यस बैंक का बचाव महामारी से पहले सही समय पर हो गया, प्रगति से संतुष्ट: सीईओ कुमार

Sunday, May 02, 2021 - 06:41 PM (IST)

मुंबई, दो मई (भाषा) देश में पिछले साल कोविड- 19 महामारी के जोर पकड़ने से ठीक पहले ठीक समय पर यस बैंक का बचाव कर लिया गया। इसमें 15 दिन की भी देरी यदि होती तो बंदी के कगार पर पहुंचे बैंक के लिये मुश्किल हो जाती। बैंक के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यकारी प्रशांत कुमार ने यह कहा।

रिजर्व बैंक और सरकार द्वारा यस बैंक को संकट से उबारने के लिये उठाये गये कदमों के बाद पहली बार अपनी बात रखते हुये कुमार ने कहा कि यह समय बहुत उपयुक्त था जिसमें स्टेट बैंक के नेतृत्व में विभिन्न बैंकों ने 10,000 करोड़ रुपये की पूंजी बैंक में लगाई।
कुमार ने पीटीआई- भाषा से बातचीत में कहा, ‘‘ ... यदि इस फैसले में 15 दिन की भी देरी हो जाती तो मुझे नहीं लगता कि हम यह देख पाते ... और हम आज बोलने के लायक भी होते कि नहीं।’’ उन्होंने बैंक को फिर से खड़ा करने के तरीके पर संतोष जताया।
पिछले साल बैंक के निदेशक मंडल के स्थान पर सरकार द्वारा नया निदेशक मंडल बिठा दिये जाने और बैंक से जमा निकासी पर रोक लगादेने के छह दिन के बाद ही विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कोविड- 19 को महामारी घोषित कर दिया। देशभर में संक्रमण तेजी से फैलने लगा और 20 दिन के भीतर ही पूरे देश में लॉकडाउन लागू कर दिया गया। स्टेट बैंक ने बैंक को बचाने में आगे बढ़कर समर्थन दिया और अन्य बैंकों ने भी इसमें अपना सहयोग किया। ये सभी बैंक में पूंजी डालनेके बाद उसमें शेयरधारक बन गये।
प्रशांत कुमार ने कहा, ‘‘हमने जो कुछ भी हासिल किया है उसको लेकर हम बहुत प्रसन्न हैं।’’ उन्होंने बताया कि इस दौरान जमा पूंजी में 55 प्रतिशत वृद्धि हासिल की गई। परिचालन मुनाफा 42 प्रतिशत बढ़ गया और पांच करोड़ रुपये तक की नकद वसूली इस दौरान की गई। बहरहाल, कोविड के कारण सुधार की समयसीमा एक बार फिर खिंच गई है और 2020- 21 में जो कुछ हमने हासिल किया वह अब अगले वित्त वर्ष के लिये टल गया है क्योंकि अब कोरोना की दूसरी लहर हमारे सामने है।
कुमार ने कहा कि कोविड हमारे समक्ष जयादा मुद्दे खड़ा कर रहा है। हमें विरासत में जो दबाव वाली संपत्ति मिली थी वह 50 हजार करोड़ रुपये से घटकर 45,000 करोड़ रुपये पर आ गई है। इसमें 28,000 करोड़ रुपये से अधिक की गैर- निष्पादित संपत्ति और बट्टे खाते में डाला गया कर्ज भी शामिल है।


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PTI News Agency

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