अंग्रेजों के जमाने के 235 पुराने कानूनों को खत्म करने की मोदी सरकार ने की पहल

Tuesday, Dec 19, 2017 - 11:15 PM (IST)

नई दिल्लीः लोकसभा ने मंगलवार को 245 पुराने और अप्रासंगिक कानूनों को निष्प्रभावी बनाने वाले निरसन और संशोधन विधेयक 2017 तथा निरसन और संशोधन (दूसरा) विधेयक 2017 को मंजूरी दे दी। सदन में विधेयक पर चर्चा का जवाब देते हुए विधि और न्याय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि पुराने और अप्रासंगिक कानून को समाप्त करने की यह जो पहल शुरू की गई है, वह स्वच्छता अभियान हैं। हमारी देश की आजादी के 70 वर्ष हो गए हैं लेकिन आजादी के 70 वर्ष बाद भी अंग्रेजों के जमाने के कानून आज भी मौजूद हैं। ये ऐसे कानून है जो आजादी के आंदोलन को दबाने के लिए बनाये गए थे। हम उन्हें समाप्त करने की पहल कर रहे हैं।

उन्होंने कहा कि देश में कानून बनाना संसद का काम है और कौन सा कानून चलेगा या नहीं चलेगा। वह भी संसद को तय करना है। हम इस अधिकार को आउटसोर्स नहीं कर सकते। हमने इस बारे में सभी पक्षों के साथ व्यापक चर्चा की है। मंत्री के जवाब के बाद सदन ने ध्वनिमत से दोनों विधेयकों को पारित कर दिया। निरसन और संशोधन विधेयक 2017 के तहत 104 पुराने कानूनों को समाप्त करने का प्रस्ताव किया गया है जबकि निरसन और संशोधन (दूसरा) विधेयक 2017 के तहत 131 पुराने और अप्रसांगिक कानूनों को समाप्त करने का प्रस्ताव किया गया है।

ये हैं अंग्रेजों के जमाने के पुराने कानून  
निरसन और संशोधन (दूसरा) विधेयक 2017 के माध्यम से 131 पुराने और अप्रचलित कानूनों को समाप्त करने का प्रस्ताव किया गया है। इनमें सरकारी मुद्रा अधिनियम, 1862, पश्चिमोत्तर प्रांत ग्राम और सड़क पुलिस अधिनियम 1873, नाट्य प्रदर्शन अधिनियम 1876, राजद्रोहात्मक सभाओं का निवारण अधिनियम 1911, बंगाल आतंकवादी हिंसा दमन अनुपूरक अधिनियम 1932 शामिल है। पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार पिछले तीन वर्षों के दौरान 1200 पुराने और अप्रचलित कानूनों को समाप्त कर चुकी है।

विधेयक के उद्देश्यों और कारणों में कहा गया है कि यह विधेयक इसलिए लाया गया है क्योंकि पुराने हो चुके अप्रचलित अधिनियमों को खत्म करना आवश्यक हो गया था। इसके माध्यम से पुलिस अधिनियम 1888, फोर्ट विलियम अधिनियम 1881, हावड़ा अपराध अधिनियम 1857, सप्ताहिक अवकाश दिन अधिनियम 1942, युद्ध क्षति प्रतिकर बीमा अधिनियम 1943 जैसे अंग्रेजों के समय के पुराने और अप्रचलित कानूनों को समाप्त करने का प्रस्ताव किया गया है। 

विधेयक में शत्रु के साथ व्यापार (आपात विषयक उपबंधों का चालू रखना) अधिनियम 1947, कपास उपकर संशोधन अधिनियम 1956, दिल्ली किरायेदार अस्थायी उपबंध अधिनियम 1956, विधान परिषद अधिनियम 1957, आपदा संकट माल बीमा अधिनियम 1962, खतरनाक मशीन विनियमन अधिनियम 1983 सीमा शुल्क संशोधन अधिनियम 1985 शामिल है।

इससे पहले वाजपेयी सरकार ने उठाया कदम 
कानून मंत्री मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि अंग्रेजों के जमाने के कई कानून हैं जो अब अप्रासंगिक हो चुके हैं। अंतिम बार 2004 में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में यह काम हुआ था जिसके बाद 2014 में अपनी सरकार बनने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने कार्यकाल में हर रोज एक ऐसे कानून को निष्प्रभावी बनाने की बात कही थी। सरकार ने दो सदस्यों की समिति बनाई और 1824 कानूनों को निष्प्रभावी करने की आवश्यकता लगी।


 

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