Year Ender 2019: जब-जब देश में हुआ कुछ बड़ा...इंटरनेट सेवाएं हुईं बंद, मुश्किल में कटे लोगों के दिन

Monday, Dec 23, 2019 - 01:39 PM (IST)

नेशनल डेस्कः आज के समय में जब हर काम ऑनलाइन हो रहा है तो लोगों के लिए सबसे बड़ी जरूरत इंटरनेट बन गया है। जिस दिन नेट पैक खत्म हो जाए और कोई ऑनलाइन विजिट न कर पाए तो कई लोगों को अपनी जिंदगी में खालीपन-सा लगता है। आपको बता दें कि पूरी दुनिया में भारत ऐसा देश है जहां इंटरनेट पर रोक लगाए जाने के सबसे ज़्यादा केस होते हैं। सॉफ्टवेयर फ्रीडम लॉ सेंटर (एसएलएफसी) द्वारा जारी की गई एक रिपोर्ट में बताया गया है कि इस साल (2019 में) भारत में अब तक इंटरनेट शटडाउन के कुल 93 मामले सामने आ चुके हैं। वहीं, फोर्ब्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, इंटरनेट पर प्रतिबंध लगाने में भारत दुनिया में सबसे आगे है। साल 2019 में इंटरनेट बंद होने पर ऑनलाइन कामकाज करने वाले और सोशल मीडिया के यूजर्स खासे परेशान रहे। तो आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि साल 2019 में कब-कब और किन कारणों से भारत में इंटरनेट बंद किया गया।

दिसंबर 2019 (संशोधन नागरिकता कानून पर बवाल)
नागरिकता संशोधन कानून को लेकर हो रहे विरोध प्रदर्शन को देखते हुए उत्तर प्रदेश, असम, त्रिपुरा, दिल्ली, कर्नाटक, मेंगलुरु और पश्चिम ब में इंटरनेट बंद किया गया। मोबाइल के साथ लैंडलाइन इंटरनेट को भी कंपनियों ने बंद रखा। इससे लाखों उपभोक्ता प्रभावित हुए। नागरिकता संशोधन कानून को इस साल खासा विरोध प्रदर्शन हुआ। इसके चलते कई लोगों की जान भी चली गई। नागरिकता संशोधन कानून पर लेकर फैलाई जा रही अफवाहों ने हिंसक रूप ले लिया और कई जगह तोड़फोड़ और आगजनी भी हुई।

नवंबर (अयोध्या राम मंदिर पर फैसला)
9 नवंबर 2019 में अयोध्या राम मंदिर पर ऐतिहासिक फैसला आया। सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय पीठ ने एकमत होकर अयोध्या पर फैसला सुनाया और कहा कि इसमें कोई विवाद नहीं कि भगवान श्री राम का जन्म अयोध्या में हुआ था। कोर्ट के फैसले के बाद राम मंदिर का रास्ता अब साफ है। राम मंदिर पर फैसला आने से पहले उत्तर प्रदेश में सुरक्षा कड़ी कर दी गई थी और इंटरनेट सेवा बंद कर दी गई थी।

अगस्त (जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370)
5 अगस्त 2019 को जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 खत्म करने का फैसला लिया गया। इससे पहले राज्य में किसी अप्रिय घटना से बचे के लिए ऐतिहात के तौर पर धारा 144 लागू करने के साथ ही इंटरनेट सेवाएं भी बंद कर दी गईं। मोबाइल इंटरनेट, वायरलाइन या लैंडलाइन सर्विस के साथ ही वायर ब्रॉडबैंड इंटरनेट सेवाएं स्थगित की गई थीं। जम्मू-कश्मीर में काफी समय बाद इंटरनेट सेवा बहाल की गई थीं। आर्टिकल 370 हटने के बाद कश्मीर में अगस्त से लेकर नवंबर तक लगभग 133 दिन तक इंटरनेट सेवा बंद रही थी जो विश्व रिकॉर्ड है। जम्मू कश्मीर के अभी भी कई हिस्सों में इंटरनेट सेवाएं बंद हैं।

बुरहान वानी की तीसरी बरसी पर इंटरनेट शटडाउन
10 जुलाई को दक्षिण कश्मीर के अनंतनाग, पुलवामा, कुलगाम और शोपियां जिलों में मोबाइल इंटरनेट सेवाएं बंद की गई थीं। आतंकी बुरहान वानी की तीसरी बरसी के दिन के चलते सुरक्षात्मक नजरिए से ऐसा किया गया था।

सितंबर में एनकाउंटर के वक्त इंटरनेट शटडाउन
सितंबर में सेना की गोलीबारी में दो आतंकियों के मारे जाने के बाद जम्मू-कश्मीर के शोपियां में जब बड़े पैमाने पर सेना ने सर्च ऑपरेशन चलाया था, तब शोपियां में 27 जुलाई को इंटरनेट शटडाउन किया गया था। इससे पहले, अनंतनाग में सुरक्षा बलों के सर्च ऑपरेशन के चलते अनंतनाग जिले में इंटरनेट शटडाउन हुआ था। इसके एक दिन पहले, ऐसी खबरें आई थीं कि बारामूला जिले के सोपोर गांव के आसपास छुपे आतंकियों और सुरक्षाबलों के बीच क्रॉस फायरिंग के चलते वहां इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी गई थीं।

 

अगस्त (दिल्ली में गुरु रविदास मंदिर ढहाए जाने पर पंजाब में बवाल)
दिल्ली के तुग़लकाबाद में दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर गुरु रविदास मंदिर को ढहा दिया था जिस पर अब दिल्ली से लेकर पंजाब तक राजनीति गरमा गई थी। पंजाब में दो बार दलित संगठनों ने बंद बुलाया था। उस समय के हालात को देखते हुए पंजाब में भी कुछ दिनों के लिए इंटरनेट बंद कर दिया गया था।

2018 में इंटरनेट शटडाउन के कुल 134 मामले आए थे सामने
अकेले 2018 में ही भारत में इंटरनेट बंद करने के 134 मामले रिपोर्ट किए गए थे जो पूरी दुनिया में सबसे अधिक थे। स्टेट ऑफ़ इंटरनेट शटडाउन्स की रिपोर्ट के अनुसार भारत इस सूची में सबसे ऊपर था और दूसरे नंबर पर पाकिस्तान था, जहां इंटरनेट बंद किए जाने के मात्र 12 मामले थे।

65 बार सिर्फ जम्मू-कश्मीर में नेट बंद
2018 में 134 बार इंटरनेट बंद किया गया। इन 134 में से 65 बार तो जम्मू-कश्मीर में ही इंटरनेट बंद किया गया। 2019 के 91 मामलों में भी 55 मामले जम्मू-कश्मीर के ही हैं। 2017 में राज्य में 32 बार, 2016 में 10 और 2015 व 14 में 5 बार मोबाइल इंटरनेट सर्विस बंद किए जाने का रिकॉर्ड दिखता है यानी पिछले पांच सालों में यह लगातार बढ़ रहा है।

Seema Sharma

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