भारत में 21 यूनिकार्न स्टार्टअप, कुल मूल्यांकन 73 अरब डालर, चीन के दसवें हिस्से के बराबर: अध्ययन

Tuesday, Aug 04, 2020 - 05:44 PM (IST)

मुंबई, चार अगस्त (भाषा) भारत में यूनिकॉर्न स्तर के स्टार्टअप की संख्या करीब 21 है। एक अरब डॉलर से अधिक मूल्य वाले इन स्टार्टअप की संख्या पड़ोसी देश चीन के मुकाबले दसवें हिस्से के बराबर है। भारतीय निवेशकों की 40 से अधिक ऐसी कंपनियां विदेशों में स्थापित हैं।

हुरुन की वैश्विक यूनिकॉर्न सूची में 21 भारतीय यूनिकॉर्न कंपनियों का कुल मूल्यांकन 73.2 अरब डॉलर है। अमेरिका, चीन और ब्रिटेन के बाद भारत इस सूची में चौथे स्थान पर है। यूनिकॉर्न ऐसी स्टार्टअप कंपनियों को कहा जाता है जिनका मूल्यांकन एक अरब डॉलर या उससे अधिक होता है।

हुरुन की रपट के अनुसार चीन में यूनिकॉर्न की संख्या 227 है। ऐसे में भारत में यूनिकॉर्न स्टार्टअप की संख्या उसके दसवें हिस्से के बराबर है।

इतना ही नहीं भारत के साथ जमीनी सीमा साझा करने वाले देशों से आने वाले निवेश को विभिन्न नियमों के दायरे में लाये जाने की खबरों के बीच यह बात उल्लेखनीय है कि घरेलू 21 यूनिकॉर्न में से 11 में चीन के तीन निवेशकों का बड़ा हिस्सा है।

भारत से बाहर भारतीय मूल के लोगों द्वारा स्थापित यूनिकॉर्न की संख्या करीब 40 है जबकि चीनी मूल के लोगों ने अपने देश से बाहर मात्र 16 ऐसे कारोबार स्थापित किए हैं।

भारतीय समुदाय द्वारा विदेशों में स्थापित यूनिकॉर्न का कुल मूल्यांकन 99.6 अरब डॉलर है। इसमें सबसे अधिक मूल्यांकन वित्त प्रौद्योगिकी कंपनी रॉबिनहुड का करीब 8.5 अरब डॉलर है।

हुरुन रपट के चेयरमैन और मुख्य अनुसंधानकर्ता रुपर्ट हूगवर्फ ने कहा कि भारतीयों द्वारा स्थापित 61 यूनिकॉर्न में से करीब दो-तिहाई विदेशों में मुख्य तौर पर अमेरिका के सिलिकॉन वैली में है। मात्र 21 यूनिकॉर्न ही देश में काम कर रही हैं।

रपट में कहा गया है कि दुनिया के 29 देशों के 145 शहरों में 586 यूनिकॉन कंपनियां काम करती हैं।

भारत में काम कर रही 21 यूनिकॉर्न कंपनियों में से अधिकतर ई-वाणिज्य क्षेत्र की हैं और बेंगलुरू भारत की यूनिकॉर्न राजधानी कही जा सकती है क्योंकि इनमें से आठ कंपनियां बेंगलुरू में स्थित हैं।

देश की सबसे नयी यूनिकॉर्न कंपनियों में ओला इलेक्ट्रिक, उड़ान और स्विगी हैं।

रपट के मुताबिक भारत में किसी स्टार्टअप को यूनिकॉन के स्तर पर पहुंचने में करीब सात साल का वक्त लगता है, जबकि चीन में यह वक्त साढ़े पांच साल और अमेरिका में साढ़े छह साल है।


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PTI News Agency

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