2017 बीएमसी चुनाव के बाद भाजपा ने शिवसेना को बिना शर्त समर्थन की पेशकश की थी: केसरकर

punjabkesari.in Saturday, Aug 06, 2022 - 08:09 PM (IST)

मुंबई, छह अगस्त (भाषा) भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने 2017 के मुंबई निकाय चुनाव के बाद शिवसेना को बिना शर्त समर्थन की पेशकश की थी, जबकि उसकी सीटों की संख्या उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली पार्टी की जीती कुल सीटों से सिर्फ चार कम थी। यह दावा शिवसेना के एक विधायक ने शनिवार को किया।

एकनाथ शिंदे गुट के प्रवक्ता दीपक केसरकर ने यह भी कहा कि भाजपा ने उस समय यह मांग नहीं की थी कि मुंबई के मेयर या डिप्टी मेयर का पद उसे बारी-बारी से दिया जाए।

केसरकर की टिप्पणी को ठाकरे पर परोक्ष रूप से कटाक्ष के रूप में देखा जा रहा है, जिन्होंने आरोप लगाया था कि भाजपा ने महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री बारी-बारी बनाने के अपने 2019 के वादे को नहीं निभाया और 2019 के विधानसभा चुनाव के बाद पुराने सहयोगी के साथ संबंध तोड़ लिये।

227 सदस्यीय बृहन्मुंबई महानगर पालिका (बीएमसी) के 2017 के चुनाव को उस समय महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ दोनों पार्टियों ने अलग-अलग लड़ा था।

केसरकर ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘भाजपा ने 2017 के बीएमसी चुनावों के बाद शिवसेना को बिना शर्त समर्थन दिया था, हालांकि भाजपा ने शिवसेना से केवल चार सीटें कम जीती थीं।’’
उन्होंने मांग की कि उद्धव ठाकरे स्पष्ट करें कि उन्होंने पिछले साल दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात के बाद भाजपा के साथ हाथ मिलाने पर सहमति जताई थी या नहीं।
केसरकर ने एक दिन पहले खुलासा किया था कि ठाकरे पिछले साल प्रधानमंत्री मोदी के साथ बातचीत के बाद महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री का पद छोड़ने की योजना बना रहे थे। उन्होंने शनिवार को कहा, ‘‘अगर मैं गलत साबित हुआ तो मैं सार्वजनिक जीवन से संन्यास ले लूंगा।’’
केसरकर ने एक सवाल के जवाब में कहा कि उन्होंने केंद्रीय मंत्री एवं भाजपा नेता नारायण राणे के खिलाफ प्रधानमंत्री मोदी से कोई शिकायत नहीं की है।
केसरकर ने शुक्रवार को कहा कि सुशांत सिंह राजपूत मौत मामले में भाजपा नेता राणे द्वारा उद्धव ठाकरे के बेटे एवं तत्कालीन कैबिनेट मंत्री आदित्य ठाकरे का नाम घसीटकर उनकी छवि ‘‘खराब’’ करने के प्रयासों से शिवसेना के कई नेता ‘‘दुखी’’ थे।

केसरकर ने यह भी कहा कि उन्होंने एकनाथ शिंदे और उद्धव ठाकरे के बीच तनावपूर्ण संबंधों को सामान्य करने की कोशिश की थी, लेकिन उसका कोई लाभ नहीं हुआ।
शिवसेना में बगावत का झंडा बुलंद करने के दस दिन बाद शिंदे ने 30 जून को भाजपा के समर्थन से मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी।



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