1993 मुंबई ब्लास्ट: टाडा कोर्ट ने सुनाया अहम फैसला, अबू सलेम दोषी करार

Friday, Jun 16, 2017 - 04:34 PM (IST)

मुंबई: मुंबई की एक विशेष टाडा अदालत ने वर्ष 1993 के मुंबई सिलसिलेवार बम धमाकों के मामले में मुख्य मास्टरमाइंड मुस्तफा दोसा और प्रत्यर्पित कर भारत लाए गए गैंगस्टर अबू सलेम को आज दोषी ठहराया। 2005 में शुरू हुए इस ट्रायल में करीब 12 साल बाद आज कोर्ट अपना अहम फैसला सुनाया।

किस पर कौन सा आरोप हुआ साबित
-अबू सलेमः मुख्य साजिशकर्त्ता, हमले की साजिश में शामिल, हत्या का भी दोषी पाया गया। धमाकों की साजिश, हथियार और विस्फोटक भरुच से मुंबई लाने का आरोप।
-मुस्तफा दोसाः दुबई से हथियार और विस्फोटक मुंबई भिजवाए, धमाकों की साजिश की पहली मीटिंग इसी के घर पर हुई।
-मोहम्मद दोसाः अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम का करीबी और हमले की साजिश को अंजाम देने में मददगार।
-ताहिर मर्चेंटः धमाकों के लिए पैसा जुटाया. कई आरोपियों को ट्रेनिंग के लिए पाकिस्तान भिजवाया।
-फिरोज अब्दुल राशिद खानः दुबई में साजिश के लिए मीटिंग में शामिल हुआ। हथियार और विस्फोटक लाने में मदद की।
-करीमुल्लाह शेखः अपने दोस्त को पाकिस्तान में आतंकी ट्रेनिंग दिलवाई। हथियार और विस्फोटक लाने में मदद की।
-अब्दुल कय्यूम: बाइज्जत बरी (दाऊद इब्राहिम के दुबई दफ्तर में मैनेजर था)।


विस्फोट में हुई थी 257 लोगों की मौत
इस बम विस्फोट में 257 लोगों की मौत हो गई थी जबकि 713 गंभीर रूप से घायल हुए थे और इससे 27 करोड़ रुपए की संपत्ति नष्ट हो गई थी। साल 2007 में पूरे हुए सुनवाई के पहले चरण में टाडा अदालत ने इस मामले में याकूब मेमन सहित सौ आरोपियों को दोषी ठहराया था जबकि 23 लोग बरी हुए थे। वर्ष 2007 में पूरी हुई पहली चरण की सुनवाई में टाडा अदालत ने इस मामले में 100 लोगों को दोषी करार दिया था जबकि 23 लोगों को बरी कर दिया गया था। सात आरोपी अबू सलेम, मुस्तफा दोसा, करीमुल्लाह खान, फिरोज अब्दुल राशिद खान, रियाज सिद्दकी, ताहिर मर्चेंट और अब्दुल कयूम के मुकद्दमे मुख्य मामले से अलग चले क्योंकि इन्हें मुख्य मुकद्दमे की सुनवाई खत्म होने के समय गिरफ्तार किया गया।

क्या हुआ था 1993 में
-मुंबई स्टॉक एक्सचेंज में दोपहर 1:30 बजे पहला धमाका हुआ।
-नरसी नाथ स्ट्रीट में दोपहर 2:15 बजे दूसरा धमाका
-शिव सेना भवन में दोपहर 2:30 बजे तीसरा धमाका
-एयर इंडिया बिल्डिंग में दोपहर 2:33 बजे चौथा धमाका
-सेन्चुरी बाज़ार में दोपहर 2:45 बजे पांचवां धमाका
-माहिम में दोपहर 2:45 बजे छठा धमाका
-झवेरी बाज़ार में दोपहर 3:05 बजे सातवां धमाका
-सी रॉक होटल में दोपहर 3:10 बजे आठवां धमाका
-प्लाजा सिनेमा में दोपहर 3:13 बजे नौवां धमाका
-जुहू सेंटूर होटल में दोपहर 3:20 बजे दसवां धमाका
-सहार हवाई अड्डा में दोपहर 3:30 बजे ग्यारवां धमाका
-एयरपोर्ट सेंटूर होटल में दोपहर 3:40 बजे बारहवां धमाका

अब तक के ट्रायल में क्या हुआ
-मुस्तफा दोसा 2004 में गिरफ्तार हुआ था। अबू सलेम का 2005 में पुर्तगाल से प्रत्यर्पण हुआ था। इसके अलावा बाकी के पांच आरोपी भी दुबई से भारत लाए गए थे।

-साल 2007 में मुंबई की विशेष टाडा अदालत ने 100 अभियुक्तों को सजा हुई थी। जिसमें याकूब मेमन को फांसी की सजा मिली थी

-सात आरोपियों सलेम, मुस्तफा दोसा, करीमुल्ला खान, फिरोज अब्दुल रशीद खान, रियाज सिददीकी, ताहिर मर्चेंट तथा अब्दुल कायूम की सुनवाई मुख्य मामले से अलग कर दी गई थी क्योंकि उन्हें मुख्य सुनवाई खत्म होने के वक्त गिरफतार किया गया था।

-मुंबई बम धमाकों का मुख्य आरोपी दाऊद इब्राहिम 1995 से फरार घोषित है और पाकिस्तान की सरपरस्ती में छिपा बैठा है। आने वाले फैसले का असर फरार आरोपियों के प्रत्यार्पण में भी मदद साबित होगा।

-सलेम ने अवैध रूप से हथियार रखने के आरोपी अभिनेता संजय दत्त को AK 56 राइफलें, 250 कारतूस और कुछ हथगोले 16 जनवरी 1993 को उनके आवास पर उन्हें सौंपे थे। दो दिन बाद 18 जनवरी 1993 को सलेम और उसके दो अन्य साथी संजय दत्त के घर गए और वहां से दो राइफलें तथा कुछ गोलियां लेकर वापस आए थे।

संजय दत्त से जुड़ी घटनाक्रम
- 1993 में मुंबई के सीरियल बम विस्फोट में जांच के दौरान डेढ़ साल जेल में रहे
- 31 जुलाई 2007 में लोअर कोर्ट से आर्म्स एक्ट के तहत संजू दोषी करार पाए गए।
- 6 साल सश्रम कारावास के साथ 25 हजार रुपए जुर्माने की सजा  
- 2013 में सुप्रीम कोर्ट ने संजय की सज़ा कम करते हुए 5 साल  कर दी।
-संजू ने मई 2013 में बाकी की साढ़े तीन साल जेल की सज़ा काटने के लिए सरेंडर किया।
- 90 दिनों का पैरोल दिसंबर 2013 के दौरान मिला, बाद में 30 दिन और जेल से बाहर रहे।
- फरवरी 2016 में सजा पूरी होने से 8 महीने रिहा किए गए।

अभियोजन पक्ष के अनुसार, बाबरी मस्जिद विध्वंस का बदला लेने के लिए भगोड़े डॉन दाऊद इब्राहिम ने फरार आरोपी टाइगर मेमन, मोहम्मद दोसा और मुस्तफा दोसा के साथ मिलकर भारत में आतंकवादी हमले करने की साजिश रची। अभियोजन ने कहा कि इस अपराध का उद्देश्य भारत सरकार को आतंकित करना, लोगों में आतंक पैदा करना, एक वर्ग के लोगों के लिए घृणा पैदा करना और साम्प्रदायिक सौहार्द को बिगाड़ने के इरादे से आतंकवादी हमले करना था। अभियोजन पक्ष ने साथ ही कहा कि षडयंत्रकारियों ने धमाके करने से पहले 15 बार मुलाकात की।

 

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