कोविड केन्द्र में चिकित्सकीय लापरवाही के लिये मुआवजे की मांग करते हुए व्यक्ति ने किया अदालत का रुख
Monday, Feb 06, 2023 - 07:52 PM (IST)
मुंबई, छह फरवरी (भाषा) मुंबई के एक व्यक्ति दीपक शाह (54) ने नगर निकाय द्वारा संचालित कोविड-19 जंबो सेंटर में इलाज में लापरवाही का आरोप लगाते हुए बंबई उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है और 36 लाख रुपये मुआवजे की मांग की है।
अंधेरी निवासी दीपक शाह ने हाल में बांद्रा में बृहन्मुंबई महानगरपालिका द्वारा संचालित बीकेसी जंबो कोविड अस्पताल में चिकित्सकों द्वारा इलाज में लापरवाही किये जाने, अक्षमता और अनुचित उपचार के लिए मुआवजे की मांग करते हुए एक याचिका दायर की थी।
याचिका के अनुसार, शाह का मार्च 2021 में हर्निया का ऑपरेशन हुआ था। सर्जरी के दौरान चिकित्सकों ने उनके पेट में एक जाल डाला था, जिसे सर्जरी के बाद छह महीने तक देखभाल की आवश्यकता थी।
याचिका के अनुसार, अप्रैल 2021 में, याचिकाकर्ता कोरोना वायरस से संक्रमित हो गए, जिस वजह से उन्हें पृथक कर जंबो सेंटर में भर्ती कराया गया। शाह के परिवार वालों ने डॉक्टर को सर्जरी और जरूरी देखभाल की जानकारी भी दी थी।
याचिका में दावा किया गया है कि केन्द्र के डॉक्टर और अन्य मेडिकल स्टाफ ने नजरअंदाज करते हुए उसके पेट में रोजाना चार से पांच इंजेक्शन लगाए, जिससे उनके पेट में संक्रमण हो गया।
याचिकाकर्ता ने कहा, "संक्रमण के मवाद और जाल को हटाने के लिए उन्हें दो और सर्जरी से गुजरना पड़ा, जिसमें उन्हें काफी अतिरिक्त खर्च करना पड़ा और उन्हें मानसिक, शारीरिक और आर्थिक रूप से भी नुकसान उठाना पड़ा।"
शाह ने अदालत से अपील की है कि उनके मामले की जांच के लिए एक स्वतंत्र मेडिकल बोर्ड का गठन किया जाए और उन्हें हुए नुकसान के लिए 36 लाख रुपये का मुआवजा दिया जाए। याचिका पर सुनवाई नौ फरवरी को होने की संभावना है।
यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।
अंधेरी निवासी दीपक शाह ने हाल में बांद्रा में बृहन्मुंबई महानगरपालिका द्वारा संचालित बीकेसी जंबो कोविड अस्पताल में चिकित्सकों द्वारा इलाज में लापरवाही किये जाने, अक्षमता और अनुचित उपचार के लिए मुआवजे की मांग करते हुए एक याचिका दायर की थी।
याचिका के अनुसार, शाह का मार्च 2021 में हर्निया का ऑपरेशन हुआ था। सर्जरी के दौरान चिकित्सकों ने उनके पेट में एक जाल डाला था, जिसे सर्जरी के बाद छह महीने तक देखभाल की आवश्यकता थी।
याचिका के अनुसार, अप्रैल 2021 में, याचिकाकर्ता कोरोना वायरस से संक्रमित हो गए, जिस वजह से उन्हें पृथक कर जंबो सेंटर में भर्ती कराया गया। शाह के परिवार वालों ने डॉक्टर को सर्जरी और जरूरी देखभाल की जानकारी भी दी थी।
याचिका में दावा किया गया है कि केन्द्र के डॉक्टर और अन्य मेडिकल स्टाफ ने नजरअंदाज करते हुए उसके पेट में रोजाना चार से पांच इंजेक्शन लगाए, जिससे उनके पेट में संक्रमण हो गया।
याचिकाकर्ता ने कहा, "संक्रमण के मवाद और जाल को हटाने के लिए उन्हें दो और सर्जरी से गुजरना पड़ा, जिसमें उन्हें काफी अतिरिक्त खर्च करना पड़ा और उन्हें मानसिक, शारीरिक और आर्थिक रूप से भी नुकसान उठाना पड़ा।"
शाह ने अदालत से अपील की है कि उनके मामले की जांच के लिए एक स्वतंत्र मेडिकल बोर्ड का गठन किया जाए और उन्हें हुए नुकसान के लिए 36 लाख रुपये का मुआवजा दिया जाए। याचिका पर सुनवाई नौ फरवरी को होने की संभावना है।
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