कुशाग्र बुद्धि व विद्या के चाहवान आज करें विशेष मंत्र का जाप

Monday, Aug 24, 2015 - 11:17 AM (IST)

‘शिव’ शब्द में शकार का अर्थ है- नित्य सुख एवं आनंद, इकार का अर्थ है- पुरुष और वकार का अर्थ है- अमृत स्वरूपा शक्ति। इस प्रकार शिव का समन्वित अर्थ होता है- कल्याण प्रदाता या कल्याण स्वरूप।

शिव के स्वरूप को उद्घाटित करते हुए शास्त्रों में बताया गया है कि भगवान महेश्वर ही प्रकृति आदि महाचक्र के कर्ता हैं क्योंकि वह प्रकृति से परे हैं। वह सर्वज्ञ, परिपूर्ण और नि:स्पृह हैं। सर्वज्ञता, तृप्ति, अनाधिबोध, स्वतंत्रता, नित्य अलुप्त शक्तियों से संयुक्त होना और अपने भीतर अनंत शक्तियों को धारण करना, इन ऐश्वर्यों के धारक महेश्वर को वेदों में भी भव्य रूप में निरूपित किया गया है।
 
पुराणों के अनुसार, श्रावण शुक्ल दशमी यानि आज का दिन देवी गायत्री को समर्पित है। आज के दिन शिवालय जाकर शिव-गायत्री मंत्र का जाप करने से जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में सफलता प्राप्त होती है। कुशाग्र बुद्धि व विद्या के चाहवान अवश्य आज के दिन का लाभ उठाएं।
 
रुद्राक्ष की माला से मंत्र जप करना चाहिए। जप उत्तर दिशा की ओर मुख करके ही करना चाहिए। जाप करने से पहले शिवलिंग पर बिल्व पत्र अर्पित करके जलाभिषेक करना चाहिए।
 
मंत्र- ऊँ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय च धीमही तन्ने रूद्र: प्रचोदयात्
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