26/11 मुंबई हमले के 10 साल: जानिए कितनी मजबूत हुई हमारी समुद्री सीमाएं
Monday, Nov 26, 2018 - 04:07 PM (IST)
नेशनल डेस्कः 10 साल पहले, इसी दिन (26/11 को) मुंबई पर आतंकियों ने हमला कर दिया था। इस दौरान 166 लोगों की जान गई थी। हमला करने वाले पाकिस्तानी आतंकियों से लड़ते हुए अपनी जान कुर्बान करने वाले जाबांजों को आज भी पूरा देश याद करता है। 10 साल पहले इस आतंकी हमले ने हमारी तटीय सुरक्षा (कोस्टल सिक्यॉरिटी) में एक बड़ी खामी को उजागर किया था। 26 नवंबर 2008 को पाकिस्तानी आतंकी हथियारों के साथ समुद्री रास्ते से बिना किसी बाधा के भारत पहुंचे और मुंबई में तबाही मचा दी। इस हमले के बाद अब हमारी तटीय सुरक्षा पहले से कितनी मजबूत हुई जब इस पर गौर किया तो पाया गया कि 9 राज्यों और 4 केंद्र शासित प्रदेशों में फैले 7,516 किलोमीटर लंबे तटीय क्षेत्र को सुरक्षित करने के लिए जो प्रयास किए गए वो नाकाफी हैं। हालांकि अब इंटेलिजेंस और सुरक्षा एजेंसियों के बीच बेहतर तालमेल हैं लेकिन कुछ ऐसी कोशिशे हैं जो आज भी चिंता का कारण हैं।
कोस्ट गार्ड को जरूरी फंड नहीं
हमले के बाद कोस्ट गार्ड ने 15 सालों (2017 से 2032) के लिए 2 लाख करोड़ की योजनाएं बनाई जिसके तहत कोस्ट गार्ड के बेड़े में 190 जहाज और 100 एयरक्राफ्ट शामिल करने की योजना थी लेकिन पिछले कुछ सालों से सालाना डिफेंस बजट इसके लिए काफी कम पैसा बढ़ाया। यही वजह है कि कोस्ट गार्ड को जरूरी फंड नहीं मिल रहा और उसकी योजनाएं रूकी हुई हैं।मोदी सरकार ने 15 से अधिक मैरिटाइम एजेंसियों के बीच समन्वय के लिए 2014 में ही राष्ट्रीय समुद्री प्राधिकरण (NMA) का वादा किया था लेकिन अभी तक वो वादा पूरा नहीं हो पाया। राष्ट्रीय समुद्री प्राधिकरण (NMA) के लिए कोस्टल सिक्यॉरिटी बिल लाना होगा लेकिन अभी पर बहस भी शुरू नहीं हो पाई है।
2.2 लाख नावों की पहचान
समुद्र में बड़े स्तर पर पकड़ बनाए रखने के लिए बेहतर प्रशिक्षण चाहिए लेकिनअभी तक इसके लिए किसी खास प्रणाली को नहीं अपनाया गया है क्योंकि अभी तक तो मछुआरों की करीब 2.2 लाख नावों का अभी तक रजिस्टर्ड नहीं हो पाया है। मुंबई हमले के दौरान आतंकी कसाब और उसके साथी एक नाव को हाइजैक करके ही भारत पहुंचे थे और देश को कभी न भरने वाला घाव दे गए लेकिन अभी तक इस पर कोई हल नहीं निकाला गया है। इतना ही नहीं पुलिस पेट्रोलिंग के लिए जिन बोट्स का इस्तेमाल करती है उनकी हालत भी खासी अच्छी नहीं है। फर्स्टपोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक हालांकि पेट्रोलियम बोटों की सही समय पर मरम्मत करने के लिए गृह मंत्रालय तटीय राज्यों के साथ मिलकर काम कर रहा है लेकिन यह काम भी काफी धीमी गति से चल रहा है। हालांकि सरकार 2020 तक नए बोट की खरीद के लिए 1,451 करोड़ रुपए आवंटित कर चुकी है।