महाभारत में स्वयं श्री महालक्ष्मी ने बताया है अपना निवास स्थान

Thursday, Apr 28, 2016 - 11:55 AM (IST)

भगवान विष्णु के आदेश पर देव-दानवों ने क्षीर सागर का मंथन किया और अन्य रत्नों के साथ लक्ष्मी भी जल के ऊपर आईं। लक्ष्मी यानी चंचला लेकिन विष्णु को पति के रूप में वरण कर वह शेषशायी की सहचरी के आदर्श रूप पतिपरायण यानी श्री महालक्ष्मी के रूप में स्वीकार की गईं।
 
 
श्री महालक्ष्मी, जो तमोगुण रूप धारण कर महाकाली भी कहलाईं, सत्वगुण सम्पन्न होने पर महासरस्वती हैं। दोनों का संयुक्त स्वरूप यानी स्थिर लक्ष्मी है। यही वजह है कि दीवाली पूजन में लक्ष्मी जी के साथ सरस्वती जी भी शामिल रहती हैं। श्री महालक्ष्मी यानी विष्णु की शोभा, शक्ति, कांति, श्री। श्री विष्णु की गूढ़ माया शक्ति जब मूर्त होती हैं तो वह लक्ष्मी रूप में होती है। श्री महालक्ष्मी के मंदिर में उनका वाहन वनराज सिंह होता है लेकिन साथ होती हैं लक्ष्मी से संबंधित वस्तुएं- कमल, गज, सुवर्ण और बिल्व फल। नैवेद्य में उन्हें खड़ी शक्कर और दूध जैसे सहज-सुलभ पदार्थ पसंद हैं।
 
 
महाभारत में स्वयं श्री महालक्ष्मी ने बताया है कि मैं कहां-कहां हूं-मैं प्रयत्न में हूं, उसके फल में हूं। शांति, प्रेम, दया, सत्य, सामंजस्य, मित्रता, न्याय, नीति, उदारता, पवित्रता और उच्चता-इन सब में मेरा निवास है।


श्री महालक्ष्मी के 8 रूप 2 तरह से बताए गए हैं:
1. धन लक्ष्मी/धान्य लक्ष्मी/शौर्य लक्ष्मी/धैर्य लक्ष्मी/विद्या लक्ष्मी/विजय लक्ष्मी/कीर्त लक्ष्मी/राज्य लक्ष्मी।
 
2. आदि लक्ष्मी/धन लक्ष्मी/धान्य लक्ष्मी/ऐश्वर्य लक्ष्मी/गज लक्ष्मी/वीर लक्ष्मी/विजय लक्ष्मी/संतान लक्ष्मी

 

Advertising