PM मोदी के नोट बैन के फैसले के कारण अस्पतालों में लटके सैकड़ों ऑप्ररेशन!

Monday, Nov 14, 2016 - 11:32 AM (IST)

नई दिल्ली: काले धन के खिलाफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सर्जिकल स्ट्राइक की सराहना के साथ आलोचना भी हो रही है। प्राइवेट डॉक्टरों ने प्रधानमंत्री के इस फैसले का स्वागत किया है, लेकिन निजी अस्पतालों एवं नर्सिंग होम को पुराने नोट नहीं लेने संबंधित निर्देश से परेशानी भी है। नोटों की आपाधापी के बीच निजी अस्पतालों में सैकड़ो ऑप्ररेशन टालने पड़े हैं। ऐसे में सबसे अधिक परेशानी दूर दराज राज्यों से दिल्ली पहुंचने वाले मरीजों को हो रही है।

निजी अस्पतालों में है अफरा-तफरी का माहौल
निजी अस्पतालों में पुराने नोट नहीं लेने की वजह से अफरा-तफरी का माहौल है। मरीजों के तमाम मिन्नतों के बाद भी निजी अस्पताल 500 एवं 1000 रुपए के पुराने नोटों को नहीं ले रहे हैं। अपोलो, फोर्टिस, गंगाराम, मैक्स एवं बीएलके समेत तमाम अस्पतालों में पहले से तय ऑप्ररेशन टालने पड़े हैं। निजी अस्पतालों के साथ-साथ नॄसग होम की भी स्थिति बेहद खराब है।
 

मरीजों की मिन्नतों को किया जा रहा है अनसुना
निजी अस्पताल प्रशासन की ओर से पुराने नोटों को जमा करने को लेकर मरीजों की मिन्नतों को अनसुना किया जा रहा है। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने भी निजी अस्पतालों को पुराने नोट लेने संबंधित छूट देने की मांग की थी। एसोसिएशन का तर्क है निजी अस्पतालों में भी भारी संख्या में मरीज इलाज के लिए पहुंचते हैं। ऐसे में स्वास्थ्य सुविधाओं की बेहतरी के लिहाज से सरकारी अस्पतालों के साथ-साथ निजी अस्पतालों को पुराने नोट लेने की छूट दिया जाना चाहिए था, जिससे निजी अस्पतालों में इलाज करा रहे मरीजों को असुविधा न हो। 
 

मरीजों को दिया जाना चाहिए विकल्प
फेडरेशन ऑफ रेजीडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन (फोर्डा) के संयोजक डॉ. अंकित ओम ने कहा कि निश्चित तौर पर प्रधानमंत्री की ओर से किया गया यह सराहनीय कार्य है, लेकिन निजी अस्पतालों में पहले से इलाज करा रहे मरीजों के लिए कुछ विकल्प दिया जाना चाहिए था। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि नैतिकता के आधार पर निजी अस्पतालों को पुराने नोट लेने चाहिए, जिसे बाद में बैकों में जमा कराया जा सकता है।

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