दरिद्रता व हानि का अंत करेगा ये शिव मंत्र

Friday, Aug 28, 2015 - 12:24 PM (IST)

सावन और शिव साधना के बीच चंचल और अति चलायमान मन की एकाग्रता एक महत्वपूर्ण कड़ी है जिसके बिना परम तत्व की प्राप्ति असंभव है। साधक की साधना जब शुरू होती है तब मन एक विकराल बाधा बन कर खड़ा हो जाता है, उसे नियंत्रित करना सहज नहीं होता। 

शाम को शिवलिंग का जल स्नान कराने के बाद पंचोपचार पूजा, यानी सफेद चंदन, अक्षत, बिल्वपत्र,  मदार के फूल व मिठाई का भोग लगाकर इस आसान शिव मंत्र का ध्यान जीवन में शुभ-लाभ की कामना से करें व धूप, दीप, कपूर आरती करें। 

ये मंत्र शिव जी के कल्याणकारी स्वरूप का ध्यान है, जो मृत्यु-भय, दरिद्रता व हानि से रक्षा करने वाले माने गए हैं:

पञ्चवक्त्र: कराग्रै: स्वैर्दशभिश्चैव धारयन्।

अभयं प्रसादं शक्तिं शूलं खट्वाङ्गमीश्वर:।।

दक्षै:करैर्वामकैश्च भुजंगचाक्षसूत्रकम्।

डमरुकं नीलोत्पलं बीजपूरकमुक्तमम्।। 

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