सुंदरकांड: सुबह के समय हनुमान जी का नाम लेने से दिन भर भोजन नहीं मिलता!

punjabkesari.in Tuesday, Aug 09, 2016 - 10:31 AM (IST)

शास्त्रों के मतानुसार केवल हनुमान जी ऐसे देव हैं जो सशरीर आज भी धरती पर विराजमान हैं। जो कोई उन्हें प्रेम से ध्याता है वह उसके सभी मनोरथ पूर्ण करते हैं। श्रीराम व सीता माता ने रामायण में उन्हें संकट मोचन कहा है। मां सीता ने ही हनुमान जी को उनकी असीम सेवा भक्ति से प्रसन्न होकर अष्ट सिद्धियों तथा नव-निधियों का स्वामी बनाया।
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वैसे तो श्री रामायण का कोई ऐसा अंश नहीं जो महत्वपूर्ण न हो लेकिन सुंदरकांड का पाठ करने से हनुमान जी की कृपा शीघ्र प्राप्त की जा सकती है। रामचरितमानस के सात कांड हैं। सुंदरकांड चौथा अध्याय है। इसका पाठ करने से सभी प्रकार की चिंताएं, बिगड़े कार्य, आत्मविश्वास की कमी अौर हर प्रकार की परेशानियां खत्म हो जाती हैं। सुंदरकांड के प्रत्येक दोहे, चौपाई एवं शब्द में प्रगाढ़ अध्यात्म के दर्शन किए जा सकते हैं।
 
सुन्दरकांड के एक प्रसंग अनुसार हनुमान जी हरि भक्त विभीषण को कहते हैं, "प्रात: नाम जो लेई हमारा ता दिन ताहि न मिलै अहारा" 
 
अर्थात: हनुमान जी कहते हैं कि सुबह के समय जो उनका नाम लेता है उस जातक को दिन भर भोजन प्राप्त नहीं होता। 
 
हनुमान जी जब लंका में प्रवेश करते हैं तो देखते हैं चारों ओर मायाविनी, राक्षसी और निशाचरी शक्तियों का आंतक फैला हुआ है। तभी उन्हें एक अलग तरह का घर दिखता है जहां से श्री हरि का गुणगाण करते हुए विभीषण निकलते हैं। वे हैरान होकर देखते हैं पिशाचों की नगरी में यह श्री हरि भक्त कौन हैं? 
 
हनुमान जी विभीषण से भेंट करते हैं और उन्हें अपना परिचय देते हैं। दोनों में संवाद आरंभ होता है।
 
विभीषण कहते हैं," मैं तो जन्म से ही अभागा हूं। मेरा तो यह राक्षस का अधम शरीर ही है और मन में भी प्रभु के पद कमल के प्रति प्रीति नहीं उपजती, आज आप जैसे संत ह्रदय से भेंट हुई है तो यह तो हरि की कृपा ही है।"
 
उस समय हनुमान जी को आभास होता है कि विभीषण के मन में अपने राक्षस रूप को लेकर हीन भावना घर कर गई है। तब उन्होंने स्वयं का उदाहरण देकर उन्हें वाक् चातुर्य से संतुष्ट किया और कहा," अब मैं ही कौन सा कुलीन हूं विभीषण? और एक वानर के रूप में मैं भी तो सब तरह से, तन मन से हीन ही हूं और लोक श्रुति तो यह भी है कि अगर कोई सुबह हमारा नाम (वानर का नाम) ले ले तो उसे दिन भर आहार नहीं मिलेगा।"
 
रुद्रावतार हनुमान जी श्रीरामोपासना के परमाचार्य है। राम-भक्ति के संरक्षक का आशीर्वाद पाकर ही राम कृपा पाई जा सकती है। उनका नाम स्मरण कभी भी किसी भी समय किया जा सकता है। हनुमान जी की सेवा में कोई विशेष प्रयास करना नहीं पड़ता। हनुमान जी को प्रसन्न करने के लिए केवल दो शब्द बोलें जय सीताराम। संसार की ऐसी कोई कामना नहीं जिसे हनुमान जी पूरी नहीं करते। हनुमान जी को राम भक्त बहुत प्रिय हैं। हनुमान जी की उपासना करने का दो शब्द का जाप बहुत ही सरल व सहज माध्यम है उनसे अपनी इच्छाएं पूर्ण करवाने का। 
आचार्य कमल नंदलाल
ईमेल: kamal.nandlal@gmail.com 

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