आपका बच्चा दूसरे के बच्चे से कम इंटेलिजेंट तो नहीं जानें, कारण और निवारण

Friday, Feb 05, 2016 - 02:00 PM (IST)

यह जगत की रीत है की हर प्राणी को अपने बच्चे सबसे प्रिय होते हैं  क्योंकि व्यक्ति अपना पूरा जन्म कर्म कर जो संजोता है वो अपने बच्चों के लिए ही संजोता है। आज की प्रतिस्पर्धा के युग में बच्चों का कुशल और बुद्धिमान होना अत्यंक अवश्यक है और हर व्यक्ति यथा प्रयास करता है की उसके बच्चे कुशल, बुद्धिमान और सफल बनें परंतु तुलनात्मक दृष्टी से देखा जाए तो कहीं न कहीं हर किसी को लगता है की उसके बच्चे पड़ोसी या जान-पहचान वाले के बच्चों से कम इंटीलैंजट हैं। ज्योतिष संदर्भ संपूर्ण स्टीकता से बता सकता है की इसके पीछे क्या कारण हैं और इसका क्या निवारण है?

कालपुरूष सिद्धांत के अनुसार व्यक्ति की कुण्डली का पंचवां भाव संतान को संबोधित करता है तथा वैदिक ज्योतिष की वर्ग तकनीक अनुसार सांतवां वर्ग अर्थात सपतांश बच्चों और बच्चों की स्थिती को निर्धारित करता है। इसके साथ-साथ पंचमेश का बल, फल और उसकी कलांश निर्धारित करती है की बच्चे कैसे होंगे और उनका जीवन कैसा होगा। पंचम भाव में क्रूर ग्रह का बैठना या क्रूर ग्रह की दृष्टि अथवा पंचमेश का नीच होकर वेधा स्थान में बैठना या सप्तमांश वर्ग कुण्डली में पंचम भाव या पंचमेश का पीड़ीत होना आपकी संतान को बुद्धिहीन या मंदबुद्धि और भाग्यहीन बना सकता है।  ऐसे में ज्योतिष की सहायता लेकर और पंचम भाव और पंचमेश को बल देकर तथा छोटे-छोटे उपाय करके आप अपने बच्चों को सुपर इंटेलिजेंट बना सकते हैं।

* श्री कृष्ण को मोर पंख चढ़ाकर बच्चे के स्टडी टेबल पर स्थापित करें।

* बच्चे के मस्तक पर प्रतिदिन केसर से तिलक करें। 

* घर के दक्षिण-पश्चिम कोण में फेंगशुई का एजुकेशन टावर स्थापित करें।

* वरद गणेश जी की सुपारी में स्थापना करवाकर घर में स्थापित करें।

* मंत्र: ऐंग क्लीं सोऽहं का नित्य 108 बार बच्चों से जाप करवाएं।

आचार्य कमल नंदलाल

ईमेल: kamal.nandlal@gmail.com

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