Vampire Energy से हर महीने बढ़ता है बिजली का बिल, आपकी ये छोटी सी गलती पड़ सकती है भारी

punjabkesari.in Saturday, Sep 06, 2025 - 11:49 AM (IST)

गैजेट डेस्क: आजकल लगभग हर घर में स्मार्टफोन, लैपटॉप, टीवी जैसे इलेक्ट्रॉनिक उपकरण मौजूद हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि आपका मोबाइल चार्जर या अन्य डिवाइस का चार्जर इस्तेमाल के बाद भी अगर सॉकेट में लगा रहता है तो वह बिजली की चोरी कर रहा है? जी हां, यह चोरी असल में एक चुपचाप चल रही प्रक्रिया है जिसे Vampire Energy या Phantom Load कहा जाता है।

क्या है 'Vampire Energy'?

वैम्पायर एनर्जी का मतलब है - ऐसी बिजली की खपत जो तब होती है जब कोई डिवाइस इस्तेमाल में नहीं है, लेकिन फिर भी प्लग में जुड़ा रहता है। जैसे ही हम किसी चार्जर को सॉकेट में लगाते हैं, उसमें लगे ट्रांसफॉर्मर और सर्किट एक्टिव हो जाते हैं और यह बिना किसी कनेक्शन के भी बिजली की थोड़ी-थोड़ी मात्रा खींचते रहते हैं। भले ही यह खपत बहुत कम हो (0.1 से 0.5 वॉट), लेकिन जब यही आदत हर दिन और हर डिवाइस के साथ दोहराई जाती है तो महीने के अंत में बिजली बिल में कुछ यूनिट्स जुड़ जाते हैं और सालभर में यह एक बड़ी रकम बन सकती है।
भारत में लाखों घरों में यह आदत आम है कि चार्जर को चार्जिंग के बाद भी प्लग से नहीं निकाला जाता। बहुत से लोग सॉकेट का बटन भी बंद नहीं करते। उन्हें लगता है कि जब डिवाइस चार्ज हो चुका है और उससे कनेक्ट नहीं है, तो वह बिजली नहीं ले रहा। लेकिन एक्सपर्ट्स मानते हैं कि यह गलतफहमी है। दरअसल, इलेक्ट्रॉनिक डिवाइसेज़ खासकर चार्जर, टीवी, डीवीडी प्लेयर, गेम कंसोल्स आदि जब सॉकेट में लगे रहते हैं तो ये लगातार न्यूनतम बिजली की खपत करते रहते हैं।

एक नजर आंकड़ों पर

एक अकेला चार्जर भले ही सिर्फ 0.1 से 0.5 वॉट तक की बिजली की खपत करता हो, लेकिन जब घर में 5-6 ऐसे डिवाइस लगातार सॉकेट में लगे रहते हैं, तो कुल खपत कई वॉट तक पहुंच जाती है। यह खपत धीरे-धीरे बढ़ती है और महीने के अंत में 1 से 2 यूनिट तक का अतिरिक्त बिजली बिल बन सकती है। यही नहीं, अगर पूरे साल की बात करें तो यह आंकड़ा 12 से 24 यूनिट्स या उससे भी अधिक हो सकता है, जिससे उपभोक्ताओं को सैकड़ों रुपये का अतिरिक्त भुगतान करना पड़ता है। इस तरह की छोटी-छोटी आदतें धीरे-धीरे बड़ी बिजली बर्बादी और खर्च का कारण बन जाती हैं।

सिर्फ बिल ही नहीं, सेफ्टी भी है खतरे में

चार्जर को सॉकेट में लगातार प्लग करके रखने का एक और बड़ा नुकसान है ओवरहीटिंग। कई बार पुराने या खराब क्वालिटी के चार्जर ज्यादा गर्म हो जाते हैं और इससे आग लगने का खतरा भी बढ़ जाता है। इसके अलावा बिजली के वोल्टेज में उतार-चढ़ाव से डिवाइस या चार्जर खराब हो सकते हैं, जिससे उनकी लाइफ भी कम हो जाती है।

क्या करें ताकि बच सकें 'Vampire Energy' से?

वैम्पायर एनर्जी से बचने के लिए कुछ आसान लेकिन असरदार उपाय अपनाए जा सकते हैं। सबसे पहले, इस्तेमाल के तुरंत बाद चार्जर को सॉकेट से निकालने की आदत डालनी चाहिए। इसके अलावा, स्मार्ट प्लग या पावर स्ट्रिप का इस्तेमाल करना बेहतर होता है, जिससे एक ही स्विच से कई डिवाइस को कंट्रोल किया जा सकता है और जरूरत न होने पर सभी को एक साथ बंद किया जा सकता है। कोई भी डिवाइस या चार्जर तभी प्लग में लगाना चाहिए जब उसका उपयोग जरूरी हो। साथ ही, बच्चों और बुजुर्गों को भी इस विषय में जागरूक बनाना चाहिए ताकि वे भी इन सावधानियों को अपनाएं। अंत में, हमेशा अच्छी गुणवत्ता वाले चार्जर और इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का ही इस्तेमाल करना चाहिए, जिससे ओवरहीटिंग या शॉर्ट सर्किट जैसे खतरों से बचा जा सके। इन छोटे-छोटे कदमों से न केवल बिजली की बचत होती है, बल्कि सुरक्षा भी सुनिश्चित होती है।

चार्जर को अनप्लग रखने के फायदे

चार्जर को इस्तेमाल के बाद सॉकेट से unplug करने की आदत के कई फायदे हैं, जो सीधे आपकी जेब और सुरक्षा दोनों पर असर डालते हैं। सबसे पहला लाभ है बिजली की बचत, क्योंकि जब चार्जर प्लग में नहीं रहेगा तो महीने के अंत में बिजली के बिल में साफ फर्क नजर आएगा। दूसरा फायदा है सेफ्टी, क्योंकि प्लग में लगे रहने से चार्जर के ओवरहीट होने या आग लगने का खतरा काफी हद तक कम हो जाता है। इसके साथ ही, डिवाइस लगातार बिजली के संपर्क में नहीं रहेगा तो उसकी लाइफ भी लंबी होगी, जिससे चार्जर और अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरण जल्दी खराब नहीं होंगे। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इन सभी उपायों को अपनाकर आप साल भर में सैकड़ों रुपये की बचत कर सकते हैं, जो धीरे-धीरे एक बड़ी रकम बन सकती है।


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Content Editor

Ashutosh Chaubey

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