मुंबई में जंगली जंतुओं के लिए घातक साबित हुआ चिपकाकर फंसाने वाला उपकरण; प्रतिबंध की मांग

punjabkesari.in Sunday, Sep 25, 2022 - 06:02 PM (IST)

मुंबई, 25 सितंबर (भाषा) चिपचिपे पदार्थ से जंतुओं को फंसाने वाला उपकरण (ग्लू ट्रैप) आम तौर पर चूहों और कीटों को पकड़ने के लिए इस्तेमाल किया जाता है, लेकिन मुंबई और आसपास के जिलों में इससे जंगली जंतुओं के लिए खतरा उत्पन्न हो गया है।

मुंबई के एक वन्यजीव संगठन ने महाराष्ट्र सरकार को पत्र लिखकर कहा है कि इस तरह के उपकरण का उल्लेख पशु क्रूरता निषेध अधिनियम और वन्यजीव संरक्षण अधिनियम का उल्लंघन है। संगठन ने सरकार से इस तरह के उपकरण के उत्पादन, बिक्री और इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगाने की मांग की है।
इस उपकरण में बक्से होते हैं, जिसमें चिपचिपे पदार्थ से बनी एक पट्टी होती है। इस पट्टी के संपर्क में आने के बाद चूहे और अन्य जंतु उससे चिपक जाते हैं और भाग नहीं पाते।
जैसे ही चूहा, कीट या कोई अन्य जंतु इस उपकरण में रखी खाद्य सामग्री को खाने के लिए बक्से में कूदता है, वह उसमें लगी पट्टी से चिपक जाता है। इससे जंतुओं की धीमी और कष्टदायक मौत होती है।
रेसकिंक एसोसिएशन फॉर वाइल्डलाइफ वेल्फेयर (आरएडब्ल्यूडब्ल्यू) ने राज्य के वन विभाग के मुख्य वन्यजीव वार्डन और प्रधान मुख्य वन संरक्षक (पीसीसीएफ), वन्यजीव को पत्र लिखकर इस उपकरण के उत्पादन, बिक्री और इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगाने की अपील की है।

आरएडब्ल्यूडब्ल्यू के संस्थापक और मानद वन्यजीव वार्डन पवन शर्मा ने पत्र में लिखा कि इस उपकरण का इस्तेमाल कीटों से निपटने का ना केवल अमानवीय तरीका है, बल्कि कई संरक्षित प्रजातियां भी इसका शिकार बनी हैं।
उन्होंने कहा कि आरएडब्ल्यूडब्ल्यू ने वन्य जीवों, पक्षियों और सरीसृपों की कई प्रजातियों, जैसे कि गिलहरी, चमगादड़, उल्लू, अजगर, मॉनिटर छिपकली आदि को ऐसे उपकरणों से बचाया है।
शर्मा ने कहा, ‘‘जंगली जीव-जंतुओं के मारे जाने या घायल होने के कई मामले जागरुकता की कमी के कारण दर्ज नहीं होते और ज्यादातर मामलों में लोग कानूनी अड़चनों से बचने के लिए आगे नहीं आते हैं।” यह उपकरण शहरी क्षेत्रों में चिंता का एक प्रमुख कारण है, जहां कारखानों, कंपनियों, आवासीय और वाणिज्यिक क्षेत्रों में कीट नियंत्रण एजेंसियों द्वारा इस नियमित रूप से इस्तेमाल किया जाता है।

शार्मा ने कहा कि मुंबई, ठाणे और आसपास के क्षेत्रों में एक अनुपम जैव विविधता है जिसे बचाने और संरक्षित करने की आवश्यकता है।


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PTI News Agency

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