नोटबंदी: पुराने नोटों के बदले बैंक ने दिए 4 हजार के सिक्के, व्यक्ति परेशान

Thursday, Nov 17, 2016 - 01:45 AM (IST)

पंचकूला, (मुकेश): केंद्र सरकार की ओर से 500 और 1000 रुपए के पुराने नोटबंदी की घोषणा का खमियाजा आम जनता को भुगतना पड़ रहा है। पंचकूला में थ्री-व्हीलर चलाने वाले लोकेश ने मेहनत करके रुपए जोड़े थे, लेकिन पुराने नोट बंद होने की घोषणा होने के बाद वह सैक्टर-11 के एक बैंक में गया। प्रफोर्मा भरकर उसने चार हजार रुपए एक्सचेंज करवाए। बैंक ने उसे 10-10 रुपए के सिक्के थमा दिए। खुले नोट नहीं मिल रहे थे। रोजमर्रा की जरूरतों को पूरा करने के लिए सिक्के रख लिए।

अब जब दूसरे बैंक में सिक्कों को दिया तो उन्होंने वह सिक्के लेने से साफ इंकार कर दिया। ऐसे में लोकेश मदद के लिए पुलिस के पास भी गया लेकिन पुलिस ने हाथ खड़े कर दिए। डी.सी. डा. गरिमा मित्तल को इस संबंध में शिकायत देने की बात कहकर लोकेश को पुलिस चौकी से चलता किया।

-थ्री-व्हीलर की किस्त के लिए बैंक में सिक्के जमा करवाने गया था

पंचकूला के सैक्टर-16 स्थित इंदिरा कालोनी में रहने वाले लोकेश ने अपनी आपबीती सुनाते हुए कहा कि पुराने नोटबंदी होने के बाद सैक्टर-11 स्थित इलाहाबाद बैंक में 4000 के पुराने 500 के नोट लेकर गया था। पुराने नोटों के एवज में बैंक ने उसे 10-10 रुपए के सिक्कों की चार पोटलियां (पॉलीथीन में) थमा दी। जब लोकेश ने सिक्कों की बजाए छोटे नोट मांगे तो बैंक ने कहा कि सिक्के बंद नहीं हुए हैं। लोकेश बैंक कर्मी की बात मान कर वहां से चला आया लेकिन जब अगले दिन सैक्टर-9 स्थित इंडसइंड बैंक में थ्रीव्हीलर की किस्त के लिए दो हजार रुपए जमा करवाने के लिए गया और काऊंटर पर 10-10 रुपए के सिक्के दिए तो बैंक कर्मी ने सिक्के लेने से ही इंकार कर दिया।

लोकेश ने आरोप लगाते हुए बताया कि वह सैक्टर-16 स्थित बैंक ऑफ इंडिया में भी गया लेकिन उन्होंने भी सिक्के लेने से साफ इंकार कर दिया। थ्री-व्हीलर में तेल डलवाने के लिए पंप पर गया। वहां पर सिक्के देने चाहे, लेकिन पंप वाले ने भी सिक्के लेने से इंकार किया। आखिरकार वह उसी इलाहाबाद बैंक में गया, जहां से उसे सिक्के दिए गए थे, लेकिन बैंक के मैनेजर ने उसकी एक न सुनी और सिक्के वापस लेने से भी इंकार कर दिया।

-पुलिस ने भी दे डाली डी.सी. को शिकायत देने की सलाह..

लोकेश ने इस संबंध में सैक्टर-10 स्थित पुलिस चौकी में शिकायत देनी चाही लेकिन पुलिस ने उसकी शिकायत लिखने की बजाए, उल्टा उसे डी.सी. डा. गरिमा मित्तल को शिकातय देने की सलाह दे डाली। ऐसे में लोकेश को समझ में नहीं आ रहा कि वह इन सिक्कों का करें तो क्या करे?

 

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