अमेरिका में ट्रंप का नया टैरिफ हथौड़ा! 1 नवंबर से इन पर लगेगा 25% शुल्क, भारत समेत कई देशों को बड़ा झटका

punjabkesari.in Tuesday, Oct 07, 2025 - 08:14 AM (IST)

नई दिल्ली: अमेरिका के राष्ट्रपति और वर्तमान कार्यकाल में फिर से सत्ता में लौटे डोनाल्ड ट्रंप ने अंतरराष्ट्रीय व्यापार जगत को एक और झटका दे दिया है। वैश्विक स्तर पर टैरिफ युद्ध को हवा देने वाले ट्रंप ने अब मीडियम और हैवी कमर्शियल ट्रकों के इंपोर्ट पर सीधा वार किया है। नया आदेश 1 नवंबर 2025 से लागू होगा, जिसके तहत अमेरिका में बाहर से आने वाले इन ट्रकों पर 25 फीसदी आयात शुल्क लगाया जाएगा। यह फैसला ट्रंप के दूसरे कार्यकाल में घोषित टैरिफ नीति का ताजा कदम है और माना जा रहा है कि इससे भारत, चीन और यूरोप सहित कई देशों की वाहन निर्यात नीतियों पर बड़ा असर पड़ेगा।

अब ट्रक भी टैरिफ की जद में
अब तक स्टील, ऑटोमोबाइल, फार्मा और घरेलू फर्नीचर जैसे सेक्टर्स में भारी टैरिफ लागू करने के बाद, ट्रंप प्रशासन ने मीडियम और हेवी ड्यूटी ट्रकों पर 25% शुल्क लगाने का ऐलान किया है। ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म "ट्रुथ सोशल" पर इस निर्णय की पुष्टि की और लिखा: “1 नवंबर, 2025 से अमेरिका में बाहर से आने वाले सभी मीडियम और हेवी ट्रकों पर 25% टैरिफ लागू होगा। सभी को धन्यवाद जिन्होंने इस अहम फैसले की ओर ध्यान दिया।”

किन-किन सेक्टर्स पर पहले ही लागू हो चुके हैं टैरिफ?
दवाएं (ब्रांडेड/पेटेंटेड) – 100% शुल्क
सॉफ्टवुड लकड़ी – 10%
फर्नीचर – 25% से 30%
किचन कैबिनेट व बाथरूम वैनिटी – 25% से 50%
स्टील, एल्यूमिनियम, कॉपर – 50%
इंपोर्टेड कार और ऑटो पार्ट्स – 25%
इन टैरिफों से ट्रंप सरकार का उद्देश्य साफ है — घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देना और विदेशी आयात पर निर्भरता कम करना।

भारत, चीन और यूरोप पर असर कितना गहरा?
 भारत

भारत पर ट्रंप प्रशासन ने 25% रेसिप्रोकल टैरिफ तो पहले ही लागू किया था, लेकिन रूसी तेल पर अलग से 25% दंडात्मक शुल्क लगाकर भारत से आने वाले अधिकांश उत्पादों पर कुल 50% टैक्स भार ला दिया गया है।

 चीन
चीन के लिए हालात और भी मुश्किल हैं। चीन पर 34% तक का टैरिफ लगाया गया है, और संभावना है कि यह और बढ़े।

 यूरोपीय यूनियन
यूरोपीय संघ को 15% टैरिफ झेलना पड़ रहा है, जिसे पारस्परिक व्यापार प्रणाली के तहत तय किया गया है।

अमेरिकी कंपनियों को राहत, लेकिन उपभोक्ता होंगे परेशान
इस टैरिफ व्यवस्था में उन कंपनियों को राहत दी गई है जो अमेरिका के भीतर मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स लगाती हैं। लेकिन दूसरी ओर, घरेलू उपभोक्ताओं को महंगे प्रोडक्ट्स, ट्रकों और फर्नीचर आदि की बढ़ती कीमतों का सामना करना पड़ेगा। इसके साथ ही, औद्योगिक उत्पादों की लागत भी बढ़ेगी, जिससे लॉजिस्टिक्स और सप्लाई चेन प्रभावित हो सकते हैं।


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Content Writer

Anu Malhotra

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