिए। भारत की अनुसूचित जातियों से लेकर पिछड़े हुए भारत में भी लोगों को संतान के रूप में बेटी जरूर चाहिए। हैरानी की बात है कि पढ़े-लिखे लोगों की तुलना में ग्रामीण महिलाएं बेटी की चाह रखती हैं। सर्वे के मुताबिक 12वीं तक शिक्षित 72 प्रतिशत महिलाओं को बेटी चाहिए, जबकि 81 प्रतिशत अनपढ़ महिलाएं चाहती हैं कि उन्हें कम से कम एक बेटी जरूर हो। वहीं 80 प्रतिशत ग्रामीण पुरुष और शहरी क्षेत्रों में रहने वाले 75 प्रतिशत पुरुष एक बेटी की ख्वाहिश रखते हैं। 

जाति के मुताबिक भी निकाले गए आंकड़े
सर्वे में धर्म और जाति के मुताबिक भी आंकड़े निकाले गए हैं। करीब 81 फीसदी मुस्लिम, 79 फीसदी बौद्ध और 79 फीसदी हिंदू चाहते हैं कि घर में में कम से कम एक बेटी हो। एससी वर्ग की 81 फीसदी, एसटी वर्ग की 81 फीसदी और ओबीसी की 80 फीसदी महिलाएं घर में बेटी चाहती हैं। इसी तरह एससी वर्ग के 79 फीसदी और एसटी वर्ग के 84 फीसदी पुरुष यह चाहते हैं कि घर में बेटी हो। बात अगर बेटों की करें तो हर वर्ग और जाति में 82 प्रतिशत महिलाओं और 83 प्रतिशत पुरुषों को कम से कम एक बेटा चाहिए। सर्वे में यह भी सामने आया कि 19 फीसदी महिलाओं और पुरूषों को संतान के रूप में बेटियों की तुलना में अधिक संख्या में बेटे चाहिए। 

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