महाराष्ट्र में राजनीतिक संकट के बीच विधानसभा में शक्ति परीक्षण आया चर्चा के केंद्र में
Thursday, Jun 23, 2022 - 06:28 PM (IST)
मुंबई, 23 जून (भाषा) महाराष्ट्र विधानसभा के उपाध्यक्ष नरहरि जिरवाल द्वारा बागी नेता एकनाथ शिंदे के स्थान पर अजय चौधरी को सदन में शिवसेना के समूह के नेता के रूप में नियुक्ति को मंजूरी दिये जाने से सत्तारूढ़ गठबंधन के लिए शक्ति -परीक्षण के माध्यम से अपना बहुमत साबित करने की जरूरत को तेजी से पूरा किया जा सकता है। संविधान विशेषज्ञों ने ऐसी राय जाहिर की है।
पीटीआई-भाषा से बातचीत में महाराष्ट्र के पूर्व महाधिवक्ता श्रीहरि अने ने कहा कि शिंदे की अगुवाई में बागी विधायकों का समूह (धड़ा) कह सकता है कि वह वर्तमान महा विकास आघाड़ी (एमवीए) सरकार का समर्थन नहीं करता है और यह कि वर्तमान सरकार बहुमत गंवा बैठी है। इसके परिणामस्वरूप अविश्वास प्रस्ताव लाया जाएगा ।
उन्होंने कहा, ‘‘ विधानसभा उपाध्यक्ष द्वारा शिंदे के स्थान पर चौधरी को समूह के नेता के रूप में नियुक्ति को मंजूरी देने का मतलब यह हो सकता है कि अविश्वास प्रस्ताव एवं मत-विभाजन की प्रक्रिया शीघ्र हो। ’’
शिवसेना नीत एमवीए सरकार (शिवसेना, कांग्रेस एवं राकांपा की गठबंधन सरकार) यह कह सकती है कि उसके पास अपना बहुमत है और वह विश्वास प्रस्ताव पेश का आह्वान कर सकती है।
अने ने कहा कि शक्ति परीक्षण की प्रक्रिया तब शुरू हो जाएगी तब यह पूरी तरह स्थापित हो जाएगा कि बागी समूह के पास जरूरी संख्या बल है।
उन्होंने कहा , ‘‘ जब यह स्थापित हो जाएगा तब उससे संकेत मिलेगा कि एमवीए बहुमत गंवा बैठा है। बागी धड़ा भाजपा के साथ मिलकर सरकार बनाने का दावा पेश कर सकता है जिसके बाद राज्यपाल शक्ति -परीक्षण के लिए कह सकते हैं। ’’
उन्होंने कहा कि असली शिवसेना कौन है तथा तीर-धुनष के निशान का दावेदार कौन है, इसका फैसला भारत निर्वाचन आयोग द्वारा नहीं किया जा सकता है। उन्होंने कहा, ‘‘ आयोग तो बस किसी राजनीतिक दल का पंजीकरण करता है एवं उसे चुनाव चिह्न आवंटित करता है।’’
उन्होंने कहा, शिंदे कह चुके हैं कि वही असली शिवसेना की अगुवाई करते हैं और वह पार्टी के चुनाव चिह्न पर दावा करने वाले हैं जिसका उद्धव ठाकरे धड़े द्वारा विरोध किया जाएगा।
एमवीए में शिवसेना के 55, राकांपा के 53 और कांग्रेस के 44 विधायक हैं। राज्य की 288 सदस्यीय विधानसभा में सामान्य बहुमत के लिए 144 का आंकड़ा जरूरी है।
भाजपा के पास अपने 106 विधायक हैं तथा उसे राजठाकरे की अगुवाई वाली महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना , स्वाभिमानी पक्ष एवं राष्ट्रीय समाज पक्ष के एक एक विधायकों एवं छह निर्दलीय विधायकों का समर्थन प्राप्त है। इस प्रकार सदन में उसके पास सहयोगियों को मिलाकर कुल 116 विधायक हैं।
शिवसेना ने शिंदे को विधानसभा में पार्टी के नेता पद से हटा दिया है एवं उनके स्थान पर चौधरी को सदन का नेता नियुक्त किया है। शिंद से संपर्क नहीं होने एवं अपने समर्थक विधायकों के साथ सूरत चले जाने के बाद शिवसेना ने यह कदम उठाया। फिलहाल शिंदे शिवसेना के विधायकों के एक धड़े एवं कुछ निर्दलीय विधायकों के साथ गुवाहाटी में हैं। उन्होंने कहा है कि उन्हें 46 विधायकों का समर्थन प्राप्त है।
यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।
पीटीआई-भाषा से बातचीत में महाराष्ट्र के पूर्व महाधिवक्ता श्रीहरि अने ने कहा कि शिंदे की अगुवाई में बागी विधायकों का समूह (धड़ा) कह सकता है कि वह वर्तमान महा विकास आघाड़ी (एमवीए) सरकार का समर्थन नहीं करता है और यह कि वर्तमान सरकार बहुमत गंवा बैठी है। इसके परिणामस्वरूप अविश्वास प्रस्ताव लाया जाएगा ।
उन्होंने कहा, ‘‘ विधानसभा उपाध्यक्ष द्वारा शिंदे के स्थान पर चौधरी को समूह के नेता के रूप में नियुक्ति को मंजूरी देने का मतलब यह हो सकता है कि अविश्वास प्रस्ताव एवं मत-विभाजन की प्रक्रिया शीघ्र हो। ’’
शिवसेना नीत एमवीए सरकार (शिवसेना, कांग्रेस एवं राकांपा की गठबंधन सरकार) यह कह सकती है कि उसके पास अपना बहुमत है और वह विश्वास प्रस्ताव पेश का आह्वान कर सकती है।
अने ने कहा कि शक्ति परीक्षण की प्रक्रिया तब शुरू हो जाएगी तब यह पूरी तरह स्थापित हो जाएगा कि बागी समूह के पास जरूरी संख्या बल है।
उन्होंने कहा , ‘‘ जब यह स्थापित हो जाएगा तब उससे संकेत मिलेगा कि एमवीए बहुमत गंवा बैठा है। बागी धड़ा भाजपा के साथ मिलकर सरकार बनाने का दावा पेश कर सकता है जिसके बाद राज्यपाल शक्ति -परीक्षण के लिए कह सकते हैं। ’’
उन्होंने कहा कि असली शिवसेना कौन है तथा तीर-धुनष के निशान का दावेदार कौन है, इसका फैसला भारत निर्वाचन आयोग द्वारा नहीं किया जा सकता है। उन्होंने कहा, ‘‘ आयोग तो बस किसी राजनीतिक दल का पंजीकरण करता है एवं उसे चुनाव चिह्न आवंटित करता है।’’
उन्होंने कहा, शिंदे कह चुके हैं कि वही असली शिवसेना की अगुवाई करते हैं और वह पार्टी के चुनाव चिह्न पर दावा करने वाले हैं जिसका उद्धव ठाकरे धड़े द्वारा विरोध किया जाएगा।
एमवीए में शिवसेना के 55, राकांपा के 53 और कांग्रेस के 44 विधायक हैं। राज्य की 288 सदस्यीय विधानसभा में सामान्य बहुमत के लिए 144 का आंकड़ा जरूरी है।
भाजपा के पास अपने 106 विधायक हैं तथा उसे राजठाकरे की अगुवाई वाली महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना , स्वाभिमानी पक्ष एवं राष्ट्रीय समाज पक्ष के एक एक विधायकों एवं छह निर्दलीय विधायकों का समर्थन प्राप्त है। इस प्रकार सदन में उसके पास सहयोगियों को मिलाकर कुल 116 विधायक हैं।
शिवसेना ने शिंदे को विधानसभा में पार्टी के नेता पद से हटा दिया है एवं उनके स्थान पर चौधरी को सदन का नेता नियुक्त किया है। शिंद से संपर्क नहीं होने एवं अपने समर्थक विधायकों के साथ सूरत चले जाने के बाद शिवसेना ने यह कदम उठाया। फिलहाल शिंदे शिवसेना के विधायकों के एक धड़े एवं कुछ निर्दलीय विधायकों के साथ गुवाहाटी में हैं। उन्होंने कहा है कि उन्हें 46 विधायकों का समर्थन प्राप्त है।
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