ऐसा दोष जिससे होती है दुर्भाग्य में वृद्धि, मुक्ति हेतु करें ये उपाय

Tuesday, Sep 20, 2016 - 08:54 AM (IST)

पितरों की अतृप्ति के कारण वंश को जिन कष्टों का सामना करना पड़ता है, उसे पितृ दोष कहा जाता है। इस दोष से दुर्भाग्य में भी वृद्धि होती है। पितृ दोष एक ऐसा दोष है जो अधिकतर कुंडली में होता है। इस प्रकार का दोष होने पर व्यक्ति को कई प्रकार की परेशानियों का सामना करना पड़ता है। लोग पितृदोषों से मुक्ति हेतु हरिद्वार अौर नासिक आदि स्थानों पर जाते हैं। यहां जानिए पितृ दोष से जुड़ी खास बातें... 

* श्राद्धपक्ष अौर हर माह की अमावस्या पर पितरों की शांति के लिए पिंडदान अौर तर्पण करने से पितृदोष से मुक्ति पाई जा सकती है।  

* बेटे द्वारा श्राद करने से मृत व्यक्ति की आत्मा को पुर नामक नर्क से मुक्ति मिलती है। पितर दोष का पता कुडंली के अध्यनन से ही लगता है।

*  कर्मलोपे पितृणां च प्रेतत्वं तस्य जायते।
   तस्य प्रेतस्य शापाच्च पुत्राभारः प्रजायते।

अर्थात- कर्मलोप की वजह से जो पूर्वज मृत्यु के बाद प्रेत योनि में चले जाते है। उनके श्राप से पुत्र संतान की प्राप्ति नहीं होती है। प्रेत योनि में पितर को कई कष्टों का सामना करना पड़ता है। यदि उनका श्राद न किया जाए तो वे हमें नुक्सान पहुंचाते हैं।पितरों का श्राद करने से समस्याएं स्वयं समाप्त हो जाती हैं।

*  शास्त्रों के अनुसार 
’’पुत्राम नरकात् त्रायते इति पुत्रम‘‘ एवं ’’पुत्रहीनो गतिर्नास्ति‘‘

अर्थात- जिनके पुत्र नहीं होते उन्हें मरोणोपरांत मुक्ति नहीं मिलती। पुत्र द्वारा किए श्राद कर्म से ही मृत व्यक्ति को पुत नामक नर्क से मुक्ति मिलती है इसलिए सभी लोग पुत्र प्राप्ति की इच्छा रखते हैं।

* मत्यु से पूर्व जब किसी व्यक्ति की इच्छाएं अधूरी रह जाती है, यदि मृतक के परिजनों द्वारा उसकी अंतिम इच्छा अौर अधूरे कार्य पूरे न किए जाएं तो मृत व्यक्ति की आत्मा पृथ्वी लोक में ही भटकती रहती है। 

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