हंगामे के चलते राज्यसभा का 73% और लोकसभा का 53% समय हुआ बर्बाद

Thursday, Jan 10, 2019 - 04:18 PM (IST)

नई दिल्ली: विभिन्न मुद्दों पर विपक्षी दलों के हंगामे के कारण संसद के गत 11 दिसंबर को शुरू हुए शीतकालीन सत्र में राज्यसभा का 73 प्रतिशत और लोकसभा का 53 प्रतिशत समय बर्बाद हो गया। संसदीय कार्यमंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने आज दोनों सदनों में हुई कार्यवाही का विवरण देते हुए आज यहां संवाददाताओं को बताया कि लोकसभा में 29 दिन की अवधि में कुल 17 बैठकें हुईं और राज्यसभा में 30 दिन की अवधि में कुल 18 बैठकें हुईं। इस दौरान लोकसभा में 46 घंटे से ज्यादा और राज्यसभा में 27 घंटे से ज्यादा काम हुआ। उन्होंने बताया कि निचले सदन की उत्पादकता 47 फीसदी और ऊपरी सदन की 27 फीसदी रही। लोकसभा की कार्यवाही 8 जनवरी को और राज्यसभा की 9 जनवरी को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी गई थी।

तोमर ने बताया कि सत्र की विशेष उपलब्धि यह रही कि समान्य वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को नौकरियों और उच्च शिक्षण संस्थानों में प्रवेश में 10 प्रतिशत तक आरक्षण का प्रावधान करने वाले संविधान के 124वें संशोधन विधेयक को दोनों सदनों ने पारित कर दिया। उन्होंने विधेयक को ऐतिहासिक बताते हुए कहा कि देश के करोड़ों लोगों की लंबे समय से ऐसी इच्छा थी। यह सामान्य वर्ग के गरीबों को न्याय दिलाने वाला और उनके जीवन स्तर में बदलाव लाने वाला साबित होगा। उन्होंने इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त की कि दोनों सदनों में अधिकांश सदस्यों ने विधेयक का समर्थन किया। मंत्री ने बताया कि चालू वित्त वर्ष की दूसरी अनुदान माँगों से जुड़े विनियोग विधेयक समेत लोकसभा में कुल 12 विधेयक पेश किये गये और 14 विधेयक पारित किए गए।

राज्यसभा में पांच विधेयक पेश किए गए और चार विधेयक पारित किए गए। चार विधेयक दोनों सदनों से पारित से किए गए। इनमें संविधान का 124वां संशोधन विधेयक, ऑटिज्म न्यास से संबंधित विधेयक, नि:शुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा अधिकार से जुड़ा संशोधन विधेयक और राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद् (संशोधन) विधेयक शामिल हैं। इसके अलावा दूसरी अनुदान मांगों के विनियोग विधेयक धन विधेयक होने के कारण लोकसभा से पारित हो चुका है और 14 दिन बाद राज्य सभा से स्वत: पारित माना जाएगा। लोकसभा ने जिन अन्य महत्त्वपूर्ण विधेयकों को पारित किया उनमें तीन तलाक विधेयक, आधार एवं अन्य विधियां (संशोधन) विधेयक, सरोगेसी (विनियमन) विधेयक, कंपनी (संशोधन) विधेयक, उपभोक्ता संरक्षण विधेयक, उभयलिंगी व्यक्ति (अधिकारों का संरक्षण) विधेयक, डीएनए प्रौद्योगिकी (उपयोग और अनुप्रयोग) विधेयक और नागरिकता संशोधन विधेयक शामिल हैं।

Seema Sharma

Advertising