32 साल पुरानी फर्जी मुठभेड़ मामले में ये पुलिस अधिकारी दोषी करार

punjabkesari.in Friday, Aug 01, 2025 - 09:29 PM (IST)

मोहाली : 32 साल पुरानी फर्जी मुठभेड़ मामले में सी.बी.आई. कोर्ट ने एक एस.एस.पी. और एक डी.एस.पी. सहित पांच तत्कालीन पंजाब पुलिस अधिकारियों को दोषी करार दिया है। अदालत द्वारा दोषी ठहराए गए अधिकारियों में पूर्व एस.एस.पी. भूपिंदरजीत सिंह, डी.एस.पी. दविंदर सिंह, इंस्पैक्टर सूबा सिंह, ए. एस.आई. गुलबर्ग सिंह और ए.एस.आई. रघबीर सिंह शामिल हैं। अदालत ने दोषी ठहराए पांच अधिकारियों को आई.पी.सी. की धारा 120 बी (आपराधिक साजिश), 302 (हत्या), 201 (साक्ष्य नष्ट करना) और 218 (रिकॉर्ड में हेराफेरी) के तहत दोषी पाया गया है। उन्हें रिमांड पर लिया गया है और मामले की सुनवाई के लिए 4 अगस्त को होगी। सी.बी.आई. ने इस मामले में 2002 में 10 पुलिसकर्मियों के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया था। इस दौरान 5 आरोपियों की मौत हो गई और सूचीबद्ध 67 गवाहों में से 36 की। जिसके कारण केवल 28 गवाहों के बयान दर्ज किए गए। सी.बी.आई. के वकील अनमोल नारंग ने मामले का नेतृत्व किया और पीड़ित परिवारों के वकील सरबजीत सिंह वेरका ने कहा कि 32 साल बाद न्याय हुआ है।

उल्लेखनीय है कि यह मामला तरनतारन (जिला अमृतसर) के गांव रानी वाल से 3 एस.पी.ओ. सहित 7 युवकों के अपहरण और हत्या से संबंधित है, जिन्हें 1993 में पुलिस द्वारा किए गए 2 फर्जी मुठभेड़ों में मारा गया दिखाया गया था। सी.बी.आई. ने एस.पी.ओ. शिंदर सिंह की पत्नी नरिंदर कौर की शिकायत पर मामला दर्ज किया था। जांच के दौरान पता चला कि 27 जून 1993 की सुबह, सरहाली थाने के एस.एच.ओ. इंस्पैक्टर गुरदेव सिंह के नेतृत्व में एक पुलिस दल ने गांव रानी वाला से एस.पी.ओ. शिंदर सिंह, देसा सिंह, सुखदेव सिंह, बलकार सिंह और दलजीत सिंह को गिरफ्तार किया था। उन्हें सरहाली थाने में अवैध रूप से हिरासत में रखा गया था। हालांकि, दलजीत सिंह को अंततः रिहा कर दिया गया। लेकिन 12 जुलाई 1993 को पुलिस ने दावा किया कि बरामदगी अभियान के दौरान उन पर आतंकवादियों ने हमला किया और कथित क्रॉस-फ़ायरिंग में शिंदर सिंह, देसा सिंह, बलकार सिंह और मंगल सिंह मारे गए। इस मुठभेड़ को सही ठहराने के लिए एक प्राथमिकी दर्ज की गई, जिसमें हथियारों की बरामदगी भी दिखाई गई।
एक अन्य पीड़ित, सुखदेव सिंह, को एस.पी.ओ. के साथ अपहरण कर लिया गया था। सी.बी.आई. ने खुलासा किया कि भूपिंदरजीत सिंह और इंस्पैक्टर सूबा सिंह के नेतृत्व में वेरावल पुलिस ने बाद में हंसावाला गांव से सरबजीत सिंह और हरियाणा के कैथल से हरविंदर सिंह का अपहरण कर लिया और 28 जुलाई को एक मुठभेड़ में तीनों को मार डाला था।


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News Editor

Ashwani Kumar

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