क्या अघोषित पैसे के लिए कानून बदला जाएगा!

Wednesday, Nov 16, 2016 - 10:48 AM (IST)

नई दिल्ली: राज्यों को आजादी के बाद से लेकर अब तक के आय खातों से जुड़े रिकार्ड को चैक करना चाहिए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस कठोर संदेश के साथ ही यह भी स्पष्ट कर दिया है कि वह अघोषित पैसे के लिए किसी भी तरह की दया दिखाने के मूड में नहीं हैं लेकिन इसके साथ ही विशेषज्ञों का यह भी मानना है कि क्या अघोषित पैसे के लिए कानून बदला जाएगा? क्या सरकार इस तरह का बड़ा जुआ बिना किसी विचार के खेल रही है या वाकई इससे कुछ लाभ सरकारी राजस्व में होगा। 

मौजूदा समय में कानून के जबड़े को टैक्स के रूप में थोड़ा मजबूत करना होगा जिससे उन लोगों के अघोषित धन को भी इस दायरे में लाया जा सके जो इसी के कारण बड़े आराम से बचते रहे हैं। क्योंकि इसके लिए कुछ नियम बेहद साधारण हैं जबकि पैनल्टी का बढ़ता बोझ उन पर अधिक है जिनकी आय इन्कम टैक्स रिटर्न के मामले में कम है जिसे आयकर अधिकारी ने आंका है। यह आय की धारा 270ए के तहत मिस रिपोॄटग और अंडर रिपोॄटग मानी जाती है लेकिन कैश जमाकत्र्ता विशेषतौर पर मौजूदा स्थिति में कइयों का मानना है कि अपने अघोषित फंड को बैंक खाते में डाल देना चाहिए और बहुत से इस कार्य में जुटे हैं। 

माना जा रहा है कि इससे धारा 270ए एक तरह से असफल होने वाली है। अर्थात यदि वे अघोषित पैसे को अपनी आय बताते हुए इस वर्ष का आई.टी. रिटर्न दाखिल करते हैं तो निश्चित रूप से आयकर अधिकारी उसे निर्धारित अंक से अधिक ऊपर नहीं आंक सकते हैं। इससे आयकर अधिकारियों के पास धारा 270ए को लागू करवाने और 200 प्रतिशत पैनल्टी लगाने के लिए कोई रास्ता नहीं बचेगा। जमा होने वाले धन जिसका सोर्स बताने में जमाकत्र्ता असमर्थ होगा, केवल उसी पर सरकार संभवत: शिकंजा कसने और काले धन के मामले में पैनल्टी लगाने की कार्रवाई को धारा 115 बी.बी.ई. (संशोधित) के तहत कर सकती है।

 

इस तरह के संशोधन को रखे जाने का प्रावधान उन पर पूरी तरह से लागू हो सकता है जिनसे अघोषित पैसे के बारे में कोई सही जानकारी नहीं मिल सकेगी। ऐसे लोगों से जुर्माना वसूला जा सकता है और पूछताछ हो सकती है। साथ ही ऐसे लोगों द्वारा जिन्होंने अवैध तरीकों से भी संपत्ति-धन अर्जित किया है, उससे भी इस पूरी प्रक्रिया में हाथ धोना पड़ सकता है। विशेषज्ञों में इस सवाल पर गहराई से विचार हो रहा है कि तो क्या सरकार अघोषित पैसे के लिए कानून में बदलाव का रास्ता अख्तियार करेगी?
 

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