‘प्रदूषित वायु के कारण 2040 तक 2500 लोग मर सकते हैं रोजाना ’

Monday, Jun 27, 2016 - 10:31 PM (IST)

नई दिल्ली : बाह्य वायु प्रदूषण को रोकने के लिए कठोर नियमनों को लागू करने में सरकार के विफल रहने पर भारत में वर्ष 2040 तक प्रदूषित वायु के कारण रोजाना औसतन 2500 लोगों की मौत हो सकती है। यह बात आज एक रिपोर्ट में कही गई। अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (आईईए) की रिपोर्ट ‘वल्र्ड एनर्जी आउटलुक’ में इस बात का भी उल्लेख किया गया है कि 2015 में बाह्य वायु प्रदूषण से सालाना पांच लाख 90 हजार समय पूर्व मौत हुई।

यह औसतन रोजाना 1600 से अधिक है। अतिरिक्त 10 लाख समय पूर्व मौतें घरेलू वायु प्रदूषण की वजह से हुई। रिपोर्ट में कहा गया है कि नियम बिजली क्षेत्र के प्रदूषक उत्सर्जन में कटौती करने में प्रभावी है जबकि न्यू भारत छह मानदंड परिवहन में एनआेएक्स और पीएम 2.5 के उत्सर्जन में कटौती करता है लेकिन ये उपलब्धियां उद्योग क्षेत्र से उत्सर्जन में जबर्दस्त वृद्धि के मद्देनजर प्रति संतुलन से अधिक हैं। रिपोर्ट में मौजूदा नई नीतियों समेत दो परिदृश्यों का विश्लेषण किया गया है। 

स्वच्छ वायु परिदृश्य की वकालत करते हुए इसमें कहा गया है कि यह सकारात्मक प्रभाव प्रदर्शित करेगा जो समय पर और अधिक सख्त वायु प्रदूषण नियमनों का सार्वजनिक स्वास्थ्य पर हो सकता है। इसमंे यह भी कहा गया है कि अगर स्वच्छ रसोई स्टोव का इस्तेमाल बढ़ता है तो घरेलू वायु प्रदूषण से समय से पूर्व होने वाली मौतों की संख्या में तकरीबन आठ लाख की गिरावट आएगी।

दिल्ली की बात करते हुए रिपोर्ट में कहा गया है कि वायु में पीएम 2.5 का स्तर डब्ल्यूएचआे की वायु गुणवत्ता दिशा-निर्देश मूल्य से 10 गुणा से अधिक है। दिल्ली की वायु की गुणवत्ता एक दशक से अधिक समय से खराब है। रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘कुल नतीजा यह है कि वायु की गुणवत्ता 2040 तक महत्वपूर्ण नीतिगत चिंता का विषय बनी रहेगी। 

यद्यपि औसत जीवन प्रत्याशा का नुकसान 16 महीने घटा है लेकिन बाह्य वायु प्रदूषण से मरने वाले लोगांे की संख्या बढ़कर नौ लाख से अधिक हो गई है।’’ रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘घरेलू वायु प्रदूषण से समय से पूर्व होने वाली मौत घटकर तकरीबन आठ लाख पर पहुंच गई है क्योंकि स्वच्छ रसोई स्टोव का इस्तेमाल बढ़ा है।’’ 

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