महाराष्ट्र के आदिवासी कर सकेंगे वन अधिकारों पर निर्णय के खिलाफ अपील

punjabkesari.in Wednesday, May 27, 2020 - 07:36 PM (IST)

मुंबई, 27 मई(भाषा) महाराष्ट्र के राज्यपाल बी एस कोश्यारी द्वारा बुधवार को जारी एक अधिसूचना में कहा गया है कि राज्य के आदिवासी अब अपने वैयक्तिक या सामुदायिक वन अधिकारों को, एक विशेष अधिनियम के तहत गठित जिला स्तरीय समितियों द्वारा खारिज किए जाने के निर्णय के खिलाफ अपील कर सकते हैं।


इस अधिसूचना से उन आदिवासियों को राहत मिली है जिनके वैयक्तिक या सामुदायिक वन अधिकार, वर्ष 2006 में केंद्र द्वारा लागू किए गए ऐतिहासिक ‘वन अधिकार अधिनियम’ (एफआरए) के तहत खारिज कर दिए गए हैं। एफआरए में पीढ़ियों से जंगलों में रहने वाले जनजातियों के अधिकारों को बहाल करने का प्रावधान है।

अधिसूचना में कहा गया है कि आदिवासी अब संभाग स्तरीय समितियों के समक्ष अपील कर सकते हैं।

राजभवन द्वारा जारी एक बयान के अनुसार, ‘‘जिन आदिवासियों के वैयक्तिक वन अधिकार या सामुदायिक वन अधिकार को एफआरए के तहत गठित जिला स्तरीय समितियों द्वारा खारिज कर दिया गया है उनको न्याय प्रदान करने के प्रयास में यह अधिसूचना एक ‘बहुत महत्वपूर्ण’ कदम है।’’
यह नया उपाय महाराष्ट्र में पीईएसए (पंचायत विस्तार और अनुसूचित क्षेत्र) पर भी लागू होता है और इस तरह की समितियों के निर्णय के खिलाफ अपील के प्रावधान की अनुमति देता है।

अधिसूचना में कहा गया है कि जिला स्तरीय समितियों के निर्णय के खिलाफ अपील सुनने के लिए संभागीय आयुक्तों की अध्यक्षता में संभाग स्तरीय समितियों का गठन किया गया है।

इसके अनुसार,‘‘अधिसूचना जारी होने से पहले जिला स्तरीय समितियों द्वारा पारित आदेश के मामले में, अधिसूचना जारी करने की तारीख से छह महीने के भीतर अपील के लिए आवेदन किया जाएगा।’’

बयान में कहा गया, ‘‘राज्यपाल ने पाया कि संबंधित अधिनियम के तहत बड़ी संख्या में आवेदन जिला स्तरीय समितियों द्वारा खारिज कर दिए जाते हैं।’’
बयान में कहा गया है, ‘‘हालांकि, जिला स्तरीय समितियों के फैसले के खिलाफ अपील के लिए अधिनियम में कोई प्रावधान नहीं था। इसलिए, यह अधिसूचना हजारों आदिवासियों के लाभ के लिए जारी की गई है।’’


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PTI News Agency

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