हिन्दुत्व के आधार पर जीतेंगे 2019: सुब्रह्मण्यम स्वामी

Wednesday, Jan 31, 2018 - 09:41 AM (IST)

नेशनल डेस्कः बात कोई भी हो, होती है खरी-खरी। राजनीति हो या फिर धर्म। स्वामी स्पष्ट बोलते हैं और अडिग रहते हैं। पंजाब केसरी/नवोदय टाइम्स के कार्यालय में उन्होंने हर विषय पर बेबाकी से राय रखी। प्रस्तुत हैं प्रमुख अंश:

आपकी जनता पार्टी और आज की भारतीय जनता पार्टी में कितना अंतर देखते हैं?
मैं पहले जनसंघ में था। जनसंघ ही भाजपा है, ऐसा कहते हैं। जनसंघ में परिवार जैसा माहौल था। इसके बाद मतभेद के कारण मैं भाजपा में नहीं गया। जब स्थितियां अनुकूल बनीं तो मैं भाजपा में आ गया। दूसरे दलों की तुलना में भाजपा आज भी पारिवारिक माहौल वाला दल है।

आपके अनुसार वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में क्या स्थिति होगी?
हम हिन्दुत्व के आधार पर चुनाव जीतेंगे। इतिहास में केवल विकास से ही जीत नहीं मिली। मोरारजी देसाई ने महंगाई बहुत कम कर दी थी, लेकिन वह जीते नहीं। नरसिम्हा राव ने बड़े आर्थिक काम किए थे, लेकिन वह भी हार गए थे। अटल बिहारी वाजपेयी ने भी इंडिया शाइनिंग का नारा दिया था, लेकिन सफलता हाथ नहीं लगी थी।

शिवसेना भाजपा का साथ छोडऩे की बात करती है। क्या शिवसेना, अकाली दल की जरूरत नहीं पड़ेगी?
शिवसेना की जरूरत हमें पड़ेगी, वह हिन्दुत्व का हिस्सा है। थोड़ा दुखी हैं शिवसेना वाले, उनको मना लिया जाएगा। विधानसभा चुनाव तो वह अकेले ही लड़े थे, मैंने ही बात की और फिर साथ में लिया। अकाली छोड़कर कहीं नहीं जाएंगे। हिन्दू-सिख एकता के लिए यह बहुत जरूरी है।

क्या मतदाता केवल हिन्दुत्व के आधार पर ही वोट डालेंगे, विकास को नहीं देखेंगे?
हिन्दुस्तानी भावुक लोग हैं। मैंने पहले कहा कि आॢथक रूप से अच्छा करने वाले भी हार गए। देश के आम आदमी से हिन्दुत्व और विकास में से किसी एक को चयन करने के लिए कहेंगे तो वह हिन्दुत्व को ही चुनेगा आज की परिस्थिति में।

एक सर्वे में भाजपा 300 से ज्यादा सीटें पा रही है व कांग्रेस बढ़ रही है। कहीं कांग्रेस की सीटें और न बढ़ जाएं और भाजपा की कम हो जाएं?
जब तक हम हिन्दुत्व के नाम पर धोखा नहीं देते तब तक भाजपा को हराने वाला कोई नहीं। अब देश का हिन्दू खड़ा हो गया है। पहले वह हिचकता था, लेकिन अब वह खुलकर कहता है कि हम हिन्दू हैं।

संकेत है, आम बजट लोक लुभावन नहीं होगा?
बजट बहुत खराब होगा तो भी हम जीतेंगे। मैं फिर दोहरा रहा हूं। हिन्दुत्व पर और भ्रष्टाचार के मामले में दो-तीन बड़े लोगों को जेल भेज दूंगा मैं, बहुमत के लिए यह काफी है। हां, आॢथक रूप से अच्छा काम होगा तो जीत और भी अच्छी होगी। कभी ऐसा भी होता है कि किसी सरकार से नफरत करते हैं तो दूसरे को वोट दे देते हैं। दिल्ली निगम में भाजपा ने काम नहीं किया था तो केजरीवाल को वोट दे दिया, अगली बार नहीं देंगे।

सुप्रीम कोर्ट के चार जजों ने प्रैसवार्ता की थी, आपने उनका बचाव किया था?
सुप्रीम कोर्ट के जज प्रशासनिक मामलों को लेकर प्रैसवार्ता कर सकते हैं। यह अन्य लोकतांत्रिक देशों में भी होता है। चारों जजों ने मुकद्दमों की एलॉटमैंट ठीक ढंग से नहीं होने की बात कही। सभी जजों ने बताया कि उन्होंने चीफ जस्टिस से भी यह बात कही परंतु इसके बाद भी कुछ ठोस हल नहीं निकला, इसको देखते हुए सभी ने प्रैसवार्ता की। इसके बाद चीफ जस्टिस से मिलकर सारी बातें सुलझ गईं।

मोदी सरकार, सफल या विफल?
आर्थिक मामलों में देश विफल है। इसे दूर किया जा सकता है। लेकिन, सही लोगों को जिम्मेदारी देने की बात है।

नोटबंदी ठीक थी या गलत?
नोटबंदी बहुत अच्छी कल्पना थी। मैंने खुद 2014 में नोटबंदी करने की सलाह दी थी। लेकिन, साथ में यह भी कहा था कि नोटबंदी से पहले जितने नोट 100 रुपए के चल रहे हैं, उससे छह गुना नोट, 100 के ही छापे जाएं। सबको कहना चाहिए कि सभी लोग अपने नोट बैंक में जमा कर दें। जमा राशि पर सरकार 20 प्रतिशत टैक्स लेगी, 20 प्रतिशत राशि के बराबर आप नए नोट ले लें, बाकी 60 प्रतिशत राशि 2 प्रतिशत ब्याज दर पर पांच साल के लिए बैंक में फिक्स करनी होगी। अगर ऐसा किया जाता तो नोटबंदी बहुत सफल होती। नोटबंदी ठीक थी, तैयारी ठीक नहीं थी।

अमित शाह के प्रदर्शन पर क्या कहेंगे?
प्रदर्शन की बात की जाए तो जय जयकार कर सकते हैं। किसी ने सोचा था कि उ.प्र. में 73 लोकसभा सीटें आएंगी। असम में जीत गए। जहां एक भी सीट नहीं जीतते थे उस मणिपुर में जीत गए।

आप बहुत ज्यादा स्पष्ट बोलते हैं, अमत्र्य सेन को गद्दार तक कह दिया?
जी हां, वह देशद्रोही है। जरूरत पड़ेगी तो अदालत में इसके सबूत भी पेश कर दूंगा। नालंदा विश्वविद्यालय को नष्ट करने में उनका ही हाथ था। एक एसोसिएट प्रोफैसर महिला को उन्होंने वहां का वी.सी. बना दिया, जिससे सारे प्रोफैसर वहां से छोड़कर चले गए। जरूरत पड़ेगी तो अदालत में सबूत भी पेश कर दूंगा।

गाय को लेकर देश में चर्चा होती रहती है, आपका क्या कहना है?
गोहत्या पर प्रतिबंध लगना चाहिए। इसके लिए राष्ट्रीय कानून होना चाहिए। मैं संसद में निजी बिल भी इसके लिए पेश करूंगा। वह पास हो या नहीं हो, लेकिन दबाव तो बनेगा। गाय की हत्या करने वालों को  कम से कम 15 साल के लिए सजा मिलनी चाहिए। मृत्युदंड भी होना चाहिए। जो लोग इसके नाम पर खुद हथियार उठा लेते हैं उनको भी सख्ती से नियंत्रित करना चाहिए। गायों को बचाना हमारी अस्मिता का हिस्सा है। इसके लिए कुछ भी किया जा सकता है, सैस भी लगाया जा सकता है।

2जी स्कैम पर सी.बी.आई. कोर्ट के फैसले को आपने गलत कहा है, इस पर क्या कर रहे हैं?
दस हजार पन्नों का फैसला है। उसको पढ़कर सभी पहलुओं पर ध्यान देते हुए उसे न्यायालय में ले जाएंगे। हाईकोर्ट में हम जीतेंगे।

पद्मावत को लेकर आपका क्या कहना है?
फिल्म के आखिर में पद्मावती जान दे देती है। उसे डर था कि ऐसा नहीं किया तो उसे उठाकर ले जाएंगे। बस यही बात हिन्दू समाज याद नहीं करना चाहता। लेकिन, फिल्म यह याद दिलाती है इसलिए विरोध हो रहा है। भाजपा इसका खूब विरोध कर रही है। जहां तक सैंसर बोर्ड से पास होने की बात है वह अपनी सीमाओं में रहकर ही काम कर सकता है, लेकिन सरकार पर कानून व्यवस्था और सार्वजनिक व्यवस्था दोनों को सही रखने की जिम्मेदारी होती है। अगर विद्रोह जैसी स्थिति की बात सुप्रीम कोर्ट को बताई जाती तो आदेश कुछ और होता।

अब बात पूजा के मूलभूत अधिकार की है, फैसला जल्द
राम मंदिर निर्माण को लेकर क्या प्रगति है?

इलाहाबाद हाईकोर्ट के स्तर पर ही हम 95 प्रतिशत जीत हासिल कर चुके थे। वहां के फैसले में यह तो नहीं लिखा था, लेकिन ऑब्जर्वेशन में कहा था कि तीन में से एक गुंबद मुसलमान को दे देते हैं, जिसमें वह नमाज पढ़ लेंगे। इसी बात पर सुन्नी वक्फ बोर्ड इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था। अभी तक जो बहस होती थी वह प्रॉपर्टी के आधार पर होती थी। लेकिन, मैंने पूजा करने के मूलभूत अधिकार की बात कहते हुए नई याचिका डाली है। इसी कारण मुझे भी इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने पार्टी बना दिया। अब तक यह मामला संपत्ति विवाद को लेकर लड़ा जाता था, लेकिन मेरी याचिका से बहस मूलभूत अधिकार को लेकर होगी। मैंने कहा कि जहां भगवान राम पैदा हुए वहां इतने अंकुश हैं कि मैं पूजा नहीं कर सकता। या तो रुकावटें हटा दीजिए और मुझे पूजा करने दीजिए या मुकद्दमे का फैसला जल्दी सुनाया जाए। संपत्ति अधिकार और मूलभूत अधिकार में ज्यादा जरूरी मूलभूत अधिकार है।

कृषि पर ज्यादा जोर है जरूरी
70 साल में कुछ नहीं हुआ, क्यों कहते हैं?

कुछ नहीं हुआ, ऐसा नहीं कह सकते। हां, सोवियत मॉडल पर देश की आॢथक नीति को बनाकर 40 साल बर्बाद कर दिए। 1950 से 1990 तक कुछ नहीं हो सका। महात्मा गांधी और सरदार पटेल ने कहा था कि कृषि को प्राथमिकता दो और उद्योग बढ़ाओ। अगर उस पर काम किया गया होता तो हम बहुत आगे होते। बजट में कृषि के लिए विशेष व्यवस्था करनी होगी।

आपका क्या फॉर्मूला है?
किसान को निर्यात करने के लिए सभी सुविधाएं दे दीजिए, बाकी काम वह खुद कर लेगा। हमारे खेतों में साल भर में तीन फसलें हो सकती हैं, लेकिन
 केवल 25 प्रतिशत खेतों में ही एक से ज्यादा फसलें हो रही हैं। इस बात को ध्यान में रखकर किसान के लिए ऋण, पानी, बीज आदि की व्यवस्था कर दी जाए तो काफी बदल जाएगा।

लोकप्रिय नेताओं को किनारे नहीं कर सकते
आप कहते हैं कि भाजपा में लोकप्रिय नेताओं की अनदेखी होती है?

हां, मैंने ट्विटर पर भी लिखा है। वरुण गांधी काफी लोकप्रिय हैं, लेकिन उनको किनारे करके रखा गया है। इसी तरह कीर्ति आजाद और अन्य नेता भी हैं।

आप कहते हैं कि 2019 के लिए योगी को वरुण गांधी की मदद लेनी चाहिए?
चुनाव जीतने के लिए लोकप्रिय नेताओं की मदद तो लेनी ही पड़ेगी। एक ही व्यक्ति हर जगह कैसे जा सकता है।

लेकिन आपने एक ही नेता का सहयोग लेने के लिए क्यों कहा?
मैं और भी लोकप्रिय नेताओं के लिए कहूंगा। मैंने पहले ही बताया था, कीर्ति आजाद। बहुत सारे हमारे अच्छे नेता हैं। उनसे किनारा नहीं करना चाहिए।

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