Panchayat Elections में 3000 उम्मीदवार निर्विरोध निर्वाचित, SC के चीफ जस्टिस हुए हैरान, दिए ये निर्देश
punjabkesari.in Wednesday, Nov 20, 2024 - 01:21 PM (IST)
नेशनल डेस्क : देश में विधानसभा चुनावों का माहौल गर्माया हुआ है, लेकिन इस बीच पंजाब के पंचायत चुनावों में एक ऐसा मामला सामने आया है, जिसने सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस संजीव खन्ना को भी चौंका दिया। दरअसल, पंजाब के पंचायत चुनावों में लगभग 3000 उम्मीदवार निर्विरोध निर्वाचित हो गए, जो एक बेहद अजीब और चौंकाने वाली घटना थी। इस मामले को सुनते हुए, चीफ जस्टिस खन्ना हैरान रह गए और उन्होंने कहा कि यह आंकड़ा बहुत ही अजीब है। उन्होंने ऐसा नजारा पहले कभी नहीं देखा था।
क्या हुआ पंजाब के पंचायत चुनावों में?
पंजाब के पंचायत चुनावों में 3000 से अधिक उम्मीदवार बिना किसी चुनावी मुकाबले के निर्विरोध निर्वाचित हो गए। ये उम्मीदवार अपने-अपने क्षेत्रों में बिना किसी विरोधी के चुनावी मैदान में उतरे और जीत गए। ऐसे मामलों में निर्वाचन आयोग के नियमों के तहत आमतौर पर दो या दो से अधिक उम्मीदवारों का मुकाबला होना चाहिए, ताकि चुनाव निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से हो सकें। लेकिन इस मामले में 3000 से अधिक सीटों पर चुनावी मुकाबला नहीं हुआ और उम्मीदवार बिना किसी चुनौती के चुनाव जीत गए।
सुप्रीम कोर्ट ने दिया अहम निर्देश
सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने इस मामले को लेकर कई अहम टिप्पणियां कीं। चीफ जस्टिस संजीव खन्ना ने कहा कि इस प्रकार के आंकड़े बेहद असामान्य हैं और इसे गंभीरता से देखने की आवश्यकता है। इसके बाद, कोर्ट ने इस मामले से संबंधित याचिकाओं पर सुनवाई की और निर्वाचन आयोग को आदेश दिया कि जिन उम्मीदवारों के नामांकन पत्र खारिज किए गए हैं या जिन्हें अन्य चुनावी अनियमितताओं का सामना करना पड़ा है, वे अपने मुद्दे को निर्वाचन आयोग के सामने उठाएं। कोर्ट ने यह भी कहा कि यदि पीड़ित उम्मीदवारों को लगता है कि उनके साथ न्याय नहीं हुआ है, तो वे निर्वाचन आयोग के समक्ष याचिका दायर कर सकते हैं।
क्या हैं चुनावी अनियमितताएं?
पंजाब पंचायत चुनावों में कई आरोप लगे हैं कि कुछ उम्मीदवारों के नामांकन पत्रों को जानबूझकर खारिज किया गया, जबकि अन्य ने वोटिंग प्रक्रिया में अनियमितताएं पाई। इस प्रकार के मामलों की जांच करने के लिए निर्वाचन आयोग को निर्देश दिए गए हैं ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि चुनाव पूरी तरह से निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से हुए थे।
यह घटना पंजाब पंचायत चुनावों में गंभीर अनियमितताओं की ओर इशारा करती है, जो लोकतंत्र की प्रक्रिया पर सवाल उठाती है। सुप्रीम कोर्ट का यह निर्देश यह सुनिश्चित करने के लिए है कि चुनावी प्रक्रिया में पारदर्शिता बनी रहे और कोई भी उम्मीदवार अपनी हक की लड़ाई से वंचित न हो। 23 नवंबर को चुनाव परिणामों के साथ-साथ इस मामले में भी कोई न कोई हल निकाले जाने की उम्मीद जताई जा रही है।